रोड रेज में शराब का योगदान
संजय कुमार सिंह, संस्थापक, अनुवाद कम्युनिकेशन
दिल्ली के तुर्कमान गेट रोड रेज मामले में इस बात पर आश्चर्य जताया जा रहा है कि जब लोग मारपीट कर रहे थे तो किसी ने बचाने की कोशिश क्यों नहीं की। पुलिस ने भी ध्यान नहीं दिया।
जो कभी भारतीय क्रिकेट बोर्ड के हमसफर थे, जहर लगते हैं
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
जब भारतीय टीम दंगा-फसाद में अदर हो गयी थी
तब किसी को भी कानों-कान खबर हुई थी क्या !!!
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को पैसे ने किस कदर मदान्ध कर दिया है कि जो मीडिया कभी उसका हम सफर हुआ करता था, वही अब जहर जैसा लगने लगा है। कारण जानना आसान है।
प्रशासनिक सुधार से न्यायिक सुधार होगा
सुशांत झा, पत्रकार :
गोविंदाचार्य जब कहते हैं कि सरकार जजों की संख्या बढ़ाने और त्वरित न्याय दिलाने के लिए 7000 करोड़ तक आवंटित करने को तैयार नहीं है, जबकि एयर इंडिया के लिए पिछली सरकार 30,000 करोड़ देने को तैयार थी तो उसमें कुछ और बातें जोड़नी आवश्यक है।
कृपया काम अधिक, छुट्टियाँ कम कीजिए जज साहब
अभिरंजन कुमार :
न्यायाधीशों की कांफ्रेंस का इस आधार पर विरोध करना कि वह गुड फ्राइडे के दिन क्यों रखी गयी, जस्टिस जोसेफ कुरियन की सांप्रदायिक, संकीर्ण और कुंठित सोच को दर्शाता है।
बीत गये 49 दिन,लापता है जन लोकपाल
संदीप त्रिपाठी :
दिल्ली में आप की सरकार बने और अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री बने आज (4 अप्रैल,(शनिवार) 50वाँ दिन है। पिछली बार सरकार 49 दिन चली थी। तब अरविंद केजरीवाल ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि विपक्ष जन लोकपाल पारित करने में सहयोग नहीं कर रहा है।
इतिहास बोल रहा है, आप सुनेंगे क्या?
कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार:
कहीं का इतिहास कहीं और का भविष्य बाँचे! बात बिलकुल बेतुकी लगती है न! इतिहास कहीं और घटित हुआ हो या हो रहा हो और भविष्य कहीं और का दिख रहा हो! लेकिन बात बेतुकी है नहीं! समय कभी-कभार ऐसे दुर्लभ संयोग भी प्रस्तुत करता है!
सिगरेट निर्माता कंपनी की दलाली कर रहे हैं भाजपा सांसद?
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
यह हो क्या रहा है! भाजपा के दो तंबाकू प्रेमी सांसदों का दावा है कि तंबाकू से कैसर नहीं होता और इस संदर्भ में सरकार को सर्वे कराना चाहिए।
बिहार बीजेपी वाया गिरिराज सिंह@ फेयर-इन-लवली
सुशांत झा, पत्रकार :
गिरिराज ने जो टीवी फुटेज खाया है उसमें उनकी पार्टी और उनका दोनों का हित सधता है। पहचान(!) का संकट बिहार में उन्हें पहले भी नहीं था, अब तो वो पहचान घनीभूत हो गयी है।
‘आप’ का क्या होगा जनाब-ए-आली?
कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार :
‘आप’ बड़े ताप में है! पारा गरम है। पार्टी तप रही है। तलवारें फिर तनी हैं।
शोशे की सरकार
संदीप त्रिपाठी :
दिल्ली में गर्मियां शुरू होते ही पानी की किल्लत शुरू हो गयी। मई-जून में क्या होगा, पता नहीं। बिजली-पानी के सवाल पर सरकार बनाने वाले आप नेता अरविंद केजरीवाल ने हाथ खड़े कर दिये हैं।
उल्टे बांस बरेली…
मोहनीश कुमार, (इंडिया टीवी, वरिष्ठ पत्रकार)
उल्टे बांस बरेली... बचपन से ये मुहावरा सुनते आये हैं... अब दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को इस मुहावरे को चरितार्थ करते देख रहे हैं...
लोक-माध्यमों पर छलकी 66ए रद होने की खुशी
डेस्क, देश मंथन :
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निरस्त किये जाने पर सोशल मीडिया में उत्सव का माहौल है। फेसबुक, ट्विटर पर लोग तरह-तरह से अपना उल्लास प्रदर्शित कर रहे हैं।