संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
दो दिन पहले मेरे पास एक मिस्त्री का फोन आया था। मैं उसे जानता था। तीन-चार साल पहले उसने मेरे घर में रंगाई-पुताई का काम किया था और तभी अपना नंबर मुझे दे गया था। मिस्त्री को पता था कि मैं पत्रकार हूँ। एक बार वो काम करके चला गया तो फिर मेरा उससे कोई संपर्क नहीं रहा।
पर दो दिन पहले उसने अचानक मुझे फोन किया, “सर जी, बहुत परेशान हूँ। मेरी बेटी पिछले हफ्ते से लापता है और मैं पुलिस के पास जाता हूँ तो वो कुछ नहीं करती।”
“बेटी लापता है, पुलिस कुछ नहीं कर रही? तुम पूरी बात बताओ कि हुआ क्या?”
“सर जी, मेरी बेटी 17 साल की है। हफ्ते भर पहले घर से किसी काम से निकली और वापस नहीं लौटी। मैंने सभी रिश्तेदारों के घर पता कर लिया है, उसका कहीं पता नहीं चल रहा। मैं बहुत परेशान हूँ।”
“तुमने अपने मोहल्ले वालों से पूछा? उनसे पता किया? किसी ने देखा हो?”
हाँ जी, सर। मेरे पूरे मोहल्ले वाले परेशान हैं। पर पुलिस किसी की नहीं सुन रही। मेरा घर गाजियाबाद में है, लड़की दिल्ली के बॉर्डर के पास गयी थी, वहाँ से गायब हुई है। अब पुलिस कहती है कि दिल्ली जाकर रिपोर्ट लिखाओ। दिल्ली वाले थाने में गया तो कहते हैं कि मामला गाजियाबाद का है, वहाँ रिपोर्ट लिखाओ।
इसी भागा-दौड़ी में हफ्ता बीत गया है, सर जी। पता नहीं बेटी कहाँ होगी, कैसी होगी?”
मैं उसकी पूरी कहानी समझ गया। मैं समझ गया कि पुलिस उसके साथ किस तरह पेश आ रही होगी। कहाँ पुलिस को फटाफट रिपोर्ट लिख कर उसकी तलाश शुरू करनी चाहिए थी, और कहाँ पुलिस अपने-अपने थाने को क्लीन चिट देने के लिए अपराध दर्ज करने से बच रही थी।
मैंने मिस्त्री से कहा कि तुम थाने में जाकर पुलिस वाले से बात कराओ।
उसने ऐसा ही किया। मैंने पुलिस वाले से बात की और उससे अनुरोध किया कि तुम्हें रिपोर्ट दर्ज कर लेनी चाहिए। बेशक तुम्हारे इलाके का मामला न हो तो तुम अपने यहाँ से केस ट्राँसफर कर देना, पर इस तरह उसे टालना तो बहुत बड़ी गलती है। तुम सोचो कि तुम्हारे थाना क्षेत्र की एक लड़की हफ्ते भर से लापता है और तुम लोग इसे टाल रहे हो। वो किसी की तो बेटी है। अगर तुम रिपोर्ट नहीं लिखोगे, तफ्तीश नहीं करोगे, तो न जाने कितनों की बेटियाँ गायब होती रहेंगी। उनमें तुम्हारी भी हो सकती है। फिर क्या करोगे?”
दरोगा ठिठका।
फिर मैंने कहा कि एक लड़की अचानक लापता हो गयी है। क्या तुम्हारे लिए यह चिन्ता का विषय नहीं होना चाहिए?
दरोगा ने धीरे से कहा, “आप ठीक कह रहे हैं, सर। यहाँ तो सारा मोहल्ला चिन्तित है कि लड़की कहाँ गयी, एक मैं ही चिंतित नहीं था। सॉरी सर। रिपोर्ट दर्ज हो जाएगी।”
रिपोर्ट दर्ज हो गयी।
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करीना कपूर और आमिर खान की एक फिल्म आयी थी, तलाश।
मुमकिन है आपने फिल्म देखी हो, मुमकिन है फिल्म नहीं देखी हो। वैसे आज मुझे फिल्म की कहानी में नहीं जाना है। कहानी में करीना कपूर एक सामान्य लड़की के रूप में पुलिस अफसर आमिर खान को मिलती हैं। उन्हें अपनी पूरी कहानी सुनाती हैं। और आखिर में पता चलता है करीना कपूर को बहुत पहले ही कुछ लड़कों ने मिल कर मार डाला था और क्राइम को छिपा लिया था। मृत्यु के बाद करीना आमिर खान से मिल कर अपनी कहानी उन्हें सुनाती हैं।
फिल्म कई घुमावदार मोड़ से होते हुए गुजरती है। मैंने जब फिल्म देखी थी, तब एक सवाल मन में अटक गया था।
फिल्म में करीना कपूर आमिर खान से कहती हैं कि एक लड़की अचानक शहर से गायब हो जाती है और किसी को इस बात की परवाह नहीं कि एक लड़की आखिर गई कहाँ? किसी ने भी यह पता लगाने की कोशिश नहीं की कि कभी इस शहर में एक लड़की हुआ करती थी, जो एक रात के बाद किसी को दुबारा नजर नहीं आयी।
सुनने में यह बात भले सामान्य लगे, लेकिन यह एक बहुत गंभीर सवाल है।
आखिर एक लड़की कहाँ चली गयी?
शीना मर्डर केस इन दिनों सुर्खियों में है। आज पुलिस न जाने कितने लोगों से पूछ रही है कि आखिर शीना की हत्या किसने की।
पर आज से तीन साल पहले एक लड़की, जो हाई प्रोफाइल थी, जो पार्टियों की शान थी, अचानक गायब हो गयी और किसी ने उसके बारे में बहुत ज्यादा पड़ताल नहीं की, यह सवाल ही अपने आप में बहुत गंभीर है।
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एक हाई प्रोफाइल व्यक्ति की बेटी/साली/प्रेमिका कोई भी अचानक गायब हो गयी और किसी के कानों में जूँ तक नहीं रेंगी। पर मिस्त्री बता रहा था कि उसकी बेटी के गायब होने के बाद से मोहल्ले भर में मातम छाया है। हर कोई अपने स्तर से उसका पता लगाने की कोशिश कर रहा है। सबके होठों पर एक ही सवाल है, बिटिया कहाँ गयी? किस हाल में होगी?
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क्या प्यार का बँटवारा सिर्फ छोटे घर के लोगों के लिए सीमित होकर रह गया है? बड़े घरों में रिश्ते सिर्फ जायदाद के बँटवारे तक सिमट कर रह गये हैं?
एक लड़की के बारे में कह दिया गया कि वो अमेरिका चली गयी है और उसने वहाँ से कभी किसी से कोई संपर्क नहीं किया, न फोन, न व्हाट्स ऐप, न फेसबुक और सबने मान लिया कि उसके न मिलने के बारे में जो कहा जा रहा है, वह सच है?
एक लड़की जिसका अचानक वजूद ही मिट गया, उसके बारे में किसी की तरफ से कोई गंभीर सवाल का न उठाया जाना क्या उन्हें कठघरे में खड़ा नहीं करता, जो उसे जानते थे?
रिश्तों में स्नेह का इस कदर गुम हो जाना आदमी का बोया वो कंटीला वृक्ष है, जो सारे मानवीय मूल्यों को लहूलुहान कर देता है।
(देश मंथन, 31 अगस्त 2015)