देश मंथन डेस्क
तो उत्तर प्रदेश चुनाव में समाजवादी पार्टी लाई कब्रिस्तान?

अभिरंजन कुमार, वरिष्ठ पत्रकार :
जब मैंने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा कि ‘चुनाव के उत्सव में कब्रिस्तान और श्मशान कहाँ से ले आए मोदी जी?’, इसके बाद मेरे पास तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आई हैं। जो प्रतिक्रियाएं मेरे सवाल के साथ सहमति में आईं, उन्हें सामने रखने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उनकी बात तो मैं कह ही चुका हूँ, लेकिन जो प्रतिक्रियाएं असहमति में आईं हैं, उन्हें स्पेस देना भी जरूरी लग रहा है।
जैसलमेर में तनोट देवी का चमत्कारी मंदिर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
देश के कुछ चमत्कारी मंदिरों में शामिल है तनोट भवानी का मंदिर। यह मंदिर राजस्थान में जैसलमेर शहर से 130 किलोमीटर दूर पाकिस्तान की सीमा पर है। तनोट भवानी मंदिर को पाकिस्तान हिंगलाज भवानी का रूप माना जाता है।
वाह रे मुख्तार तेरी माया, भैया ने ठुकराया, बहन जी ने अपनाया!

अभिरंजन कुमार, वरिष्ठ पत्रकार :
यह मेरे मुस्लिम भाइयों-बहनों का सौभाग्य है या दुर्भाग्य, कि देश से लेकर प्रदेश तक के चुनावों में ध्रुवीकरण की राजनीति की मुख्य धुरी वही बने रहते हैं? उनका समर्थन और वोट हासिल करने के लिए राजनीतिक दलों को कौन-कौन से पापड़ नहीं बेलने पड़ते!
राजनीति बतर्ज मुख्तार अन्सारी

क़मर वहीद नक़वी, पत्रकार :
पार्टियाँ न दाग देखती हैं, न धब्बा, बस बाहुबल, धनबल, धर्म, जाति के समीकरणों की गोटियाँ बिठाती हैं। आपको हैरानी होगी जान कर कि अभी उत्तराखंड में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पूरा जोर लगा कर बीजेपी के जिस नेता को काँग्रेस का टिकट दिलवाया है, उसके खिलाफ काँग्रेस की ही सरकार ने 2012 में साम्प्रदायिक उन्माद भड़काने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था! बीजेपी भी पीछे नहीं है।
समाजवादी गठबंधन को धूल चटाने को बीजेपी-बीएसपी बना सकती है हिडेन एलायंस!

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
समाजवादी+कांग्रेस गठबंधन से यह तय हो गया है कि उत्तर प्रदेश में इस बार मतदाताओं के पास जाति और धर्म से अलग जा कर मतदान करने का विकल्प सीमित या समाप्त हो गया है। विकास का नारा सिर्फ नारा रहेगा, लेकिन मतदान करने के लिये जाति और धर्म ही सबसे बड़ा इशारा रहेगा।
राजनीतिक दलों को पुरानी छूट पर नया बवाल

राजीव रंजन झा :
अचानक एक खबर आयी और नोटबंदी का विरोध करने वाले चेहरे मानो जीत के एहसास से खिल उठे - देखो, हम कहते थे ना कि काला धन रखने वाले नेताओं का कुछ नहीं बिगड़ेगा।
कमाई में सफेदी की दरकार

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
बहुत तेज बर्फबारी और कड़ाके की ठंड के बीच मैं अमेरिका के बफैलो एयरपोर्ट पर खड़ा था। मुझे वहाँ से फ्लोरिडा जाना था। आमतौर पर हम कहीं भी आते-जाते हैं तो पहले से विमान का टिकट खरीद चुके होते हैं, होटल और टैक्सी वगैरह की बुकिंग करा चुके होते हैं।
तेरा धन, न मेरा धन!

कमर वहीद नकवी, पत्रकार :
सरकार को उम्मीद है कि अगले डेढ़-दो वर्षों में वह बिना नकदी की अर्थव्यवस्था के अपने अभियान को एक ऐसे मुकाम तक पहुँचा देगी, जहाँ से वोटरों को, खास कर युवाओं को देश के 'आर्थिक कायाकल्प' की एक लुभावनी तस्वीर दिखायी जा सके।
आतंकवाद की आड़ लेकर नोटबंदी का विरोध

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
जिस देश ने 70 साल धैर्य रखा, उसी देश में कुछ लोग 17 दिन में ही अधीर हुए जा रहे हैं। नोटबंदी के आलोचक तरह-तरह की दलीलों के साथ सरकार पर हमले कर रहे हैं। एक दलील यह भी है कि इससे आतंकवाद पर लगाम नहीं लगेगी, बल्कि उल्टे आतंकवाद और बढ़ेगा।
‘सिविल कोड नहीं, तो वोट नहीं!’

क़मर वहीद नक़वी, पत्रकार :
संघ के एक बहुत पुराने और खाँटी विचारक हैं, एम.जी. वैद्य। उनका सुझाव है कि जो लोग यूनिफार्म सिविल कोड को न मानें, उन्हें मताधिकार से वंचित कर देना चाहिए। खास तौर से उनके निशाने पर हैं मुसलमान और आदिवासी। उन्होंने अपने एक लेख में साफ-साफ लिखा है कि 'जो लोग अपने धर्म या तथाकथित आदिवासी समाज की प्रथाओं के कारण यूनिफार्म सिविल कोड को न मानना चाहें, उनके लिए विकल्प हो कि वह उसे न मानें। लेकिन ऐसे में उन्हें संसद और विधानसभाओं में वोट देने का अधिकार छोड़ना पड़ेगा।'



अभिरंजन कुमार, वरिष्ठ पत्रकार :
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 




