Sunday, November 2, 2025

देश मंथन डेस्क

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दुनिया की सबसे विशाल घड़ी – वृहद सम्राट यंत्र – जंतर मंतर जयपुर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

जयपुर जंतर मंतर -  नाड़ी वलय यंत्र

वैसे तो देश में पाँच जंतर मंतर हैं। पर इनमें जयपुर का जंतर मंतर सबसे विशाल है। अपनी विशालता और विशेषताओं के कारण ही इसे दुनिया के विश्व दाय स्मारकों की सूची मे स्थान मिल सका है। सवाई जय सिंह ने देश में कुल पाँच शहरों में जंतर मंतर का निर्माण कराया।

कोल्ड ड्रिंक को क्रेडिट

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार  :

सिंधु सोने जैसी चाँदी को ले आयी हैं। चाँदी के भावों में तेजी का रुख है, इन दिनों, सोने की रफ्तार ढीली पड़ी हुई है। सिंधु-साक्षी की सफलताओं से बेटों का मार्केट रेट गिर गया है, नवजोत सिंह सिद्धू के भावों की तरह। पर, पर, पर बेटियों की सफलताओं को बेटों को कूटनेवाले प्लीज समझें -किसी बेटे गोपीचंद ने कोचिंग दी है सिंधु को। समन्वय से रिजल्ट आते हैं, अतिरेकी तर्कों से सिर्फ मारधाड़ बढ़ती है।

प्यार दो, प्यार लो

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

जबलपुर जाने का मतलब है कहानियों के संसार की यात्रा पर निकलना। एक कहानी खत्म हुई नहीं कि दूसरी शुरू। अब वहाँ कदम संस्था वालों ने इतने पेड़ लगा दिए हैं कि प्रकृति जबलपुर की मिट्टी चूमने लगी है। आसमान बादलों को मुहब्बत का पैगाम लेकर धरती के पास भेजने लगा है। ऐसा ही परसों हुआ था जब दिल्ली से उड़ा विमान जबलपुर एयरपोर्ट पर उतरने से घबराता रहा कि वहाँ तो धरती से मिलने बादल नीचे उतर आये हैं। 

उम्मीदों का काँस्य

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार  :

वैधानिक चेतावनी-यह व्यंग्य नहीं है

साक्षी मलिक के काँस्य पर हम झूमते-गाते भारतीय बहुत रोचक रुपक गढ़ते हैं। 127 करोड़ का भारत, एक काँस्य के लिए इस तरह से तरसा कि साक्षी मलिक के काँस्य को बहुत ही बड़ी उपलब्धि मानने लगा। दरअसल यह साक्षी मलिक की निजी उपलब्धि है, निजी उपलब्धि है कि इस सिस्टम में काम करके वह इतना हासिल कर सकी।

सलमान खुर्शीद क्या पाकिस्तान के एजेंट हैं?

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

सलमान खुर्शीद ने पिछले साल नवंबर में पाकिस्तान जाकर भारत विरोधी बयान दिया था। कहा था कि “भारत ने पाकिस्तान के अमन के पैगाम का उचित जवाब नहीं दिया। मोदी अभी नये हैं और स्टैट्समैन कैसे बना जाता है, यह उन्हें सीखना है।“ यानी मोदी से अदावत की आड़ में सलमान खुर्शीद ने अपने वतन भारत को ही अमन का दुश्मन और गुनहगार बना डाला।

‘मदारी’

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

फिल्म ‘मदारी’ देख ली?

नहीं देखी तो कोई बात नहीं। पर मैंने देख ली। मैं अमूनन हर फिल्म देख लेता हूँ। अब आप इसे शौक कह लीजिए या मजबूरी। फिल्म कैसी है, इस पर मैं कतई टिप्पणी नहीं करूंगा और न ही मेरा काम है फिल्मों की समीक्षा लिखना। पर फिल्म में एक सीन की चर्चा मैं आज कर रहा हूँ, सिर्फ अपनी कल की पोस्ट को आगे बढ़ाने के लिए।

घड़ी में गर्लफ्रेंड

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार  :

वक्त का वक्त भी बदल गया है। हाथ-घड़ी में पूरा स्पेस,पूरा हक अब वक्त का नहीं है, मोबाइल फोन घुस आया है घड़ी में, घड़ी मोबाइल फोन से कनेक्ट हो गयी है। सैमसंग, टाइटन समेत कईयों से ऐसी घड़ियाँ बना दी हैं। एकदम फास्ट स्पीड से घड़ी में मोबाइल के मैसेज देखो, मोबाइल खुलने में तो एकाध सेकंड लग जाता है। इतना लंबा इंतजार नयी पीढ़ी को शोभा ना देता।

गौवंश की रक्षा की योजना बतायें मोदी

संदीप त्रिपाठी :

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिनों पहले एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा कि 80% गौरक्षक फर्जी हैं। हो सकता है, उनकी बात सही हो। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह देखा गया कि तमाम ऐसे तत्वों, जिनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा या हिंदूवादी विचारधारा से कोई संबंध नहीं था, न ही वे कभी मोदी समर्थक रहे, ने छोटे-छोटे संगठन बना लिये जिनके नाम में हिंदू या गाय शब्द जोड़ लिये। इन संगठनों के नाम में हिंदू प्रतीकों की आड़ में ये तत्व अनाप-शनाप कार्य करने लगे, जिनकी हवा न मोदी को थी, न भाजपा को, न संघ को। लेकिन इन संगठनों के कार्यों से ये लोग बदनाम होते रहे। दिलचस्प यह कि ऐसे कई संगठनों के कर्ता-धर्ता ऐसे लोग पाये गये जो भाजपा विरोधी संगठनों के पदाधिकारी रहे।

मार्केटिंग के यक्ष-प्रश्न

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार  :

मार्केटिंग-प्रधान युग में हर ज्ञान को आखिर को सेल और मुनाफे के तराजू पर ही तुलना है। कितना बेच लिया और कितना कमा लिया, हर तरह के ज्ञान के शीर्ष पर ये ही दो सवाल हैं। जिसकी सेल संभव नहीं, उसका खेल खत्म मान लिया जाता है। जैसा कि हमारे वक्त के बड़े कामेडियन- स्कालर कपिल शर्मा के कहे का आशय है-बिकता है सब कुछ, बेचनेवाला चाहिए।

सोना बहल जाए, कोयला पर छापा

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

मेरा एक दोस्त था। उसने रसायन शास्त्र की पढ़ाई की थी।