आतंक के एटीएम

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आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार  :

संयुक्त राष्ट्र संघ में पाक पीएम नवाज शरीफ ने बताया-जी हम तो आतंक के विरोधी हैं। हम तो आतंक के खिलाफ कार्रवाई करते हैं आगे भी करेंगे।

पाकिस्तान आतंकवादी विरोधी कार्रवाई करेगा, ऐसा सुनकर मुझे (सन्नी लियोनीजी से क्षमा-सहित) ऐसा सुनायी दिया कि सन्नी लियोनीजी सुरुचिपूर्ण वस्त्र अभियान के ब्रांड एंबेसडर के तौर पर सचमुच की साड़ी पहना करेंगी।

कई कंपनियों को अपने मुनाफे का कुछ प्रतिशत कारपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत सामाजिक-महत्व की योजनाओं पर खर्च करना होता है। पाकिस्तान अगर टेरर सोशल रिस्पांसिबलिटी के तहत अपने आतंकियों के दो परसेंट को हर साल फांसी देना शुरु करे, तो भी पता नहीं कितने दशक लग जायेंगे पाकिस्तान से आतंकवाद निपटने में। तब तक तो क्या पता पाकिस्तान खुद ही निपट जाये।

पाकिस्तान आतंक का स्विस-बैंक है। पूरी दुनिया के टाप आतंकी, नाईजीरिया, इंडिया, चीन, ईरान, सऊदी अरब और जाने कहाँ-कहाँ के आतंकवादी पाकिस्तान में डिपाजिट हो रहे हैं। आतंक के स्विस बैंक में डिपाजिट तो आसान है, पर वहाँ से वापसी बहुत मुश्किल है। इंडिया वहाँ बरसों पहले डिपाजिट हुए दाऊद इब्राहीम को वापस लाने की कोशिश कर रहा है, अब तक कुछ ना हुआ।

मामला कुछ-कुछ सचमुच के स्विस बैंकों जैसा है। वहाँ से वापसी नामुमकिन टाइप की मुश्किल है।

अभी पाकिस्तान से लौटे एक पत्रकार ने बताया कि आपकी जानकारियाँ पुरानी हैं। अब तो पाकिस्तान आतंक का एटीएम है। हर सड़क पर आतंक के दर्जनों मानवी-एटीएम टहल रहे हैं, इधर टारगेट के बारे में इंस्ट्रक्शन दीजिये, उधर से आतंकी एटीएम की स्पीड से गोलियाँ बरसाना शुरू कर देता है। इधर टारगेट दें, उधर गोलियाँ लें।

एटीएम भी बहुत हैं, टारगेट देनेवाले भी बहुत हैं, आईएसआई, पाक आर्मी, पाक तालिबान, अफगानी तालिबान, लश्कर-ए-झंग, तस्कर एक खोपड़ी-तंग जाने कौन-कौन। आतंक के एटीएम इतने ज्यादा हो लिये हैं कि कंपटीशन विकट हो लिया है। हर तरफ से गोलियाँ सब तरफ से बरस रही हैं, क्रास-फायर में पब्लिक मर रही है। पर चूंकि मरनेवाली पब्लिक है, इसलिए किसी की चिंता का विषय नहीं है। आतंक के एटीएम को नुकसान पहुँचे, तब असली परेशानी होती है।

आतंक के स्विस-बैंक से आतंकियों की वापसी होगी, कब, कब।

जी, तब, तब, जब सचमुच के स्विस बैंकों में जमा काला-धन भी तमाम देशों को वापस हो जायेगा।

इस बात पर अगर आपको हंसी आ रही है, तो इससे पहले वाली बात पर भी खूब हंसिये।

(देश मंथन 27 सितंबर 2016)

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