पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
अंतिम तीन गेंदों तक जीत रही टीम हार गयी…!!
वाकई यह जेम्स हेडली चेज के किसी भी थ्रिलर को मीलों पीछे छोड़ने वाला रोमांचक द्वंद्व था। एक टीम जो हारने के सारे जतन करती नजर आयी, जिसने प्रतिपक्षी टीम के रन बनाने वाले सभी बल्लेबाजों को जमने के पहले जीवनदान देने में कोताही नहीं की।
यही नहीं मिसफील्ड और ओवर थ्रो से उपहार में रन दिए गये। कप्तान भी पिच का मिजाज भाँपने में नाकाम रहा और उसमें मौजूद टर्न की अनदेखी कर उसने पूर्वनियोजित रणनीति पर चलते हुए पेस पर भरोसा किया, जो एक समय काफी महँगा प्रतीत होता लगा। मुकाबले के 40वें ओवर की अंतिम तीन गेंदों पर जीत के लिए सिर्फ दो रन, पास में चार विकेट। लेकिन यहीं मुकाबले का क्लाइमेक्स देखिए कि जो टीम हार के दहाने पर थी, यहीं से हैरत अंगेज यानी चामत्कारिक वापसी करती है और लगातार तीन विकेट गिरा कर बल्लेबाजी वाली टीम के जबड़े से जीत छीन लेती है।
यही है कहानी बंगलोर के चिन्नास्वामी स्टेडियम में पिछली रात खेले गए टी-20 के अहम लीग मुकाबले की जिसमें मेजबान भारत नें एक रन की संकीर्णतम जीत हासिल करते हुए जहाँ अपनी उम्मीदों को जिंदा रखा वहीं जुझारू मगर अनुभव के मारे बांग्लादेश की लगातार इस तीसरी पराजय के साथ ही कप की दौड़ से दुर्भाग्यपूर्ण विदाई हो गयी।
टास हार कर जब भारत को पहले बल्लेबाजी पर विवश होना पड़ा, तभी मुझे धोनी के धुरंधरों का पलड़ा भारी नजर आने लगा था बावजूद मेजबान कप्तान के इस बयान के कि हम भी पहले गेंदबाजी पसंद करते। कारण था विकेट और मौसम जिसमें कुछ नमी थी। पिच पर पहला मैच था। शाम को ओस भी नहीं पड़ने वाली थी। ऐसे में तीन अंकों के पार वाले किसी भी लक्ष्य का पीछा कोई आसान काम नहीं था। दूसरे, भारतीयों को बिना किसी दबाव के बल्लेबाजी का अवसर हाथ लगा था। अभी तक हत्थे से उखड़े शीर्ष क्रम को मौका था फार्म में वापसी का। दो राय नहीं कि अर्से बाद रोहित-धवन की जोड़ी ने 40 से ज्यादा रन जरूर जोड़े परंतु अच्छी शुरुआत को दोनों बढ़िया साझेदारी में तब्दील करने में फिर नाकाम रहे और घटिया शाट्स पर चलते बने। कोहली ने हमेशा की तरह मोर्चा संभाला और टीम में बरकरार रहने को लेकर भयानक दबाव से गुजर रहे रैना के साथ अर्धशतकीय साझेदारी जरूर की। मगर बांग्लादेशियों के, चाहे पेस रहा हो या स्पिन, अनुशासित आक्रमण नें भारतीयों की एक बारगी तो खाट खड़ी कर दी थी जब एक के बाद एक कोहली (24), रैना (30), युवराज और हार्दिक पंड्या (गजब के कैच पर आउट) निकल लिए तब मामला फँसा दिखा। परंतु एक बार फिर धोनी ने कुछ अच्छे हाथ दिखाए जडेजा और अश्विन के साथ। अंतिम गेंद पर जिन दो रनों के साथ उन्होंने टीम को जो 146 पर पहुँचाया, वे कितने अमूल्य रहे होंगे, क्या अब भी यह बताना पड़ेगा ?
पिच स्पंजी थी। गेंद न सिर्फ ठहर कर आ रही थी बल्कि उसमें टर्न भी था। दूसरे हाफ में अश्विन ने पहले ही ओवर में न सिर्फ बोहनी करायी बल्कि विकेट से अद्भुत टर्न और बाउंस भी पाया। मगर धोनी शायद तब भी नहीं समझ पाये जब रैना ने भी आते ही विकेट ले लिया। यहीं जरूरत थी पार्ट टाइम स्पिनर्स मगर आईपीएल में हैट्ट्रिक ले चुके युवराज और रोहित शर्मा की जोड़ी को झोंकने की और रैना को भी जारी रखना समय की माँग थी। मगर माही ने बुमराह और हार्दिक पर भरोसा किया जो दाँव गलत साबित हुआ। शुरू में दो जीवनदान पा चुके तमीम इकबाल (35) और शब्बीर। (26) ने दोनों की जम कर धुनाई की। आसान कैच छोड़ने वाले बुमराह चार चौके खा गये तो हार्दिक ने भी आने के साथ 11 रन लुटा दिए। रन बह रहे थे। जडेजा की गेंदे और गजब ढातीं यदि वो शुरू में लगे होते और तमीम के अलावा साकिब और निचले मध्यक्रम में उतरे सौम्य सरकार के यदि कैच न छूटे होते तो मुकाबला इतना नजदीकी न रहता और बांग्लादेश कब का ढह गया होता।
सच तो यह है कि अंतिम तीन गेंदों ने सारा अंतर कर दिया। आप सोच नहीं सकते कि दो चौके पड़ने के बाद फिजाओं में बांग्लादेश की जीत की महक आने लगी थी। पर देखिए टीम के सबसे प्रतिभाशाली बल्लेबाज महमूदुल्ला बजाय सिंगल लेने छक्के से जीतने के चक्कर में ‘मारे गए गुलफाम’ हो गये।
शुरुआती रणनीतिक चूक के बावजूद धोनी ने अंतिम ओवर में जिस तरह की कड़ी मनोदशा दिखायी और अंतिम गेंद पर दायाँ दस्ताना निकाल फेंका, वह उनकी चतुराई का द्योतक था। यानी यह तय था कि बल्लेबाज बाई से भी सिंगल न चुरा न सकें। यहाँ धोनी स्प्रिंटर फुटबालर थे और कर दिया मीलों से रन आउट। यही नहीं उन्होंने जो दो स्टम्पिंग कीं, उनमें दूसरी वाली सचमुच विद्युतीय कही जाएगी।
जिस बुमराह ने हाथ की फिसलन से नेहरा की पारी की पहली ही गेंद पर चौका गिफ्ट कर दिया, जिसने कैच छोड़ कर अश्विन को तमीम को चलता करने से वंचित किया और जिसने अपने ओवर में 16 रन लुटा दिए थे, उसी ने हमेशा की तरह डेथ ओवरों में सटीक यार्कर्स के साथ कसावट भरी गेंदबाजी से परिमार्जन भी कर लिया। जिस पंड्या को हटाने की बात हो रही थी, समय ने दिखा दिया की वह कितने काम के गेंदबाज हैं। हम यह न भूलें कि साकिब का छह रन पर अश्विन ने कैच छोड़ कर पंड्या को उनके दूसरे ओवर में ही सफलता से महरूम कर दिया था।
कुल मिला कर टास हारना मेजबानों को फला, यह मानना ही होगा ही और यह भी कि 27 को आस्ट्रेलिया से भिड़ंत में टीम एकजुट दिखेगी ? आपके साथ मुझे भी इंतजार रहेगा
(देश मंथन, 26 मार्च 2016)