हिन्दी शूड बी प्रोमोटेड !!

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अजय अनुराग :

हिन्दी के प्रति हमारा दृष्टिकोण या तो सहानुभूति का रहा है या फिर संकोच का। सहानुभूति रखने के कारण हम उसके अस्तित्व को लेकर दुखी रहते हैं तो संकोच के कारण अंग्रेजी के समक्ष हम उसे दोयम दर्जे की भाषा समझते हैं।

हिन्दी-प्रयोग को लेकर जब तक हमारे मन में सम्मान और आत्मविश्वास का भाव नहीं आएगा तब तक हिन्दी भाषा और हिन्दी भाषी लोग पिछड़ते ही रहेंगे

वे लोग मासूम और नादान हैं जो भाषा को केवल अभिव्यक्ति का माध्यम समझते हैं।

 (देश मंथन, 16 सितंबर 2015)

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