एक अमेरिका है और एक भारत

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नदीम एस अख्तर, वरिष्ठ पत्रकार :

अमेरिका ओसामा बिन लादेन को मारने के अपने सबसे खुफिया अभियान के दस्तावेजों को सार्वजनिक कर देता है। उसे जनता के सामने ला देता है।

इसमें उसे कोई National Threat नहीं दिखता। और ये काम बहुत तेजी से किया जाता है। वहाँ सब कुछ खुला है। सबकी जवाब देही तय है। कोई उससे भाग नहीं सकता। जनता सर्वोपरि है। अद्भुत लोकतन्त्र है।

एक भारत है, जहाँ आजादी के छह दशक बाद भी हम नहीं जान पाये कि हमारे स्वतन्त्रता सेनानी सुभाष चन्द्र बोस क्या वाकई प्लेन क्रैश में मरे थे या फिर कोई और कहानी थी? कितनी सरकारें आईं और गईं। लेकिन विदेशों से भारत सरकार को मिले नेताजी संबंधित डॉक्युमेंट्स पर सब कुन्डली मारकर बैठ गये। सारे नेता मिलकर देश को अन्धेरे में रखे हुये हैं।

अरे नेताजी की मौत कब और कैसे हुई, अगर इसकी जानकारी आजाद भारत की सरकार के पास है तो उसे पब्लिक को बताने क्या हर्ज है भाई?! ये जानना तो हम सब का हक है। आप कौन होते हैं उस जानकारी को हमसे छुपाने वाले?!

जनता को उम्मीद थी कि प्रचन्ड बहुमत से केन्द्र में आयी नरेन्द्र मोदी की सरकार इस मामले में सच पब्लिक के सामने लायेगी। मोदी जब जर्मनी में थे, तब नेताजी के रिश्तेदारों ने उनसे वहाँ मिलकर सच को सामने लाने की दरख्वास्त की, मोदी ने भरोसा भी दिलाया। लेकिन वतन लौटते ही मोदी सरकार भी पलट गयी।

हम दुनिया के सबसे विशाल प्रजातन्त्र का ढोल भले पीटते रहें। लेकिन हकीकत में हमारे यहाँ प्रजातन्त्र खोखला है। असली प्रजातन्त्र तो अमेरिका दिखाता है। वहाँ जनता सुप्रीम है, राज करने वाला नेता नहीं।

एक बात और। अमेरिका में नागरिक अधिकार और आपकी स्वतन्त्रता के प्रति चेतना इतनी प्रबल है कि कोई भी किसी आम नागरिक को हल्के में नहीं ले सकता। ना पुलिस, ना नेता और ना ही शासन-प्रशासन का कोई अन्य अंग।

अब आप भारत में आ जाइए। यहाँ अंग्रेजों की – राज करने वाली पुलिस – की तर्ज पर बनाए गये आपके सिस्टम में एक सिपाही भी बिना बताए एक नागरिक को रातभर हवालात में रख सकता है और आप उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते।

(देश मंथन, 21 मई 2015)

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