घेरेबंदी जैसी नोटबंदी और जाम में फँसे लोग

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राजीव रंजन झा : 

नोटबंदी से लोग बहुत परेशान रहे, कुछ लोग पुलिस की घेरेबंदी से भी होते हैं। घेरेबंदी और नोटबंदी में बहुत फर्क है क्या!  

कभी-कभी सड़कों पर जाम लगा मिलता है, ऐसे समय और ऐसी जगह जहाँ आम तौर पर जाम नहीं लगता हो। थोड़ा आगे जा कर पता चलता है कि पुलिस घेरेबंदी के चलते जाम लगा है। बड़ी कोफ्त होती है ऐसे मौके पर। मन में यही आता है कि फालतू में रोड जाम कर रखा है। 

कभी किसी दिन बाद में पता चलता है कि जहाँ जाम में फँसे थे, वहाँ किसी बदमाश का एनकाउंटर हो गया। ऐसा नहीं होता कि पुलिस जब भी घेरेबंदी करे, तो हर बार कोई एनकाउंटर हो जाये। बहुत-सी घेरेबंदियों के बाद पुलिस खाली हाथ रह जाती होगी। पर इसका मतलब यह भी नहीं होता कि घेरेबंदी बेकार तरीका है। 

वैसे कुछ भद्र लोग कह सकते हैं कि पुलिस को बदमाशों को पकड़ना है तो पकड़े न, हम लोगों को क्यों परेशान किया? बदमाशों के अड्डे पर छापे मारे ना, सबके लिए सड़क क्यों जाम कर दिया? इन भद्र लोगों को यही शुक्र मनाना चाहिए कि पुलिस ने उनसे बीमा और प्रदूषण वाले कागज नहीं माँगे। चालान तो उनका भी कट सकता था! 

चलिए, राहत महसूस कीजिये कि अब जाम खुल गया है। आरबीआई ने एटीएम से पैसे निकालने की सीमा खत्म कर दी है। और हाँ, अब खाली पड़े एटीएम में भी पैसे मिल जाते हैं…

(देश मंथन, 30 जनवरी 2017)

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