अबूझ पहेलियों के चलते रुलाया प्याज ने

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राजेश रपरिया

देखते-देखते प्याज पेट्रोल से महँगी हो गयी है और यह आशंका बलवान है कि आने वाले दिनों में प्याज के दाम 100 रुपये प्रति किलोग्राम पर टक्कर मारेंगे, जैसा कि अक्टूबर 2013 में हो चुका है।

देश भर में केवल अगस्त में ही प्याज के दामों में 50-55% का इजाफा हो चुका है। देर से ही सही, अब केंद्र सरकार की आँखें खुल चुकी हैं और उसने 10,000 टन प्याज के आयात के लिए एमएमटीसी को अधिकृत किया है। पर केंद्र सरकार का कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति मुँह खोलने को तैयार नहीं है कि नाफेड ने जुलाई में 10,000 टन प्याज के लिए जो निविदाएँ माँगी थीं, उन्हें निरस्त क्यों किया गया था?

यह भी अबूझ पहेली है कि सबको मालूम था कि देश में प्याज का उत्पादन कम हुआ है, तब लगभग 9 लाख टन प्याज निर्यात करने की क्या आफत आ पड़ी। महज दो माह में ही जनता की जेब को 20,000 करोड़ रुपये का फटका लग चुका है जो व्यापक घोटाले से कम नहीं है। जून की शुरुआत में ही प्याज व्यापारियों-नेताओं को भान हो गया था कि इस बार उनकी पौ-बारह होने वाली है। केंद्र सरकार ने कृषि उत्पादों के लिए 500 करोड़ रुपये का प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड (कीमत नियंत्रण फंड) बनाया था। उसका इस्तेमाल प्याज के लिए किया गया कि नहीं, इस बारे में सरकार का कोई नुमाइंदा बताने को तैयार नहीं है।

इस साल मई के अंत में प्याज का निर्यात बढ़ा, तभी से मंडियों में प्याज के दाम भड़कने शुरू हो गये थे। दो मई को लासलगाँव मंडी में 1,000 रुपये प्रति क्विंटल यानी दस रुपये प्रति किलोग्राम के भाव थे, जो 26 मई को 1,175 रुपये प्रति क्विटंल हो गये थे। गौरतलब है कि प्याज की कम पैदावार के बावजूद इस साल निर्यात बढ़ा है। जुलाई महीने में प्याज की कीमतों में 70% उछाल देखने में आया। इस महीने में लासलगाँव मंडी में प्याज के दाम 25 रुपये प्रति किलोग्राम थे। तब दिल्ली व देश के अधिकांश इलाकों में प्याज 33-40 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही थी। दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में लासलगाँव से ही सबसे ज्यादा प्याज की आपूर्ति होती है।

जुलाई महीने में ही प्याज आयात की पुरजोर आवश्यकता जाहिर हो गयी थी। नाफेड ने प्याज आयात के लिए निविदाएँ माँगी थीं और 10,000 टन के लिए पक्का मन बनाया था। तभी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई समाचार सेवा को बताया था कि प्याज की कीमतों को लेकर दहशत में आने की कोई जरूरत नहीं है। देश में प्याज का पर्याप्त भंडार मौजूद है। इसी एजेंसी को दिल्ली की आजादपुर प्याज मंडी एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र बुद्धिराजा ने कहा कि जुलाई के अंतिम हफ्ते में प्याज की कीमतों में 10 रुपये प्रति किलोग्राम की उछाल आयी, जबकि आपूर्ति में कोई कमी नहीं आयी थी। जुलाई के अंत में ही प्याज की माँग-पूर्ति पर पैनी नजर रखने वाली नासिक स्थित सरकारी संस्था नेशनल हॉर्टीकल्चर रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट फाउंडेशन (एनएचआरडी) के निदेशक आर पी गुप्ता ने बयान दिया कि अभी रबी की फसल के 28 लाख टन प्याज का भंडार देश में मौजूद है जो आगामी दो महीने की माँग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है और आंध्र में खरीफ फसल की बुवाई शुरू हो गयी है।

वैसे जून की शुरुआत में यह स्पष्ट हो गया था कि इस बार प्याज के दामों से आँखों में आँसू आने वाले हैं, क्योंकि रबी फसल का एक बड़ा हिस्सा फरवरी-मार्च में बेमौसम बरसात और ओला वृष्टि से नष्ट हो गया। महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश सर्वाधिक प्याज उत्पादक राज्यों में हैं। खरीफ फसल में प्याज की पैदावार में इन राज्यों की हिस्सेदारी 50-60% है। लेकिन इन राज्यों में अनियमित बारिश के चलते खरीब की फसल प्रभावित हुई है, जिससे यह माना जा रहा है कि प्याज की नयी आवक में देरी होगी। इस बजह से इन राज्यों में प्याज की मंडियों में कीमतें बढ़ रही हैं। बड़े किसान और स्टॉकिस्ट प्याज की जमाखोरी में लगे हुए हैं और मंडी में किसी कारणवश प्याज के दामों में 2-3 रुपये की गिरावट आती है तो यह लोग आपूर्ति रोक लेते हैं। नतीजतन प्याज के दामों के नीचे आने की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती है।

अब सरकार प्याज के आयात को लेकर गंभीर हुई है, जब प्याज के दाम 100 रुपये प्रति किलोग्राम होने के लिए आमादा है। एनएचआरडी के निदेशक आर पी गुप्ता कहते हैं कि 15 दिन में आयातित प्याज आ जायेगी। तब इसकी आपूर्ति ठीक हो जायेगी और स्टाकिस्ट भी मंडी में प्याज लाना शुरू कर देंगे। आखिर यह सब धारणा का खेल है।

पर इस व्यापार के मंजे व्यापारियों का कहना है कि सरकार निर्धारित समय से अब प्याज आयात कर भी लेती है तो तब भी प्याज के दामों में नरमी आना नामुमकिन है। इन व्यापारियों का कहना है कि आयातित प्याज की कीमत 33-34 रुपये किलोग्राम से कम नहीं पड़ेगी। इसके बाद प्याज को सुखाया जाता है, ताकि वह अधिक दिन चल सके। इस प्रक्रिया में प्याज का वजन 10% कम हो जाता है। पर वाहन लागत और व्यापारी के लाभ के बाद थोक मंडी में आयातित प्याज की कीमत 45 रुपये प्रति किलोग्राम से कम नहीं पड़ेगी। हार्टीकल्चर एक्सपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत शाह का साफ कहना है कि सितंबर अंत तक उपभोक्ताओं को महँगी प्याज की मार झेलनी ही पड़ेगी।

(देश मंथन, 22 अगस्त 2015)

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