आईपीएल ने भारतीय क्रिकेट को दी नये कप्तानों की सौगात

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पवन कुमार नाहर : 

रविवार 24 मई को पेप्सी आईपीएल 2015 मुंबई इंडियंस की जीत के साथ खत्म हुआ। मुंबई इंडियंस ने चेन्नई सुपर किंग्स को हरा कर इस साल का खिताब अपने नाम किया। हर साल की तरह इस साल भी आईपीएल से कई खिलाड़ियों को नाम, पहचान, शोहरत और फॉर्म मिलने के साथ-साथ हमारे सामने कई नये तथ्य और पहलू लाकर दिये हैं।

कुछ बड़े नामों के फ्लॉप प्रदर्शन, नये खिलाड़ियों की काबिलियत, कप्तानों की नयी फौज और विदेशी खिलाड़ियों के दबदबे जैसी कई बातें उभर कर हमारे सामने आयी हैं।

इस आईपीएल में कई दिग्गज खिलाड़ी अपने नाम और रुतबे के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाये। 16 करोड़ रुपये में खरीदे गये युवराज सिंह, 10.5 करोड़ के दिनेश कार्तिक, 6 करोड़ के ग्लेन मैक्सवेल जैसे तमाम नाम वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाये, जैसी उनसे उम्मीदें थीं। महेंद्र सिंह धोनी की टीम भले ही फाइनल तक का सफर तय कर पायी हो, लेकिन इस साल धोनी के प्रति मैच औसत रन और स्ट्राइक रेट, दोनों ही पिछले सालों की तुलना में खराब रहे। विशेषज्ञों की राय में यह धोनी पर बढ़ते दबाव और थकान का नतीजा है कि एक खिलाड़ी के रूप में उनका प्रदर्शन खराब हुआ है।

जहाँ एक तरफ बड़े नामों की चमक फीकी हो रही है तो वहीं इस साल कई नये चेहरों ने अपने नाम चमकाये। युजवेंद्र चहल, हार्दिक पांड्या, हर्षल पटेल, दीपक हूडा, पवन नेगी, सरफराज खान, मंदीप सिंह जैसे तमाम नये खिलाड़ियों ने उन्हें मिले मौकों को खूब भुनाया। लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावशाली 20 वर्षीय श्रेयस अय्यर रहे, जिन्होंने इस साल 14 मैचों में 33.76 की औसत से 439 रन ठोके। उनके इसी प्रदर्शन के कारण उन्हें इमर्जिंग प्लेयर (उभरते हुए खिलाड़ी) का पुरस्कार मिला।

हालाँकि, भारतीय खिलाड़ी इस पुरस्कार के अलावा किसी भी अन्य एकल पुरस्कार को अपने नाम नहीं कर सके।  अधिकतर पुरस्कारों की दौड़ में आधी प्रतियोगिता में आगे चल रहे भारतीय खिलाड़ी अंत में किसी भी एकल पुरस्कार को हासिल करने में असफल रहे। ‘इंडियन’ लीग में ‘इंडियन’ नामों का ही दबदबा देखने को नहीं मिल सका। ऑरेंज कैप (सबसे अधिक रन) की दौड़ में आगे चल रहे अजिंक्य रहाणे अंतिम दो-तीन मैचों में ऑस्ट्रेलिया के डेविड वॉर्नर के आगे अपनी बढ़त कायम नहीं रख पाये। पर्पल कैप (सबसे अघिक विकेट), जो लगभग आधी प्रतियोगिता तक आशीष नेहरा के सिर पर थी, अंत में वेस्ट इंडीज के ड्वेन ब्रावो के हाथ लगी। ब्रावों को सर्वश्रेष्ठ कैच का भी अवार्ड मिला। क्रिस गेल को सबसे ज्यादा छक्के मारने का पुरस्कार मिला। आंद्रे रसेल ने सबसे तेज अर्धशतक के अलावा, सबसे मूल्यवान खिलाड़ी (मोस्ट वैल्युएबल प्लेयर) का पुरस्कार अपनी झोली में डाला। घरेलू परिस्थितियों के बावजूद किसी भी भारतीय खिलाड़ी का एकल प्रदर्शन उच्च श्रेणी का न होना चिन्ता का विषय है।

लेकिन भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक अच्छी खबर यह भी है कि आईपीएल ने कप्तानों की एक नयी फौज तैयार कर दी है। इनकी कप्तानी में आईपीएल टीमों का शानदार प्रदर्शन करना भारतीय क्रिकेट के भविष्य के लिए शुभ संकेत हैं। गौतम गंभीर, रोहित शर्मा और विराट कोहली ने कप्तान के तौर पर बोर्ड और चयनकर्ताओं को धोनी के बेहतरीन विकल्प दिये हैं। मैदान पर गंभीर दिखने वाले गौतम और परिपक्व हो रहे रोहित ने दो बार आईपीएल का खिताब जिता कर अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवा दिया। वहीं मैदान पर काफी आक्रामक रहने वाले कोहली की कप्तानी को भी काफी सराहा गया। अपनी कप्तानी में भारत को अंडर-19 विश्व कप जिता चुके कोहली ने बड़े नामों से सजी, लेकिन बिखरी पड़ी बेंगलुरु की टीम को संजोया। फिर भी एक कप्तान के रूप में उन्हें अभी काफी कुछ सीखना है।

(देश मंथन, 26 मई 2015)

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