पवन कुमार नाहर
पेप्सी आईपीएल 2015 अपने अंतिम दौर में पहुँच चुका है। 24 अप्रैल को कोलकाता के ईडन गार्डन में पेप्सी आईपीएल का फाइनल खेला जाना है।
खिताब के लिए मुंबई इंडियंस ने अपनी दावेदारी पक्की कर ली है। अब दूसरा दावेदार बनने के लिए चेन्नई सुपरकिंग्स, राजस्थान रॉयल्स और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू के बीच प्लेऑफ मुकाबला है। गत विजेता कोलकाता नाइट राइडर्स लीग मैचों में ही बाहर हो चुकी है जबकि उपविजेता किंग्स इलेवन पंजाब इस बार सबसे निचले पायदान पर रही।
पेप्सी आईपीएल का आदर्श वाक्य है- ‘व्हेअर अपारच्युनिटी मीट्स टैलेंट’ यानि जहां प्रतिभा को अवसर मिलता है। इस बार सभी टीमों ने खिलाड़ियों की बोली में कुछ-न-कुछ पाया। अब तक आईपीएल-8 के मैचों में आठ नये खिलाड़ियों अनुरीत सिंह, श्रेयस अय्यर, सूर्य कुमार यादव, दीपक हूडा, हार्दिक पांड्या, हर्षल पटेल, सरफराज खान, यजुवेंद्र चाहल ने अपना ध्यान खींचा। जहां अधिकांश टीमों ने कुछ मुख्य खिलाडियों के ईर्द-गिर्द अपनी टीम के रिक्त स्थान भरे, तो वहीं दिल्ली ने एक पूरी नयी टीम को खड़ा किया। यह आईपीएल और विशेष इसलिए भी हो गया था क्योंकि अंतिम लीग मैच तक अंतिम चार टीमों की तस्वीर साफ नहीं थी। पेश है इस आईपीएल में इन टीमों की एक रिपोर्ट :
किंग्स इलेवन पंजाब : वीरेंद्र सहवाग, डेविड मिलर और ग्लेन मैक्सवेल जैसे विस्फोटक बल्लेबाजों की मौजूदगी के बावजूद जॉर्ज बेली की अगुवाई वाली पिछले साल इस उप विजेता टीम के तरकश के सभी तीर इस साल निशाना चूक गये। टीम 14 में से मात्र दो मैच ही जीत सकी। टीम के लिए सबसे बढ़िया खोज पंजाब के तेज गेंदबाज अनुरीत सिंह रहे, जिन्होंने अपनी स्विंग से प्रभावित किया। हालाँकि, अंतिम ओवरों में विशेषज्ञ गेंदबाज की कमी खली। मिचेल जॉनसन भी अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाये। सलामी बल्लेबाजी के साथ नामी बल्लेबाजों का पूरा क्रम चमत्कार कर पाने में विफल रहा।
दिल्ली डेयरडेविल्स : भारत को विश्व कप जिता चुके कोच गैरी कर्सटन ने दिल्ली की एक नयी टीम को खड़ा किया। ज्यां पॉल ड्युमिनी की कप्तानी में इस टीम ने कई अवसरों पर एकजुटता और जीवट दिखाया, जो पिछले तीन सालों से नज़र ही नहीं आ रहा था। टीम को सबसे ज्यादा उम्मीदें 16 करोड़ में खरीदे गये युवराज सिंह से थीं, जो कोई खास प्रदर्शन नहीं कर सके। इस टीम ने क्विंटन डिकॉक, युवराज सिंह, एल्बी मार्कल, जे.पी. ड्युमिनी और सौरभ तिवारी के साथ टीम में बायें हाथ के बल्लेबाजों की लाइन लगा दी। टीम के लिए 20 वर्षीय श्रेयस अय्यर शानदार खोज रहे। सबसे ज्यादा रन बनाने के अलावा उन्होंले कई शानदार छक्के भी लगाये। उनके साथ मयंक अग्रवाल, ड्युमिनी, दक्षिण अफ्रीकी लेग स्पिनर इमरान ताहिर ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। हालांकि नेथन कूल्टर नाइल जहीर खान के न आने तक अकेले दिखे। टीम को मोहम्मद शमी की कमी भी खली। प्लेइंग इलेवन में ज्यादा बदलाव का प्रयोग भी विफल रहा।
सनराइजर्स हैदराबाद : अपने तीसरे साल में सनराइजर्स ने अंत तक संघर्ष किया। लीग के अंतिम मैच में मुंबई के हाथों हार कर टीम बाहर हुई। विश्वविख्यात डेल स्टेन, ट्रेंट बोल्ट, भुवनेश्वर कुमार, ईशांत शर्मा, प्रवीण कुमार जैसे स्विंग गेंदबाजों की लंबी लाइन के बाबजूद टीम अंतिम चार में नहीं पहुंच सकी। कप्तान डेविड वार्नर, जो ऑरेंज कैप के हकदार हैं, और शिखर धवन ने मिलकर टीम के लिए 50% रन बनाये। मॉजेस ऑनरिकेज, रवि बोपारा और ऑयन मॉर्गन एकाध मैच के अलावा टीम की नैया पार नहीं लगा सके। टीम के लिए मध्य क्रम परेशानी का सबब रहा। लोकेश राहुल, नमन ओझा, मॉर्गन और बोपारा बल्लबाजी को अपेक्षित मजबूती नहीं दे सके। सबसे महँगे अनकैप्ड खिलाड़ी कर्ण शर्मा भी काफी महँगे साबित हुए। साथ ही टीम में चार विदेशी खिलाड़ियों के चयन में भी असमंजस रहा।
कोलकाता नाइटराइडर्स : पिछले साल की विजेता और सितारों से सजी शाहरुख खान की टीम लय में नजर आयी। दो मैच बारिश में धुल जाने के बाद भी, गौतम गंभीर की अगुवाई में टीम का संतुलन काफी अच्छा रहा। मार्ने मॉर्केल, उमेश यादव ने तेज गेंदबाजी की धार संभाली जबकि पीयूष चावला स्पिन विभाग में निरंतर थे। सुनील नरेन पर प्रतिबंध लगने के कारण 44 वर्षीय ब्रेड हॉग को मौका मिला, जो अपना प्रभाव छोड़ गये। ईडन गार्डन की धीमी पिच को देख कर गंभीर ने स्पिन ब्रिगेड तैयार की जिसमें शाकिब-अल-हसन और योहाम बोथा भी थे। हालाँकि कई नाजुक मौकों पर उनके बल्लेबाजी क्रम पर सवाल उठे। मुंबई के खिलाड़ी सूर्य कुमार यादव ने काफी प्रभाव डाला। युसुफ पठान ने भी अपनी भूमिका को बखूबी समझा।
राजस्थान रॉयल्स : किफायत के साथ देसी प्रतिभा को सामने लाने के लिए विख्यात रजवाड़ों की टीम ने आधे लीग मैचों तक अपना दबदबा बनाये रखा। आधे समय तक पहले पायदान पर रहे रॉयल्स ने चौथे पायदान पर लीग खत्म की। अधिकांश समय ऑरेंज कैप अजिंक्य रहाणे के नाम रही, जिनहोंने सबसे ज्यादा सिंगल लेकर इस धारणा को गलत साबित कर दिया कि टी-20 केवल चौकों-छक्कों का खेल है। नये कप्तान स्टीव स्मिथ के अगुवाई में टीम ने एकजुट खेल दिखाया। दीपक हूडा, धवल कुलकर्णी, करुण नायर और संजू सैमसन ने काफी प्रभाव डाला। पहले 5 मैच जीतकर टीम ने दिखा दिया की उन्हें कम आँकना कितना खतरनाक हो सकता है। बारिश में दो मैच रद होने के बाद टीम 7 में से मात्र दो मैच जीत सकी। जेम्स फौक्नर और स्टुअर्ट बिन्नी ने इस साल कोई खास प्रदर्शन नहीं किया।
रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू : मैदान में अपने आक्रामक खेल के लिए मशहूर चैलेंजर्स ने अच्छा प्रदर्शन किया और इसी वजह से तीसरे पायदान पर भी रहे। कप्तान कोहली की अगुवाई में टीम की कमजोर कड़ी कहे जाने वाली गेंदबाजी मिचेल स्टार्क के आने के बाद शानदार रही। गुजरात के लिए खेलने वाले हर्षल पटेल और हरियाणा के लेग स्पिनर यजुवेंद्र चाहल ने काफी प्रभाव डाला। चाहल 18 विकेट लेकर पर्पल कैप की होड़ में चौथे पायदान पर हैं। दूसरी तरफ, क्रिस गेल, विराट कोहली और मिस्टर 360 एबी डीविलियर्स ने बल्लेबाजी में नये रिकार्ड बनाये। 19 साल के सरफराज़ खान ने भी मिले मौकों का भरपूर लाभ उठाया और अपनी ओर ध्यान खींचा लेकिन 12.5 करोड़ के दिनेश कार्तिक बल्ले से करिश्मा करने में विफल रहे।
मुंबई इंडियंस : फाइनल में अपनी जगह बना चुकी मुंबई ने अपने पहले पाँच मैच हारने के बाद करिश्माई वापसी की। ऐरॉन फिंच के चोटिल होने पर टीम में शामिल किये गये लेंडल सिमंस ने पार्थिव पटेल के साथ 2 बार शतकीय और दो बार अर्धशतकीय पारी खेल कर शानदार शुरुआत दी। कप्तान रोहित शर्मा और केरॉन पोलार्ड ने ‘बिग हिटर्स’ का रोल बखूबी संभाला। लेकिन सबसे ज्यादा प्रभाव डाला वडोदरा के 21 वर्षीय खिलाड़ी हार्दिक पांड्या ने। लंबे छक्के लगाने में सक्षम इस खिलाड़ी ने कोरी एंडरसन की कमी महसूस ही नहीं होने दी। 30 लाख में खरीदे गये तेज कीवी गेंदबाज मिचेल मैकलेनघन ने लसिथ मलिंगा के साथ तेज गेंदबाजी को संभाला। हालाँकि विनय कुमार और अंबाति रायडु ने अपेक्षित प्रदर्शन नहीं किया, जबकि बल्ले से कुछ जौहर दिखाने वाले ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह की चमक भी फीकी रही।
चेन्नई सुपर किंग्स : आईपीएल में निरंतर प्रदर्शन करने वाली इस टीम ने सभी विवादों को दरकिनार करते हुए इस बार भी शानदार प्रदर्शन किया और लीग मैचों के बाद पहला पायदान प्राप्त किया। हालाँकि केवल एक ‘अनकैप्ड’ खिलाड़ी खिलाने वाली सुपर किंग्स की कमजोरी भी इस बार खुली। टीम की पूरी बल्लेबाजी ब्रेंडन मैक्कुलम के ईर्द-गिर्द ही घूमती रही। रविंद्र जडेजा और आर. आश्विन गेंद और बल्ले, दोनों से विफल रहे। आक्रामक रणनीति अपनाने वाले कप्तान धोनी इस प्रतियोगिता में रक्षात्मक नजर आये। ड्वेन ब्रावो ने अंतिम के ओवरों में विकेट चटकाकर पर्पल कैप अपने नाम की, जो उन्हीं के टीम के, शुरुआती ओवरों मे काफी सफल गेंदबाज, आशीष नेहरा के पास थी।
(देश मंथन, 20 मई 2015)