राजीव रंजन झा :
आपको बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। मानते हैं। आपके जो पड़ोसी थे ना, वे भी बहुत मुश्किल दौर से गुजरे हैं। मालूम है ना आपको? शायद अपनी ही आँखों से देखा भी हो, अगर उनके साथ होने वाले अपराधों में हिस्सेदार नहीं थे तब भी?
जो भी हो, इन मुश्किलों से आप अकेले नहीं निपट पायेंगे। अपने उस पड़ोसी को बुलाइये, साथ लीजिए। सच कहता हूँ, आपकी मुश्किलें खत्म होने लगेंगी। यह किसी निर्मल बाबा का गप्प नहीं है।
आपको क्या लगता है, कि पाकिस्तान आपकी मुश्किलों का हल है? नहीं, दरअसल वही है आपकी मुश्किलों की जड़। यकीन नहीं होता तो वो जो आधा कश्मीर अभी पाकिस्तान के कब्जे में है, वहाँ के अपने रिश्तेदारों से क्यों नहीं पूछ लेते? अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ, घाटी में बाढ़ इधर भी आयी थी और उधर पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्से में भी। आपको किसने मदद की? जरा उधर वालों से पूछिए कि उनको कोई मदद मिली भी क्या? पाकिस्तान तो खुद बर्बाद है, वह आपको क्या खुशहाल बनायेगा?
आपकी मुश्किलें हिंदुस्तान ही दूर कर सकता है। हिंदुस्तान की सरकारों से आपको उम्मीद नहीं है ना? उनसे बार-बार फरेब और जख्म मिले हैं आपको। छोड़िए सरकारों को, हिंदुस्तान के अवाम के पास आइये। पूरे देश के सामने रखिए अपनी बात। पर इसके लिए वो जो आपने अपनी बंद दुकान के शटर पर लिख रखा है ना – इंडिया गो बैक – उसको मिटाइये। फिर दिखाइये अपने जख्म सारे हिंदुस्तान को। सारा हिंदुस्तान आपकी आवाज उठायेगा।
खुद को हिंदुस्तान की अवाम मान कर बात कीजिए, तो यह जो सरकार है ना, उसे आप अपना मुलाजिम कह कर बात कर सकेंगे।
पूरा देश आपके साथ खड़ा हो सकता है, पर पता है बाकी देश आपके साथ क्यों नहीं खड़ा है? अरे अपने साथ खड़े नौजवान से कहिए कि जो राइफल पकड़ रखी है उसे फेंक आये। और वो जो 9-10 साल का बच्चा पत्थर लिए खड़ा है, जिसे ठीक से कश्मीर का भूगोल भी नहीं पता तो सारे देश का भूगोल क्या पता होगा, उससे कहिए कि पत्थर जहाँ से लाया वहाँ वापस धर आये। पत्थर भारी है, कहीं उसके ही पाँव पर गिर गया तो चोट लगेगी।
(देश मंथन, 13 जुलाई 2016)