मोहनीश कुमार, (इंडिया टीवी, वरिष्ठ पत्रकार)
उल्टे बांस बरेली… बचपन से ये मुहावरा सुनते आये हैं… अब दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को इस मुहावरे को चरितार्थ करते देख रहे हैं…
चुनाव से पहले दिल्ली को पानी देने को तैयार बैठी हरियाणा की बीजेपी सरकार के सुर में दिल्ली में मिली हार के बाद बदलाव आ गया है… केंद्र की बीजेपी सरकार की शह पर खट्टर सरकार पानी देने पर अब आना कानी करने लगी है… ऐसे में केजरीवाल ने भी पलटवार कर दिया है… केजरीवाल ने साफ कर दिया है कि अगर दिल्ली को पानी नहीं मिला को अब वीआईपी इलाकों में पानी की कटौती होगी… सिर्फ राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास और दूतावासों को पूरा पानी दिया जाएगा… बाकी चाहे मुख्यमंत्री हो, मंत्री हो, सांसद हो, विधायक हो या बड़े-बड़े अधिकारी… सबको पानी की कमी की मार झेलनी होगी…
कई साथियों को लगता है कि केजरीवाल गलत कर रहे हैं… ब्लैकमेल कर रहे हैं… लेकिन क्या दिल्ली की जनता को भी यही लगता है… पानी की समस्या कोई नयी नहीं है… दिल्ली को ज़्यादातर पानी हरियाणा और यूपी से ही मिलता है… यूपी सरकार तो पानी देने को तैयार है… लेकिन हरियाणा की बीजेपी सरकार नाटक कर रही है… हर बार पानी की कटौती जनता झेलती है… वीआईपी इलाकों में रहने वाले नेता और अधिकारी को तो इसका एहसास भी नहीं होता है… “जाके पाँव न फटी बिवाई वह क्या जाने पीर पराई”… इस बार सब मिलकर झेलेंगे… तो शायद इनको भी एहसास होगा कि पानी कितनी बड़ी समस्या है… शायद दिल्ली में यमुना के अलावा पानी के नये स्रोत की भी तलाश होगी… सबके पैर में बिवाई फटेगी तो मरहम का भी इंतजाम हो जायेगा…
पानी के बाद बारी आने वाली है बिजली की… गर्मी में जब दिल्ली में बिजली की खपत बढ़ेगी तो कटौती भी होगी… उम्मीद है इस बार या तो दिल्ली को ज्यादा बिजली मिलेगी या वीआईपी इलाकों में भी पंखे और एसी बिना बिजली के टंगे के टंगे रहेंगे… वैसे भी बिजली कंपनियों को केजरीवाल सरकार के आते ही बकाया पैसों की याद आनी शुरू हो गयी है… यानी बिजली का झटका देने की भूमिका गढ़ी जाने लगी है।
(देश मंथन, 26 मार्च 2015)