राजीव रंजन झा :
नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच दोस्ती तस्वीरों के लिए अच्छी है। मोदी और बराक ओबामा की दोस्ती भी तस्वीरों के लिए बहुत अच्छी थी। और तस्वीरें तो मोदी के साथ शी जिनपिंग की भी बहुत अच्छी थीं।
भारत और अमेरिका दोनों अपने-अपने हितों के लिए जोरदार मोल-भाव कर रहे हैं। दोनों एक-दूसरे के लिए अपनी अहमियत जानते हैं, दूसरे को क्या दे सकते हैं यह जानते हैं और दूसरे से पाना क्या है यह भी जानते हैं। यह दिखता है कि दो ताकतवर देश कुछ लेन-देन करने की कोशिश कर रहे हैं। 10-15 साल पहले से यह अंतर आया है कि तब भारत अमेरिका की दादागिरी की शिकायत करता था और अब अमेरिका शिकायत कर रहा है कि भारत उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा है।
अमेरिका की घरेलू राजनीति में डेमोक्रेटिक दल को ज्यादा भारतीयों का समर्थन मिलता रहा है। मगर वैश्विक मंचों पर डेमोक्रेटिक दल की सरकारें भारत की तुलना में पाकिस्तान की ओर झुकी रहीं या दोनों देशों को बराबर तौलने की कोशिश करती रहीं। रिपब्लिकन दल के डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक कूटनीति में भारत का ज्यादा साथ दिया है। साथ ही अब अमेरिका में हर बात में भारत को पाकिस्तान के संदर्भ में देखना बंद किया है, यह समझा है कि भारत के साथ उसके आर्थिक संबंध ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
इस संदर्भ में देखें तो अमेरिकी राष्ट्रपति का केवल भारत की यात्रा पर आना अपने-आप में एक संदेश देता है। यह सही है कि डोनाल्ड ट्रंप को घरेलू राजनीति में भारतीयों का समर्थन चाहिए। ह्यूस्टन के हाऊडी मोदी में ट्रंप का आना भी यही दिखाता है और भारत में बड़ी संख्या में लोगों का स्वागत किये जाने की बात को लेकर उनका प्रफुल्लित होना भीं। भारत सीधे अमेरिकी चुनाव में दखल दे, इसकी वकालत नहीं होनी चाहिए। लेकिन रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दलों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा हो भारतीयों का समर्थन पाने की, यह बात भारत के लिए अच्छी है।
इसलिए भारत के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को इस बात का मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। हर भारतीय को इस पर खुश होना चाहिए कि अमेरिकी राष्ट्रपति अपने घर में हमारा समर्थन पाने के लिए लालायित है। इसमें हमारी ताकत दिखती है। और अगर ट्रंप दोबारा जीत कर नहीं आते हैं, तो भी कोई बात नहीं। जिस तरह मोदी ने डेमोक्रेटिक बराक ओबामा से दोस्ती निभायी और उसके बाद रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप से, उसी तरह वे नये डेमोक्रेटिक अमेरिकी राष्ट्रपति से भी दोस्ती निभा लेंगे।
(देश मंथन, 23 फरवरी 2020)