बर्थडे पर खास : सर्वहारा हनुमान

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सुशांत झा, पत्रकार :

आज बजरंग बली का बर्थ डे है। सभी भक्तों को बधाई और कॉमरेडों से सहानुभूति। वैसे देखा जाए तो हनुमान जी रामजी के सेवक थे, तो ऐसे में वे सर्वहारा हुए। कम्युनिस्टों को अभी तक क्लेम कर देना चाहिए था। कम से कम हनुमान भक्तों के एक विशाल तबके को वो अपनी तरफ खींच सकते थे।

स्वर्गीय (और प्रात:स्मरणीय) राजेंद्र यादव ने हनुमान को इतिहास का पहला आतंकवादी कहा था, जिन्होंने श्रीलंका नामके रावण के संप्रभु राज्य में घुसपैठ कर तोड़फोड़ और आगजनी की थी। उस हिसाब से अगर सोचें तो हमारे कम्युनिस्ट भाई ये माँग कर सकते हैं कि भारत सरकार को हनुमान भक्तों की तरफ से लंका सरकार से लिखित माफी माँग लेनी चाहिए। अगर वे चाहें तो हनुमान की उसी तरह से आलोचना कर सकते हैं जैसे वे भारतीय सेना की कश्मीर या उत्तर-पूर्व में बहाली पर करते हैं।

एक बार मशहूर पत्रकार रवीश कुमार ने लिखा था कि हनुमान का जलवा कम हो रहा है और सूर्य-पूत्र शनि उन्हें कई इलाकों में बीट कर रहे हैं। औद्यौगिक शहरों में शनि का जलवा बढ़ रहा है। लगता है कि बाप का बदला बेटा ले रहा है- हनुमान ने सूर्य को एक बार निगल लिया था! अब शनि, हनुमान को पछाड़ रहे हैं। 

वैसे हनुमान हैं भले ही सेवक प्रजाति के, लेकिन असली कम्युनिस्ट शनि हैं। वो विद्रोही हैं। शास्त्र कहते हैं कि वो अपनी माँ के हक में अपने बाप से लड़े। उन्हें न्याय का देवता कहा जाता हैं, बड़े-बड़ों को धूल चटा दी केजरीवाल के अंदाज में। शनि का जलवा वहाँ हैं जहाँ कामगारों की संख्या हैं, जहाँ लोहा-लक्कड़ का व्यवसाय है। यानी शनि ट्रेड यूनियन के नेता टाइप हुए। हनुमान सेवक प्रजाति के हो कर भी विद्रोही नहीं हैं, वे मालिक की हाँ-में हाँ-मिलाते हैं। लगता है कि हनुमान कांग्रेसी दलित है और शनि, बसपा के दलित हे। बाबा साहब की धारा वाले। 

हनुमान मंदिर की संख्या ज्यादा है, लेकिन चढ़ावे शनि मंदिरों में बरस रहे हैं। यानी जनमत भले हनुमान के पास हो, लेकिन कमिटेड कैडर शनि के पास हैं। शनि-वाले टीवी चैनलों पर खास किस्म का स्लाउट ले रहे हैं, हनुमान के पल्ले चलताऊ शो आ रहे हैं।

हनुमान को सहूलियत के हिसाब से हिंदूवादी और कॉमरेड दोनों क्लेम कर सकते हैं- लाल रंग होने के कारण। लेकिन शनि पर कॉमरेडों का पक्का दावा है। शनि काले रंग वाले हैं- जो प्रोटेस्ट का प्रतीक है। और प्रोटेस्ट तो सिर्फ कॉमरेडों का हक है!

लेकिन चूँकि हनुमान को व्यवस्था (यानी राम) का संरक्षण हासिल है, तो NCERT की कॉमरेडिया सिलेबसों की तरह वे अभी तक मुख्यधारा में बने हुए हैं। शनि को वो दर्जा हासिल करने में एकाध पीढ़ी लगेगी। अब देखिए न हनुमान जयंती ट्विटर पर भी ट्रेंड कर रहा है। शनि जयंती कहाँ करता है! 

हनुमान की इन तमाम खामियों के बावजूद मैं तमाम हनुमान भक्तों को फिर से बधाई देता हूँ। आप लोग दूधों नहाएँ और पूतों फलें।

(देश मंथन, 22 अप्रैल 2016)

 

 

 

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