योग करने पर हम नहीं, हमारा शरीर बोलता है

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विनीत कुमार, मीडिया आलोचक:

योग, जिम, वॉक, डायटिंग। शरीर को बेहतर रखने के ये वो तरीके हैं, जिसे ईमानदारी से किए जाएँ तो अलग से छापा मार टीशर्ट पहन कर दुनिया को बताने की जरूरत नहीं पड़ती। लोग आपके शरीर को देखते ही पूछने लग जाते हैं- आप योग करते हो, आपने जिम ज्वाइन किया है, आप डाइट चार्ट फॉलो करते हो।?

ये सारी बातें मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव पर कह रहा हूँ।

आज के अखबार में विश्व योग दिवस रियलिटी शो के मौके पर शामिल राजनीति, सिनेमा, कॉर्पोरेट के चेहरे की तस्वीरें देख रहा हूँ। उनका शरीर देख कर ही अंदाजा लग जा रहा है कि वो 21 जून के अलावा योग क्या, आहार-विहार तक ख्याल नहीं रखते, बुरी तरह जंक फूड के शिकार हैं। कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनकी ब्रांडिंग करते समय डिस्प्ले का खास ख्याल रखना जरूरी होता है। मैं कभी डीयू यूनिवर्सिटी रिज मॉर्निॉग वॉक के लिए जाया करता था। बिना किसी जान-पहचान के लोग राम-राम बाउजी करके आगे बढ़ते। उनमें से कई लौटकर मेरे ही हॉस्टल ग्वायर हॉल की कैंटीन में आ कर जमकर कचौरी, सब्जी, ब्रेड-बटर, छोले-भटूरे खाते, ठहाके लगाते। वो रोज आते लेकिन उनकी टमी घटने के बजाय और बढ़ती जाती।

सरकार को चाहिए कि जब वो दुनियाभर में योग की रिब्रांडिंग कर रही है तो साथ ही साथ डाइट चार्ट पर ज़ोर दे। वो लोगों को कायदे से बताए कि क्या और किस मात्रा में खाना चाहिए और ये डाइट चार्ट भी लोगों की आर्थिक क्षमता, सामाजिक स्थिति और भौगोलिक संदर्भ के अनुरूप हो।

नहीं तो योग जिसका संबंध हमारे शरीर, मन और आहार-व्यवहार से है, बाजार और राजनीतिक प्रबंधन का हिस्सा तो बनता चला जाएगा, लेकिन एक-दूसरे का शरीर और व्यवहार देख कर योग के प्रति ललक पैदा नहीं कर सकेंगे। योग न करने पर हमसे पहले हमारा शरीर झूठ बोलता है। आप योग के पक्ष में हैं तो इसे सिर्फ राजनीतिक स्तर पर बहसबाजी नहीं, करना होगा। शरीर के स्तर पर शामिल होना होगा।

मेरे लिए योग का असर तब दिखेगा जब संसद सत्र के दौरान सांसदों को अपनी सीट से इत्मिनान से बात करते हुए सुन सकूँगा। जब पब्लिक स्फीयर में बिना किसी धमकी, उत्तेजना और उत्तेजना के लोगों से व्यवहार कर सकूँगा। मेट्रो में, बसों में माँ-बहन की गालियों के बजाय हर हाथ में किताबें होंगी। एक शांत, मेहनतकश और संवेदनशील समाज के बीच हम जी सकेंगे। योग कोई एकदिवसीय इवेंट नहीं, जीवन पद्धति के रूप में मौजूद होगा।

(देश मंथन 22 जून 2016)

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