पाकिस्तान : हिंदू लड़की से शादी करना होगा मुश्किल

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संजय तिवारी, संपादक, विस्फोट :

पाकिस्तान की नवाज शरीफ सरकार एक पाकिस्तान के हिंदुओं की सुरक्षा की दिशा में एक ऐसी पहल करने जा रही है जिसके बाद कम से कम हिंदू लड़कियों को सामाजिक सुरक्षा मिले न मिले लेकिन कुछ हद तक कानूनी सुरक्षा जरूर मिल सकेगी।

शरीफ सरकार की पहल पर तैयार किये गये हिंदू मैरिज बिल 2014 को पाकिस्तान की नेशनल असेम्बली की स्टैंडिग कमेटी ने पास कर दिया है। इसके बाद अब इसे नेशनल असेम्बली की मंजूरी मिलते ही पाकिस्तान में हिंदू मैरिज एक्ट 2014 कानून की शक्ल ले लेगा। इस कानून के अस्तित्व में आने के बाद हिंदू लड़कियों से जबरन शादी करना या बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय द्वारा दूसरी पत्नी के रूप में उन्हें घर में रखना गैर कानूनी हो जायेगा।

पाकिस्तान की नेशनल असेम्बली की स्टैंडिग कमेटी आन लॉ जस्टिस एण्ड ह्यूमन राइट्स ने इस प्रकार के विधेयक को अंतिम रूप देते हुए उसमें कुछ संशोधनों को मंजूरी दे दी। हालाँकि कमेटी का कहना है कि विधेयक को हिंदुओं के और अधिक अनुकूल बनाने के लिए जल्द ही स्टैंडिंग कमेटी के सामने हिंदू काउंसिल के रमेश कुमार को भी बुलाया जा सकता है और उनसे सलाह मशविरा करके इस विधेयक को नेशनल असेम्बली के सामने प्रस्तुत कर दिया जायेगा।

पाकिस्तान हिंदू मैरिज एक्ट 2014 में कुछ ऐसे ठोस प्रावधान किये गये हैं कि जबरन हिंदू लड़की से शादी करना या फिर शादी करने के बाद उन्हें प्रताड़ित करने पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जायेगी। हिंदू मैरिज एक्ट 2014 में प्रावधान किया गया है कि 18 साल से कम उम्र की किसी हिंदू लड़की से शादी करना गैर कानूनी होगा। पाकिस्तान से इस बात की शिकायतें आमतौर पर आती थीं कि पाकिस्तान में शरीया कानून की आड़ में मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोग कम उम्र की हिंदू लड़कियों के साथ जबरन शादी कर लेते हैं। अब इस कानून के अस्तित्व में आ जाने के बाद पाकिस्तान में 18 साल से कम किसी हिंदू लड़की से शादी करना गैर कानूनी हो जायेगा। 

इसी तरह हिंदू मैरिज एक्ट 2014 में प्रावधान किया गया है कि किसी भी हिंदू लड़की की शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा और यह रजिस्ट्रेशन तभी संभव होगा जबकि हिंदू दूल्हे या दुल्हन से जुड़े परिवार, पंडित और संबंधित संस्था की तरफ से ऐसी शादी के लिए सहमति पत्र हासिल किया गया हो। इसके साथ ही इस एक्ट में प्रावधान किया गया है कि किसी हिंदू लड़की से शादी का सार्वजनिक प्रमाण होना जरूरी है। मसलन, शादी के समारोह का प्रूफ स्थानीय रजिस्ट्रार के पास देना होगा ताकि वह शादी की वैधता का सर्टिफिकेट जारी कर सके। अगर मैरिज रजिस्ट्रार को शादी में किसी प्रकार का शक होता है तो उसे यह अधिकार होगा कि वह शादी की वैधता की जाँच पड़ताल कर सके।

पाकिस्तान हिंदू मैरिज एक्ट में न सिर्फ शादी के प्रावधान कड़े किये गये हैं बल्कि तलाक के मामले को नये कानून में इस तरह से शामिल किया गया है ताकि हिंदू लड़कियों को मदद मिल सके। मसलन, अगर कोई गैर हिंदू समुदाय का लड़का किसी हिंदू लड़की से जबरन शादी करता है और उसका धर्म परिवर्तन करवाता है तो यह शादी अपने आप कानूनन अवैध हो जायेगी और लड़की को सिर्फ धर्म परविर्तन के आधार पर तलाक की डिक्री मिल जाएगी। अगर हिंदू लड़की का धर्म परिवर्तन नहीं होता है और वह अपने साथ घरेलू हिंसा की शिकायत करती है तो भी उसे तलाक पाने का अधिकार होगा। इसके साथ ही ताजा विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि पाकिस्तान हिंदुओं की शादी का डिजिटल रिकार्ड तैयार करेगा।

पाकिस्तान में हिंदू काउंसिल के चेरयमैन रमेश कुमार ने वर्तमान विधेयक पर मीडिया से कहा है कि उन्होंने इस विधेयक पर पाकिस्तान की सर्वोच्च मुस्लिम रिलिजियस काउंसिल के चीफ से बात की है और वे ताजा प्रस्तावों पर सहमत हैं।

भारत पाकिस्तान बंटवारे के समय पाकिस्तान की कुल आबादी में 22% हिंदू थे, लेकिन 2005 के अंतिम आँकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान में इस वक्त 1.5% के आसपास हिंदू बचे हैं। इसमें भी समय समय पर उत्पीड़न का शिकार होने पर अक्सर हिंदू पलायन करके भारत आ जाते हैं।

(देश मंथन, 28 जून 2014)

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