पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
अगस्ता वेस्टलैंड घूस कांड में नेता, नौकरशाह और सैन्य अधिकारियों के साथ मीडिया की भी संलिप्तता ने पत्रकार बिरादरी का सिर शर्म से झुका दिया। पेड न्यूज का घिनौना चेहरा खुल कर सामने आया।
मुख्य अभियुक्त ब्रिटिश दलाल मिशेल को 60 मिलियन यूरो दिए गये थे 22 महीने तक इस मामलों में मीडिया की जुबान बंद रखने के लिए। दो राय नहीं कि मीडिया में कई बदनाम चेहरे हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि सैकड़ों करोड़ की संपत्ति उनके पास है।
उनमें भी कुछ पूछने लगें हैं कि वे कौन हैं जो इस लूट के हिस्सेदार बने? स्टिंग के नाम पर ब्लैकमेल से करोड़ों ऐंठने वालों पर आज तक कोई कार्रवाई पुलिस ने नहीं की, जबकि केंद्र में मोदी सरकार है। लोग हेलीकाप्टर खरीद घोटाले के हिस्सेदार मीडिया घरानों और पत्रकारों के बारे में पूछ रहे हैं। कौन? लेकिन नहीं लगता कि उनके नाम जल्दी सामने आएंगे। हालाँकि यह सच है कि पिछले चार साल के दौरान 360 करोड़ की दी गयी घूस के समाचारों से मीडिया ने दूरी बना कर रखी। इससे अब यह पूरी तरह से साबित हो चुका है कि दाल में काला था। बहुत ताकतवर हो चुके हैं ये मीडिया घराने और आज तक किसी भी सरकार ने इनसे सीधे पंगा लेने की कोशिश नहीं की है। यदि कोशिश की होती तो पत्रकारों व गैर पत्रकारों के लिए गठित वेतन आयोगों की रिपोर्टों पर पूरी तरह से अमल होता और मीडियाकर्मी मुफलिसी में जीने पर मजबूर न होते।
वर्तमान एनडीए सरकार का तेजाबी परीक्षण आगामी दिनों में होने जा रहा है। फिलहाल तो चाल सुस्त है। वाड्रा महाशय जमीन घोटाले के बावजूद आजाद घूम रहे हैं। नेशनल हेराल्ड मामला, जिसमें माँ-बेटे जमानत पर हैं, कछुआ चाल चलता रहेगा। अब यह ताजा घूसकांड, जिसके बारे में कहा जाता है कि दलाली से मिले 10% हिस्से का आधे से ज्यादा यानी 52% सत्तारूढ़ दल के नेतृवर्ग और उसके सलाहकार नेताओं को मिला है। शेष रकम का 28 नौकरशाहों और 22% सैन्य अधिकारियों में बंटा। कोई लाख सफाई दे मगर यह तय है कि इटली की कंपनी को फायदा दिलाने के लिये हेलीकाप्टर की उड़ान सीमा छह हजार से घटा कर साढ़े चार हजार मीटर किया जाना देश की सुरक्षा के साथ भी भयावह खिलवाड़ था, जबकि यह कंपनी 2002 में ट्रायल के दौरान इसी वजह से अयोग्य करार दे दी गयी थी ?
राजनेताओं से जुड़े आपराधिक मामलों की फास्ट ट्रैक के तहत रोज सुनवाई और त्वरित फैसला क्या समय की माँग नहीं? फिलहाल करोड़ टके का सवाल यही है कि क्या मोदी सरकार ऐसा कुछ करेगी और देश को लूटने वाले लंबे समय के लिए जेल की सलाखों के पीछे होंगे ?
(देश मंथन, 02 मई 2016)