आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
कभी सोचता हूँ कि सही टाइम पर धरती पर आ गये, और बहुत पहले ही स्कूल की शिक्षा से पार हो गये, इज्जत बच गयी।
तीस-बत्तीस साल पहले स्कूली इम्तहानों में सत्तर परसेंट आते थे, तो पूरे मुहल्ले में कालर ऊपर करके चलते थे।
अभी मेरी बेटी के 98.88% आये हैं, पाँचवीं क्लास के मन्थली टेस्ट में। घर में ऐसा माहौल है जैसे फेल हो गयी है। उसकी मम्मी डाँट रही है – फर्स्ट से लेकर टेन तक कोई पोजीशन नहीं आयी। शेम शेम।
98.88% पर शेम। हाय री स्कूली शिक्षा निराला तेरा गेम।
बेटी परेशान नहीं है, उसकी माँ परेशान है। सहेलियों को जवाब देना होता है जी, मिसेज राजवंशी के चुन्नू की सेकेंड पोजीशन है। और वह स्वाति की माँ बतायेगी कि हमेशा की तरह स्वाति तो फर्स्ट पोजीशन पर ही है जी। हाय रे हाय – 98.88% सिर्फ, तुझे शर्म नहीं आयी।
बेटी मुझसे पूछ रही है – पापा कितने आते थे आपके।
मारे शर्म के मैं सच नहीं बोलता।
मैं बहुत डर गया हूँ। अभी पाँचवीं क्लास का सिलेबस देख रहा हूँ।
मैथ की प्रोजेक्ट फाइल बनेगी। उसमें हरबेरियम की पत्तियाँ काट कर चिपकानी हैं।
क्या पूछा – हरबेरियम का मतलब क्या होता है। मुझे भी नहीं पता।
मुझे लगता है कि भविष्य में लड़के वाले जब लड़की वाले से रिश्ते की बात करने जायेंगे, तो पहली से पाँचवीं तक की सारी किताबें लेकर जायेंगे। और लड़का संभावित पत्नी से पूछेगा – हरबेरियम का मैथ प्रोजेक्ट करवा पाओगी बच्चों को कि नहीं।
क्या अंडों के छिलकों से खरगोश बनाना नहीं आता, अरे तीसरी क्लास का क्राफ्टवर्क है यह।
क्या माचिस से कुत्ता बनाना नहीं आता, चौथी क्लास का क्राफ्टवर्क है यह तो।
मम्मी नहीं, इस लड़के से शादी करके बहुत परेशानी होगी, इसे तो ग्लेज्ड पेपर पर भुट्टे के दाने से बिल्ली बनाना नहीं आता, इतना तो आना ही चाहिए ना, बच्चे के पाँचवीं क्लास के सिलेबस में होगा ना।
खैरजी बिटिया को मैथ के प्रोजेक्ट में वैरी गुड मिला है। बिटिया को नहीं, उसकी माँ और पापा को मिला है। पूरी रात जागकर बनाया था।
हम पति – पत्नी एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं।
मेरा स्कूल वालों से अनुरोध है कि होमवर्क के लिए एक वर्कशाप मम्मी-पापा के लिए लगा लें। बहुत शर्म आती है, जब बच्ची पूछती है कि आपको राजस्थानी स्टाइल की पगड़ी बनानी आती है कि नहीं, हाथी को पहना कर ले जानी है। पापा पहले मम्मी को किसी राजस्थानी मित्र के ले जाते हैं, मम्मी खुद राजस्थानी पगड़ी बाँधना सीखती हैं। हाथी को पहनानी है।
मम्मी कल ग्लेज्ड पेपर पर अरहर की दाल से अफ्रीका का ब्राउन चीता बना कर ले जाना है। क्राफ्ट क्लास का एसाइनमेंट है – बिटिया ने स्कूल से आकर घोषित कर दिया है।
बिटिया सो चुकी है। रात के एक बजे मैं तलाश पाया हूँ कि अफ्रीका का ब्राउन चीता कैसा होता है। पत्नी अरहर की दाल बीन चुकी है।
अब चलूँ, ग्लेज्ड पेपर पर काम शुरू करना है।
(देश मंथन, 18 मई 2015)