Friday, March 29, 2024
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क्या विजय रुपानी को मिलेगा जन्मदिन का तोहफा?

राणा यशवंत, प्रबंध संपादक, इंडिया न्यूज :

आनंदी बेन ने पद छोड़ने की इच्छा फेसबुक पर ज़ाहिर की, यह अपनी तरह की पहली घटना है। गुजरात में भाजपा कई सवालों में है और अगर अगले साल वह गुजरात हारती है तो प्रधानमंत्री मोदी के लिए उनके पाँच साल के कार्यकाल की (मैं अगले ढाई साल भी जोड़ ले रहा हूँ) यह सबसे बड़ी हार होगी। और, 2019 की मोदी की लड़ाई को बहुत कमजोर भी करेगी।

मान-सम्मान की जंग से चुनावी जीत की ललक

राजेश रपरिया :

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के चहेते उत्तर प्रदेश भाजपा के हाल तक रहे उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह की बसपा सुप्रीमो मायावती पर की गयी एक अभद्र टिप्पणी से विधानसभा चुनावों के तकरीबन 9 महीने पहले अनायास या सायास भूचाल आ गया है।

भाजपा में कैसे जगह पाते हैं दयाशंकर जैसे लोग

संदीप त्रिपाठी :

उत्तर प्रदेश भाजपा के नवनियुक्त उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह बसपा सुप्रीमो मायावती पर अभद्र टिप्पणी करके न सिर्फ अपनी कुर्सी गवाँ बैठे बल्कि उन्हें पार्टी से भी छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया। लखनऊ के हजरतगंज थाने में उन पर एससी-एसटी एक्ट समेत कई धाराओं में प्राथमिकी भी दर्ज कर ली गयी है।

तो अब सिद्धू भैया का करिहैं…

संदीप त्रिपाठी :

नवजोत सिंह सिद्धू अब क्या करेंगे? पूर्व क्रिकेटर, कमेंटेटर, कॉमेडी शो जज और भाजपा नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू, जो पंजाब में भाजपा विधायक और संसदीय सचिव थीं, उन्होंने भी अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। हालाँकि अभी इन दोनों ने भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है लेकिन इनके आम आदमी पार्टी में जाने के कयास खूब लग रहे हैं। सवाल यह है कि अब सिद्धू क्या करेंगे?

अरुणाचल प्रकरण : अपने खोदे गड्ढे में खुद गिरी भाजपा

संदीप त्रिपाठी :

अरुणाचल प्रदेश प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भारतीय जनता पार्टी की किरकिरी हुई है। भाजपा इस किरकिरी के ही लायक है। वैसे तो इस किरकिरी के लायक कांग्रेस समेत अन्य सभी राजनीतिक दल हैं लेकिन चूँकि कांग्रेस इस फैसले की लाभार्थी है, इसलिए वह अभी मस्त है।

बसपा नेताओं के पार्टी छोड़ने के सिलसिले की सियासत

संदीप त्रिपाठी :

उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव से 9 महीने पूर्व से ही इस बार सत्ता के लिए सबसे मजबूत दावेदार मानी जाने वाली मायावती की बहुजन समाज पार्टी में महत्वपूर्ण नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया है। सबसे पहले विधानसभा में विपक्ष के नेता और बसपा के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी छोड़ी। फिर राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मंत्री आर.के. चौधरी ने पार्टी छोड़ी।

कश्मीर को अमन और विकास चाहिए : नरेंद्र तनेजा

हिज्बुल मुजाहिदीन के प्रमुख आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर में एक बार फिर उबाल दिख रहा है और अमरनाथ यात्रा रुकने जैसे हालात पैदा हो गये हैं। कश्मीर की इस स्थिति और वहाँ की विकराल समस्या को सुलझाने के बारे में भाजपा की सोच क्या है? भाजपा प्रवक्ता नरेंद्र तनेजा से देश मंथन की एक बातचीत। 

स्वामी प्रसाद मौर्य के सीमित होते विकल्प

संदीप त्रिपाठी :

बसपा से बगावत कर स्वामी प्रसाद मौर्य ने पहली गलती की थी, दूसरी गलती उन्होंने सपा को गुंडों की पार्टी कह के की। मौर्य की पहचान मौर्य-कुशवाहा समाज के नेता के रूप में कम, मायावती के सिपहसालार के रूप में ज्यादा रही है। सपा के विरुद्ध विषवमन के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा में शामिल होने की जुगत में जुटे हैं। भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्य सभी नपा-तुला बोल रहे हैं। स्वामी प्रसाद अब लखनऊ से दिल्ली के बीच दौड़ लगा रहे हैं।

उड़ता पंजाब और उल्टा दाँव

संजय कुमार सिंह, संस्थापक, अनुवाद कम्युनिकेशन :

गुजरात का फार्मूला देश में नहीं चल रहा है। ना विकास का ना चुनाव जीतने का। भाजपा दावा चाहे जो करे। भक्त चाहे जो दिखाएं-बताएं सच यह है कि हिन्दुत्व ब्रिगेड की चालें बुरी तरह मार खा रही हैं।

अपनी भूमिका पर पुर्नविचार करें राष्ट्रीय दल

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :

अब जबकि आधे से ज्यादा भारत क्षेत्रीय दलों के हाथ में आ चुका है तो राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे नए सिरे से अपनी भूमिका का विचार करें। भारत की सबसे पुरानी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, दोनों प्रमुख कम्युनिस्ट पार्टियाँ और भारतीय जनता पार्टी आम तौर पर पूरे भारत में कम या ज्यादा प्रभाव रखती हैं। उनकी विचारधारा उन्हें अखिल भारतीय बनाती है भले ही भौगोलिक दृष्टि से वे कहीं उपस्थित हों, या न हों।

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