अब खुल रहा है पद्मावत पर सेक्युलरों का मोर्चा
राजीव रंजन झा :
दरअसल संजय लीला भंसाली और उनकी फिल्म पद्मावत के खिलाफ मोर्चा तो छद्म सेक्युलरों का खुलना चाहिए था, पर करणी सेना का मोर्चा खुला होने के चलते छद्म सेक्युलर खुल कर अपनी बात कहनी कहने की जगह ही नहीं बना पा रहे हैं। मगर सेक्युलर मोर्चे से पद्मावत और भंसाली की कुछ-कुछ आलोचना सामने आने लगी है।
विरोध नहीं होता तो हिट नहीं होती पद्मावत
विकास मिश्र, आजतक :
कल रात ही 'पद्मावत' देखकर लौटा हूँ, वह भी 3डी में। तीन घंटे लंबी इस फिल्म का नाम तो असल में 'खिलजावत' होना चाहिए था, क्योंकि पूरी फिल्म खिलजी के इर्द-गिर्द घूमती है, खिलजी के चरित्र को ही सबसे ज्यादा फुटेज मिली है। पद्मावती और राजा रतन सिंह की कहानी तो इस फिल्म का महज एक हिस्सा है।
राजपूत शौर्य गाथा का बखान है पद्मावत
नरेश सोनी, सहायक कार्यकारी संपादक, न्यूज वर्ल्ड इंडिया :
फिल्म पद्मावत देखी, यकीन मानिए, हाल के सालों में मुझे एक भी ऐसी फिल्म याद नहीं जिसने राजपूत शौर्य की गाथा का इतना अच्छा बखान किया हो। पहले दृश्य से लेकर आखिर तक दो चीजें लगातार आपके जहन में बनी रहती है -
राहुल के हाथों अन्ना का अनशन तुड़वाने की थी योजना?
अन्ना आंदोलन को करीब से देखने वाले पत्रकार अनुरंजन झा ने इसके कई अनछुए अनजाने पहलुओं को पहली बार सामने लाते हुए एक किताब लिखी है - रामलीला मैदान। इसी किताब से प्रस्तुत है वह हिस्सा, जहाँ अनुरंजन जिक्र कर रहे हैं कि कई सारे ऐसे समाज-सेवी और बुद्धिजीवी जो आंदोलन के शुरुआत के दिनों में मूवमेंट में दिलचस्पी नहीं ले रहे थे या फिर धुर विरोधी थे, लेकिन एक समय वे एक-एक कर मंच पर आने लगे थे। क्या उनका आना अनायास था या फिर सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था...
जीत गये अहमद पटेल, हार गयी कांग्रेस
संदीप त्रिपाठी :
कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी के राजनीतिक सचिव और कांग्रेस के वित्तीय संकटमोचक अहमद पटेल राज्यसभा चुनाव भले जीत गये, लेकिन इससे कांग्रेस की हार साबित होती है। दो बागी कांग्रेसी विधायकों द्वारा ज्यादा जोश दिखाये जाने से चुनाव आयोग ने कांग्रेस की आपत्ति पर उन विधायकों का वोट रद कर दिया और पटेल चुनाव जीत गये। अगर ये बागी कांग्रेसी विधायक अपना वोट दिखा कर न देते तो...?
भाजपा के निशाने पर त्रिपुरा का वामपंथी गढ़
संदीप त्रिपाठी :
त्रिपुरा में तृणमूल कांग्रेस के छह निष्कासित विधायक भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये हैं। इसके साथ ही भाजपा त्रिपुरा विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल बन गयी है। यह सवाल उठता है कि क्या इसे मणिपुर की तरह त्रिपुरा में भाजपा के आने की आहट मानें। त्रिपुरा में वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
कहीं आपके बच्चे को निगल न जाये ऑनलाइन नीली व्हेल
संदीप त्रिपाठी :
यदि आप किशोरवय के बच्चों के अभिभावक या शिक्षक हैं तो आपके लिए पूरी तरह सतर्क हो जाने का समय है।
महज 8% किसान बचे हैं देश में : साईनाथ
संदीप त्रिपाठी :
प्रख्यात कृषि पत्रकार पी. साईनाथ को सुनना अपने-आप में अद्भुत है। अद्भुत इसलिए है कि आज के दौर में जब हर आदमी, भले ही वह पत्रकार ही क्यों न हो, खेमों में बँटा दिखता है।
‘इतने बड़े स्तर पर ईवीएम हैकिंग संभव नहीं लगती’
दिल्ली विधान सभा में ईवीएम हैकिंग के प्रदर्शन का सीधा प्रसारण करा कर आम आदमी पार्टी ने ईवीएम को फिर से संदेह के घेरे में लाने का प्रयास किया है। देश मंथन ने इस मुद्दे पर कंप्यूटर क्षेत्र और आईटी कानूनों के जानकार पवन दुग्गल से बातचीत की। उनका मानना है कि तकनीकी रूप से तो किसी भी कंप्यूटर उपकरण की हैकिंग संभव है, लेकिन ईवीएम में इतने व्यापक स्तर पर हैकिंग व्यावहारिक रूप से संभव नहीं लगती है। प्रस्तुत है पवन दुग्गल से यह बातचीत।
कश्मीर में सरकार आपकी पर ‘राज’ किसका?
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
कश्मीर में सुरक्षा बलों की दुर्दशा और अपमान के जो चित्र वायरल हो रहे हैं, उससे हर हिंदुस्तानी का मन व्यथित है। एक जमाने में कश्मीर को लेकर हुंकारे भरने वाले समूह भी खामोश हैं।
अभिव्यक्ति की आजादी क्या ईद की सेवई है, जिसे हर व्यक्ति को खिलाएँ?
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
अभिव्यक्ति की आजादी हर व्यक्ति के लिए नहीं होनी चाहिए। मसलन, आमिर खान और शाहरुख खान के लिए होनी चाहिए, लेकिन इरफान खान के लिए नहीं होनी चाहिए।
जो धर्म डराए, जो किताब भ्रम पैदा करे, उसे शिद्दत से सुधार की जरूरत!
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
जो कट्टरपंथी हैं, वे भी उसी एक किताब से हवाले दे रहे हैं। जो पढ़े-लिखे, उदारवादी और प्रगतिशील हैं, वे भी उसी एक किताब के सहारे सारी थ्योरियां पेश कर रहे हैं।