परंजय गुहा ठाकुरता, वरिष्ठ पत्रकार : यह प्रमाणित करना इतना आसान नहीं होगा कि कोयला घोटाले के षडयंत्र में भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शामिल थे। मैं समझता हूँ कि पैसा किसने लिया, किससे लिया, पैसा लिया कैसे, यह सब प्रमाणित करना आसान काम नहीं है। यह शायद कभी भी नहीं हो सकता है। मगर जो […]
परंजय गुहा ठाकुरता, वरिष्ठ पत्रकार :
यह प्रमाणित करना इतना आसान नहीं होगा कि कोयला घोटाले के षडयंत्र में भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शामिल थे। मैं समझता हूँ कि पैसा किसने लिया, किससे लिया, पैसा लिया कैसे, यह सब प्रमाणित करना आसान काम नहीं है। यह शायद कभी भी नहीं हो सकता है। मगर जो मनमोहन सिंह ने किया, वह अलग है। बहुत सारी कमियाँ रहीं। आप प्रधानमंत्री थे और खुद कोयला मंत्री भी थे। आप खुद कह रहे थे कि इसको नीलाम करना चाहिए, मगर इसके बावजूद नीलामी की प्रक्रिया कराने में आठ साल लग गये। ये राजनीतिक कमियाँ हैं, इसमें कोई अपराधिक मामला नहीं है। मगर आप अपराधी हैं, आप ने कोई षड़यंत्र किया, आप ने सरकार को नुकसान कराया, आप ने खुद पैसा खाया, या पार्टी के लिए पैसा खाया, यह सब प्रमाणित करना तो बहुत मुश्किल काम है। इन बातों के सबूत मिलना मुश्किल है।
जहाँ तक उन्हें सम्मन की बात है, तो इस बार ही क्यों, इससे पहले भी सीएजी की दो रिपोर्ट आयी थी तो मनमोहन सिंह ने खुद जवाब दिया। उन्होंने खुद कहा था कि अगर मैंने गलती की है तो मुझे बुलाइये। एक बार नहीं, बार-बार कहा। अभी भी कह रहे हैं कि सच मेरे साथ है।
मनमोहन सिंह की व्यक्तिगत छवि और दूसरी तरफ कांग्रेस की छवि की जहाँ तक बात है, तो कांग्रेस की छवि के बारे में मत कहिये कुछ। मनमोहन सिंह की जो छवि है, वह सब लोग जानते हैं। पर उनके जो विरोधी हैं, उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं, उनका कहना और कुछ है। उनका कहना है कि आपने कुछ किया नहीं। आपके सामने आपकी सरकार ने, आप के मंत्री ने देश की संपत्ति को लूट लिया, पर आप चुपचाप बैठे रहे। आप ने कुछ बुरा नहीं सुना, आप ने कुछ बुरा नहीं कहा। यही आरोप हैं न उनके ऊपर। आप ने पैसा खाया या कमाया या आप ने पार्टी के लिए पैसा लिया, यह तो किसी ने कोई आरोप नहीं लगाया है उनके खिलाफ।
(देश मंथन, 12 मार्च 2015)