आपको मिर्ची लगी तो कोई क्या करे

0
162

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

कांग्रेस को वाकई ‘बेचारा’ ही कहा जाएगा.. जो अनाथ हो उसके लिए भारत में ऐसा ही संबोधन किया किया जाता है।

देखिए न परेशान इस बात से है कि मोदी जी विदेश में ही रहते हैं। कपड़े धुलाने स्वदेश आते हैं। मीडिया को सधा  रखा है और मार्केटिंग एक्सपर्ट हैं। फेंकने के अलावा  उन्होंने और किया ही क्या है। सच है देश को जमीदार की तरह बतौर रियाया हाँकने वाली राजवंश के परिवार की गुलाम पार्टी काश खुद में झाँकती कि मीडिया को  हरदब में लेकर जमीन, कागज का कोटा और सरकारी विज्ञापन से उसका मुँह बन्द करने के बावजूद उसे वह प्रचार कभी नसीब क्यों नहीं हुआ। उसे मिर्ची लग रही है कि प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी को विदेश यात्राओं में इतना अभूतपूर्व प्रचार कैसे मिल रहा है? मैं जवाब देता हूँ कि देश के इस राजवंश को न खुद और न ही देश को प्रचारित करना आता था। 

इतिहास में यह पहला मौका है कि जब देश का प्रधान मन्त्री अपनी यात्राओं में मीडिया को साथ नहीं ले जाते पर देश में पूरे दौरे के दौरान वह राष्ट्रीय- अन्तरराष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियों में रहते हैं। क्योंकि वह पूरा होम वर्क करते हैं और प्रवासी भारतीयों को सम्मोहित करते हैं। अमेरिका से चीन तक हर भ्रमण में देशवासियों के भारी जनसमूह को जब संबोधित करते हैं तब यूँ लगता है मानो लघु हिन्दुस्तान वहाँ उतर आया हो। विदेश नीति को नया आयाम मिलने को है। लगता है कि निकट भविष्य में जल्दी ही भारत पर से साफ्ट कन्ट्री यानी दब्बू राष्ट्र का ठप्पा भी यदि हटता है तो यह वर्तमान सरकार की महती उपलब्धि मानी जायेगी। 

उधर बेचारी कांग्रेस अपने प्रधान मन्त्रियों की विदेश यात्राओं पर साथ में खचिया भर चहेते पत्रकारों – संपादकों को ले जाया करती थी। मुफ्त की विमान यात्राओं के अलावा फ्री में राजकीय मेहमान नवाजी और लजीज भोजों का लुत्फ।! फिर भी कवरेज क्या होती थी।? लगभग शून्य। हिन्दी के मालिक – संपादकों के नाम देकर एजेंसी की खबरें प्रकाशित की जाती थीं और ब्राडकास्ट मीडिया की हालत भी कमोबेस वैसी ही थी। पर आज वही मीडिया अपने खर्च से जाता है और दबा कर कवरेज करता है। देश के राजनीतिक दल और नेता सोचें कि सुर्खियाँ माँगे से भीख में नहीं सत्कर्मों से मिलती हैं। संयोगवश इसी 16 मई को ही एक साल पहले देश नें मोदी को लोकसभा में प्रचन्ड बहुमत दिया था। मोदी सरकार का साल भर का रिपोर्ट कार्ड आगे आना है पर यह तो मानना ही होगा कि विदेशी मोर्चे पर मोदी ने देश को वह असाधारण मान-सम्मान दिलाया जिसका वह असली हकदार था।

(देश मंथन, 18 मई 2015)

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें