Friday, April 19, 2024
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मुकुल रॉय के जाने से भाजपा के लिए सबक

पश्चिम बंगाल के घटनाक्रम में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राय पार्टी छोड़ कर तृणमूल कांग्रेस में वापस चले गये। कांग्रेस से निकले, तृणमूल कांग्रेस बनायी। तृणमूल कांग्रेस से निकले, भारतीय जनता पार्टी में आये। भाजपा से निकले, फिर तृणमूल कांग्रेस में चले गये। तृणमूल कांग्रेस में उनका वापस जाना क्या बताता है तृणमूल कांग्रेस के लिए, भाजपा के लिए और सामान्य तौर पर राजनीति के लिए?

त्रिपुरा में लड़ाई सीपीएम बनाम भाजपा की

विद्युत प्रकाश मौर्य :

तीन जनवरी की सुबह। नार्थ त्रिपुरा जिले का कैलाशहर नगर। महिलाएँ सड़क पर रैली निकाल रही हैं। जीतेगा भाई जीतेगा, बीजेपी जीतेगा। अभी त्रिपुरा में चुनाव का ऐलान नहीं हुआ है,  पर सड़कों पर प्रचार चरम पर आ चुका है। अगले दिन कैलाशहर बाजार में बीजेपी के साइकिल यात्री नजर आते हैं। वे जन जागरण अभियान पर निकल रहे हैं। मैं उन्हें रोक कर पूछता हूँ - मुद्दा क्या है? वे कहते हैं - नौकरी नहीं है, अस्पतालों में दवाएँ नहीं हैं, डॉक्टर नहीं हैं।

कुमार विश्वास, अगर आपमें दम है, तो दिल्ली में सरकार बनाकर दिखाएं

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

कुमार विश्वास सैनिकों की बात करते हैं और सैनिक कभी मैदान छोड़कर नहीं भागते। इसिलए अगर उनमें दम है, तो केजरीवाल से इस लड़ाई को वे जीतकर दिखाएं। और अगर दम नहीं है, तो उनका हश्र भी वही होने वाला है, जो इस पार्टी में दूसरे तमाम को-फाउंडर्स का हुआ है।

मोदी की जीत कहकर केजरीवाल की हार को छोटी मत कीजिए!

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

मीडिया हर रोज पीएम मोदी का जादू टेस्ट करता है। एमसीडी चुनाव में बीजेपी की जीत को भी वह पीएम मोदी का ही जादू बता रहा है। लेकिन वह यह बताने में संकोच कर रहा है कि यह बीजेपी की जितनी बड़ी जीत नहीं है, उससे कहीं अधिक बड़ी केजरीवाल की हार है। शायद विज्ञापन बहादुर केजरीवाल के विज्ञापनों का मोह उसे यह सच बताने से रोक रहा है।

मोदी की जीत कहकर केजरीवाल की हार को छोटी मत कीजिए!

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

मीडिया हर रोज पीएम मोदी का जादू टेस्ट करता है। एमसीडी चुनाव में बीजेपी की जीत को भी वह पीएम मोदी का ही जादू बता रहा है। लेकिन वह यह बताने में संकोच कर रहा है कि यह बीजेपी की जितनी बड़ी जीत नहीं है, उससे कहीं अधिक बड़ी केजरीवाल की हार है। शायद विज्ञापन बहादुर केजरीवाल के विज्ञापनों का मोह उसे यह सच बताने से रोक रहा है।

वैचारिक आत्मदैन्य से बाहर आती भाजपा

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय : 

उत्तर प्रदेश अरसे बाद एक ऐसे मुख्यमंत्री से रूबरू है, जिसे राजनीति के मैदान में बहुत गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था।

जीव-हत्या, वेश्यावृत्ति और नशाखोरी को जस्टिफाइ करने वाले मनुष्य नहीं हैं!

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

बीजेपी और आरएसएस सिर्फ गोहत्या पर पाबंदी की वकालत करते हैं, जबकि मेरा स्टैंड यह रहा है कि समस्त पशु-पक्षियों पर अत्याचार रुकना चाहिए। गोहत्या पर पाबंदी हिन्दुत्व की रक्षा के लिए जरूरी है, लेकिन सभी पशु-पक्षियों की हत्या रोकना मानवता की रक्षा के लिए जरूरी है।

भारतीय राजनीति का ‘मोदी समय’

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय : 

चुनावों का संदेशः अपनी रणनीति पर विचार करे विपक्ष

सही मायनों में यह भारतीय राजनीति का ‘मोदी समय’ है। नरेंद्र मोदी हमारे समय की ऐसी परिघटना बन गए हैं, जिनसे निपटने के हथियार हाल-फिलहाल विपक्ष के पास नहीं हैं।

समाजवादी गठबंधन को धूल चटाने को बीजेपी-बीएसपी बना सकती है हिडेन एलायंस!

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

समाजवादी+कांग्रेस गठबंधन से यह तय हो गया है कि उत्तर प्रदेश में इस बार मतदाताओं के पास जाति और धर्म से अलग जा कर मतदान करने का विकल्प सीमित या समाप्त हो गया है। विकास का नारा सिर्फ नारा रहेगा, लेकिन मतदान करने के लिये जाति और धर्म ही सबसे बड़ा इशारा रहेगा।

कोकराझार कांड से सबक लेंगे सोनेवाल!

संदीप त्रिपाठी :         

असम के कोकराझार के भीड़भाड़ वाले दो बाजारों में हुए हमलों में 14 लोग मारे गये। एक रिपोर्ट में बताया गया एनआईए ने इस संबंध में पहले ही इनपुट उपलब्ध करा दिये थे। फिर इसे रोकना संभव क्यों नहीं हुआ? एक खबर आ रही है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने मोर्चा संभाल लिया है।

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