आतंक के एटीएम
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
संयुक्त राष्ट्र संघ में पाक पीएम नवाज शरीफ ने बताया-जी हम तो आतंक के विरोधी हैं। हम तो आतंक के खिलाफ कार्रवाई करते हैं आगे भी करेंगे।
दुश्मन को मारने से पहले अपनी चारदीवारी को मजबूत करो
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
हो सकता है आप में से कुछ लोग 11 सितंबर 2001 को न्यूयार्क में हुए आतंकवादी हमले के चश्मदीद रहे हों। हो सकता है बहुत से लोग न रहे हों। लेकिन मैं रहा हूँ। मैंने 11 सितंबर 2001 में अमेरिका पर हुए आतंकवादी हमले को बहुत करीब देखा और जिया है। मैं चश्मदीद हूँ उस हमले का और हमले में मरे दस हजार लोगों के शव का।
पुत्रों के शव को कंधों पर उठाने का अफसोस करना है, तो युद्ध से पहले सोचें
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
“सुनो कृष्ण, क्या तुम जानते हो कि इस संसार में सबसे बड़ा बोझ क्या है?”
“आप ही कहें, धर्मराज।”
‘सिन्धु-साक्षी’ पॉवर से सुपरपॉवर!
क़मर वहीद नक़वी, पत्रकार :
दीपा करमाकर और साक्षी मलिक के परिवारों ने अपनी बेटियों की तैयारी के लिए खुद अपना घर-बार सब कुछ दाँव पर न लगा दिया होता, तो उनकी कहानियाँ आज किसी के सामने न होती। इनके और गोपीचन्द जैसों के लिए 'ईज ऑफ प्लेयिंग' जैसी कोई योजना बननी चाहिए न! 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' के लिए तो हम बहुत काम कर रहे हैं, कुछ थोड़ा-सा काम 'ईज ऑफ प्लेयिंग' के लिए भी हो जाये!
बाबा रामदेव लाएं पतंजलि हर्बल स्याही, ताकि नेताजी को खुजली न हो!
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
इस देश में अगर राष्ट्रविरोधी कार्यक्रम आयोजित करने वालों अथवा उन्हें समर्थन देने वालों को भी पुलिस गिरफ्तार कर ले, तो बड़ी संख्या में लोग सरकार और पुलिस का विरोध करने लगते हैं। अगर किसी बड़ी आतंकवादी घटना के बाद जाँच एजेंसियों को किसी पर शक हो जाए और वह उसे गिरफ्तार कर ले, तो भी अक्सर लोग बवाल काटना शुरू कर देते हैं। लेकिन फिनलैंड-प्रेमी किसी नेताजी पर अगर कोई स्याही मात्र भी फेंक दे, तो उसे फौरन गिरफ्तार कर लिया जाता है और कोई इसकी आलोचना तक नहीं करता।
नेताजी (मुलायम) की जंग
सुशांत झा, पत्रकार :
मुलायम सिंह ने अपने हस्तलिखित पत्र से अमर सिंह को सपा का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया। मुलायम सिंह ऐसे पहलवान हैं जिनका अगला दाँव भगवान को भी मालूम नहीं होगा।
तीन तलाक की नाजायज जिद!
क़मर वहीद नक़वी, पत्रकार :
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तर्क बेहद हास्यास्पद है। एक तर्क यह है कि 'पुरुषों में बेहतर निर्णय क्षमता होती है, वह भावनाओं पर क़ाबू रख सकते हैं। पुरुष को तलाक़ का अधिकार देना एक प्रकार से परोक्ष रूप में महिला को सुरक्षा प्रदान करना है। पुरुष शक्तिशाली होता है और महिला निर्बल। पुरुष महिला पर निर्भर नहीं है, लेकिन अपनी रक्षा के लिए पुरुष पर निर्भर है।' बोर्ड का एक और तर्क देखिए। बोर्ड का कहना है कि महिला को मार डालने से अच्छा है कि उसे तलाक़ दे दो।
माफ कीजिए, इंसानियत का खून बहाने के लिए कैसे दूँ शुभकामनाएं?
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
मेरे एक प्रिय मुस्लिम भाई ने शिकायत की कि देश-दुनिया के मुद्दों पर तो आप ख़ूब लिखते हैं, लेकिन हमें बकरीद की शुभकामनाएं तक नहीं दीं। क्या आप मुसलमानों को अपना भाई-बहन नहीं मानते? मुझे लगा कि यह एक ऐसा सवाल है, जिसका जवाब मुझे सार्वजनिक रूप से देना चाहिए, क्योंकि इससे मुझे समाज, सियासत और धर्म में व्याप्त बुराइयों पर चोट करने में मदद मिलेगी।
युवा ही लाएंगे हिंदी समय!
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
अब लडाई अंग्रेजी को हटाने की नहीं हिंदी को बचाने की है
सरकारों के भरोसे हिंदी का विकास और विस्तार सोचने वालों को अब मान लेना चाहिए कि राजनीति और सत्ता से हिंदी का भला नहीं हो सकता। हिंदी एक ऐसी सूली पर चढ़ा दी गयी है, जहां उसे रहना तो अंग्रेजी की अनुगामी ही है। आत्मदैन्य से घिरा हिंदी समाज खुद ही भाषा की दुर्गति के लिए जिम्मेदार है।
सोशल मीडिया पर क्रांतिदूतों से डर
यशवंत राना:
नींद कभी-कभी जरूरी होती है और बहुत अच्छी लगती है। आज दिनभर सोता रहा और बस सोता ही रहा। कभी जगा भी तो जरूरत भर का काम करके फिर सो गया। अब भी शर्म से रोक रखा है कि यार ये भी क्या है ! समय की लाज भी तो कोई चीज होती है! उसके लिए ही कुछ कर लो। थोड़ा लिख-पढ़ लो। इतना सोने के बाद फिर सोना भी क्या सोना है!
बीच सड़क पर हनुमान चालीसा पाठ
संदीप त्रिपाठी :
राजधानी दिल्ली में मंगलवार (30 अगस्त 2016) की शाम आठ बजे लक्ष्मीनगर मेट्रो से निर्माण विहार मेट्रो की ओर जाने पर कुछ ही दूर पर एक अजीब नजारा दिखा।
कोल्ड ड्रिंक को क्रेडिट
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
सिंधु सोने जैसी चाँदी को ले आयी हैं। चाँदी के भावों में तेजी का रुख है, इन दिनों, सोने की रफ्तार ढीली पड़ी हुई है। सिंधु-साक्षी की सफलताओं से बेटों का मार्केट रेट गिर गया है, नवजोत सिंह सिद्धू के भावों की तरह। पर, पर, पर बेटियों की सफलताओं को बेटों को कूटनेवाले प्लीज समझें -किसी बेटे गोपीचंद ने कोचिंग दी है सिंधु को। समन्वय से रिजल्ट आते हैं, अतिरेकी तर्कों से सिर्फ मारधाड़ बढ़ती है।