गौवंश की रक्षा की योजना बतायें मोदी

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संदीप त्रिपाठी :

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिनों पहले एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा कि 80% गौरक्षक फर्जी हैं। हो सकता है, उनकी बात सही हो। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह देखा गया कि तमाम ऐसे तत्वों, जिनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा या हिंदूवादी विचारधारा से कोई संबंध नहीं था, न ही वे कभी मोदी समर्थक रहे, ने छोटे-छोटे संगठन बना लिये जिनके नाम में हिंदू या गाय शब्द जोड़ लिये। इन संगठनों के नाम में हिंदू प्रतीकों की आड़ में ये तत्व अनाप-शनाप कार्य करने लगे, जिनकी हवा न मोदी को थी, न भाजपा को, न संघ को। लेकिन इन संगठनों के कार्यों से ये लोग बदनाम होते रहे। दिलचस्प यह कि ऐसे कई संगठनों के कर्ता-धर्ता ऐसे लोग पाये गये जो भाजपा विरोधी संगठनों के पदाधिकारी रहे।

इन तथ्यों के आलोक में देखें तो प्रधानमंत्री मोदी का बयान सही है, उस बयान का मंतव्य सही है। इस बयान के मद्देनजर भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे अपने गौवंश प्रकोष्ठ को बंद कर दिया है, राज्य इकाइयाँ भी इस तरह के प्रकोष्ठों को बंद कर रही हैं। लेकिन इस बयान के असर पर नजर डालें तो बड़ी भयावह तस्वीर उभरती है। इसके दो असर देखें। एक तो सवाल है गायों की सुरक्षा का, दूसरे सही गौरक्षकों की स्थिति का।

इस बयान से राज्यों, खास कर भाजपा विरोधी दलों की सरकारों द्वारा शासित राज्यों में पुलिस को गौरक्षकों पर कार्रवाई करने का बहाना मिल जायेगा। यदि आप वाकई सही गौरक्षक हैं तो भी आपको फर्जी माने जाने का खतरा रहेगा। विरोधी दलों की सरकारें इस बयान की आड़ में भाजपा कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित करने का बहाना ढूँढेंगी। अब गायों को बचाने के लिए या तो कोई गौरक्षक सामने आयेगा ही नहीं, अगर आया तो उसके लिए मुश्किल होगा कि वह कैसे साबित करे कि वह फर्जी नहीं है। और, गौरक्षक नहीं होंगे तो गौवंश की रक्षा में मुश्किल होगी। गायों को मारने वाले स्वतंत्र हो जायेंगे जो मानव समाज के लिए बहुत दिक्कतें पैदा करेगा।

गौवंश महज कोरा हिंदू मिथ नहीं है बल्कि वह एक आर्थिक पशु है, जिससे मानव जाति को कई तरह के लाभ होते हैं। गौवंश से प्राप्त होने वाले उत्पादों को देखते हुए ही हिंदू मान्यताओं में गाय को जगह दी गयी होगी। गाय की रक्षा करना सतत् विकास का एक नमूना है। नवजात शिशु से ले कर बुजुर्ग तक इसके लाभान्वित होते हैं। इसके दूध से बनने वाले खाद्य पदार्थ, जो अत्यंत ही पौष्टिक होते हैं, से ले कर इसके गोबर से बनने वाली खाद, ईंधन के अलावा कृषि कार्य और परिवहन प्रणाली में इसकी उपयोगिता को देखते हुए ही इसे मानव मात्र के लिए महत्वपूर्ण माना गया और धार्मिक मान्यताओं में इसे जगह दी गयी। मानव और विभिन्न पशुओं की सहजीविता को देखते हुए ही हिंदू मान्यताओं में इन पशुओं को प्रतीक के तौर पर शामिल किया गया।

गौरक्षकों पर मोदी के संक्षिप्त बयान के फलितार्थ खतरनाक हो सकते हैं। 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से मोदी को इस बयान का विस्तारीकरण करना होगा ताकि फर्जी गौरक्षकों से भी देश की रक्षा हो और गायों की भी रक्षा हो। निश्चित तौर पर गौरक्षा की आड़ में स्वयंभू ठेकेदारों द्वारा की जाने वाली फर्जी गतिविधियों पर रोक लगनी चाहिए लेकिन साथ ही मोदी को यह बताना होगा कि गौवंश की उन्नति और रक्षा के लिए सरकार की योजना क्या है? मोदी को उस प्रणाली की जानकारी देनी होगी जिससे फर्जी गौरक्षक भी अपना जाल न फैला सकें और गौवंश की रक्षा भी हो।

(देश मंथन 13 अगस्त 2016)

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