आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
आम आदमी पार्टी में कई मित्र हैं, बहुत से मित्र परेशान हैं, कुछ का कहना है कि अब केजरीवाल का पतन शुरू हो जायेगा।
मेरा निवेदन उनसे है, केजरीवाल के पतन का हाल के घटनाक्रम से कोई लेना-देना नहीं है। हाल के वोट खालिस केजरीवाल के नाम पर पड़े थे, अगले चुनाव में थोड़े उनके नाम पर, थोड़े उनके काम पर पड़ेंगे।
आम आदमी पार्टी है, जी पार्टी है, पर अरविंद केजरीवाल की पार्टी है।
कांग्रेस यूँ पार्टी है, जिसमें तमाम तरह की बाडीज हैं, सीडब्लूडी, ए्आईसीसी, वगैरह-वगैरह, पर वह सिर्फ गाँधी परिवार की पार्टी है।
एआईडीएमके सिर्फ जयललिता की पार्टी है।
डीएमके करुणानिधि परिवार की पार्टी है।
जेडीयू खालिस नितीश बाबू की पार्टी है, वैसे, जैसे राष्ट्रीय जनता दल खालिस लालू परिवार की पार्टी है।
मोदी चाहें, तो भी भाजपा को ऐसी व्यक्ति-केंद्रित पार्टी ना बना पायेंगे, वह संभव भी ना हो पायेगा। भाजपा का पार्टी-ढांचा अलग है।
केजरीवाल दिल्ली का चुनाव ना योगेंद्र यादव की वजह से जीते थे ना शांति भूषण की वजह से।
मुफ्त वाई-फाई, मुफ्त पानी, मुफ्त पानी का मुफ्तखोर विचार योगेंद्र यादव या शांति भूषण के विचार से बहुत बड़ा विचार है।
केजरीवाल जी ने जितना प्रामिस किया है, उसका 25% भी, मैं फिर कह रहा हूँ कि पच्चीस% भी पांच साल में डिलीवर कर दिया, तो केजरीवाल दोबारा आयेंगे, फुलटू मुफ्तखोरी के तमाम वादों के साथ।
मुफ्तखोरी बहुत बड़ा और हिट विचार है, इस बात को अरविंद केजरीवाल खूब समझते हैं, इतने विचारवान वह हैं।
मुझे आम आदमी पार्टी के पतन के कोई संकेत आनेवाले पाँच सालों में नहीं दिखते और उसके बाद भी नहीं दिखेंगे, अगर मुफ्तखोरी कायम रहे, तो।
योगेंद्र यादव, शांति भूषण बहुत बड़े विचारक हैं, पर मुफ्तखोरी से ज्यादा बड़ा चालू विचार भारतीय विचार भारतीय राजनीति में कोई नहीं है। आंध्र से लेकर तमिलनाडु से लेकर दिल्ली ने बार-बार इसे साबित किया है।
(देश मंथन, 18 मार्च 2015)