डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
नरेंद्र मोदी का शपथ-समारोह जितना सफल और सार्थक रहा, अब से पहले किसी भी प्रधानमंत्री का नहीं रहा। मंत्रिमंडल के निर्माण पर तो मैं कल लिख ही चुका हूँ लेकिन मुझे डर था कि दक्षेस राष्ट्रों के नेताओं के आगमन पर कोई अप्रिय घटना न हो जाये। इसीलिए जैसे ही मियां नवाज शरीफ दिल्ली पहुँचे, टीवी चैनलों ने कहना शुरू कर दिया कि वे शपथ-समारोह के पहले ही पत्रकार-परिषद करने की अनुमति चाहते हैं।
मेरी तत्काल प्रतिक्रिया यह थी कि मियां साहब को यह पत्रकार-परिषद नहीं करनी चाहिए। मुझे विश्वास था कि वे कोई विवादास्पद मुद्दा नहीं उठायेंगे लेकिन पत्रकार तो पत्रकार हैं। वे कोई ऐसा सवाल भी उछाल सकते थे कि जो उनकी भारत-यात्रा का मजा किरकिरा कर सकता था। अच्छा हुआ जो उन्होंने उस पत्रकार परिषद को टाल दिया।
इस समारोह के मौके पर सभी पड़ोसी नेताओं और मॉरिशस के नेता का आगमन बहुत शुभ रहा। सबके साथ द्विपक्षीय बातचीत एक ही दिन में हो गयी। सभी नेताओं के साथ हुई बातचीत का जो विवरण विदेश मंत्रालय ने जारी किया है, उससे लगता है कि सबके साथ सार्थक और रचनात्मक संवाद हुआ है। विवादास्पद मामले किसी ने भी नहीं उठाये। यह अक्सर उस तरह का था भी नहीं। दूसरे शब्दों में इस अवसर का लाभ सभी देशों को मिला है। परस्पर सहयोग के अनेक नये आयाम भी खुल गये हैं। दक्षेस के आठ देशों की संख्या बढ़ाने का भी माहौल बना है। अब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को चाहिए कि वे दक्षेस में ईरान और बर्मा के साथ-साथ पूर्व सोवियत संघ के पाँच एशियाई गणतंत्रों को भी जोड़ने का प्रयत्न करें। मोरिशस के जुड़ने पर यह संख्या 16 हो जायेगी। यदि नरेंद्र मोदी का यह शपथ-समारोह इस विशाल दक्षेस का आधार-स्तंभ बन जाये तो कोई आश्चर्य नहीं। यह वृहद दक्षेस अखंड भारत और भारत-पाक महासंघ से भी बड़ी चीज होगी। यदि इन 16 देशों का साझा बाजार, साझा संसद और महासंघ बन जाए तो यह क्षेत्रीय संगठन दुनिया के अत्यंत शक्तिशाली संगठनों में से एक होगा।
इस समारोह में मियां नवाज का आना सबसे महत्वपूर्ण रहा। उनके आगमन से उनका खुद का कद और नरेंद्र मोदी का भी कद ऊँचा हुआ है। पाकिस्तान में नरेंद्र मोदी के प्रति जो कठोर भाव है, वह भी नरम पड़ा होगा। मियां नवाज भी राजनीतिक दृष्टि से मजबूत हुए हैं। उन्होंने भारत आकर सिद्ध किया है कि वे पाकिस्तान के ऐसे लोकप्रिय नेता हैं, जिनका रास्ता कोई रोक नहीं सकता है। उनके आने से पाकिस्तान का लोकतंत्र मजबूत हुआ है। वे भारत आकर खुश हुए हैं। नरेंद्र मोदी और उनके बीच बातचीत अच्छी रही। कोई बदमजगी नहीं हुई। दोनों देशों के विदेश सचिव अब नियमित संवाद चलायेंगे। मियां नवाज़ और नरेंद्र मोदी अपने-अपने देशों में प्रचंड बहुमत से जीते हैं और दोनों ही अपने-अपने देशों के राष्ट्रवादी नेता माने जाते हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि दोनों की यह जुगलबंदी रंग लायेगी और दक्षिण एशिया के जीवन में नये अध्याय का सूत्रपात होगा।
(देश मंथन, 28 मई 2014)