कांग्रेसजनों देश की प्रगति में हाथ बंटाओं

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पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

सोनिया और राहुल गाँधी ने जब यह आरोप लगाया कि नेशनल हेराल्ड वाले मामले में प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार ने साजिशन उन्हें फँसाया है और वर्तमान एनडीए सरकार विरोधी दलों को मिटाना चाहती है तब मीडिया के मुँह में पाला क्यों मार गया था? मौके पर मौजूद रिपोर्टस ने क्यों नहीं माँ-बेटे से पूछा कि यह मामला तो तीन साल पुराना है और तब तो केंद्र और दिल्ली में आपकी ही सरकार थी, तो इसे भाजपा का किया धरा कैसे कहा जा रहा है?

इन कमजोर मीडियाकर्मियों में दरअसल इतना साहस नहीं है कि वें अपने आकाओं के निर्देश के खिलाफ देश की ऐसी विशिष्ट हस्तियों से कोई सवाल करें। कोई यह भी नहीं पूछता कांग्रेस से कि कोर्ट केस को संसद में ले जाना क्या न्यायपालिका की अवमानना नहीं था? क्या देश के परिवार विशेष को यह याद नहीं कि गुजरात दंगों को लेकर उनकी सरकार ने मोदी को फँसाने के लिए कौन-कौन से धतकरम नहीं किये थे? यही नहीं एक मुख्यमंत्री से स्वाधीन भारत के इतिहास में पहली बार उसके पद पर रहते चौदह घंटों तक किसी अपराधी की मानिंद सीबीआई ने क्या कड़ी पूछताछ नहीं की थी? 

जी हाँ, मोदी ने बतौर मुख्यमंत्री उस पूछताछ का सामना किया था। तब मुख्य प्रतिपक्षी दल भाजपा नें संसद या सड़क पर कोई चूँ चपड़ तक भी की थी क्या? सुप्रीम कोर्ट नें नरेंद्र मोदी को बाइज्जत बरी कर दिया था दंगों के आरोप में। इसके बावजूद पिछले लोकसभा चुनाव में राजकुमार ने सीधे असहिष्णुता फैलाने वाला खतरनाक बयान दिया था कि मोदी यदि पीएम बन गये तो बहुत बड़ा खून खराबा होगा, बीस हजार से ज्यादा लोग मारे जाएँगे। लेकिन देखिए कि कितनी शांति है देश में सिवाय चंद सेक्युलरिस्टों के जिनको देश में कुछ समय विशेष (बिहार चुनाव) के लिए असहनशीलता दिखने लगी थी। यह बात दीगर है कि किसी ने भी राहुलजी को उनके हिमाचल की चुनावी रैली वाले उस घातक बयान की याद नहीं दिलायी। 

यह तो मोदीजी का कटु आलोचक भी मानता है कि देश पटरी पर वापस आ रहा है, यूपीए सरकार और उसके आकाओं के पाप उघड़ कर सामने आने लगे हैं। अभी शुरुआत में इतनी बौखलाहट है तो 2019 आते-आते तक तो ये मुँह दिखाने के काबिल भी नहीं रह जाएँगे। इसलिए कांग्रेसजनों देश की प्रगति में हाथ बँटाओ, जीएसटी जैसे लोकहित के विधेयक पारित करने में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लो तो कौन जाने कि जनता की नजर में चढ़ जाओ नहीं तो आगे और भी दुर्गति के लिए तैयार रहो।

(देश मंथन, 22 दिसंबर 2015)

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