Sunday, September 8, 2024
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जेएनयू देशद्रोह कांड : सर्जिकल ऑपरेशन की जरूरत

राकेश उपाध्याय, पत्रकार :

जेएनयू देशद्रोह कांड में कन्हैया को दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत तो दे दी, लेकिन जो नसीहतें फैसले में सुनायी हैं, वो बहुत महत्वपूर्ण हैं। जेएनयू के वामपंथी मित्रों को इन नसीहतों पर गौर करना चाहिए जिन पर अदालत ने कन्हैया से शपथपत्र माँग लिया है...एक बार आप भी देखें और समझें कि अदालत ने 23 पन्नो के फैसले में कहा क्या है-

हमें मारोंगे तो हम कुछ नहीं कहेंगे

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

आइए, आज आपको एक ऐसी कहानी सुनाता हूँ, जिसे याद करके मेरी रूह काँप जाती है।

कचौड़ी का लोकार्पण

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :

दिल्ली का पुस्तक मेला निपट गया कल रविवार 17 जनवरी को। हिंदी के स्टालों पर यह शुबहा रहा कि लोकार्पण-कर्ता ज्यादा हैं हिंदी में या पाठक ज्यादा।

किताबों का लोकार्पण पहले होता था, अब लोकार्पण मचता है, खास तौर पर पुस्तक मेले में।

दिल्ली वालों का अभी कुछ होना बाकी है

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

बहुत साल पहले जब मैं स्कूल में पढ़ता था, जय प्रकाश नारायण ने बिहार में स्कूल बंद करा दिये थे। 

तुगलकी फरमान, जनता परेशान

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

आदरणीय अरविंद केजरीवाल जी,

नया साल मंगलमय हो।

अपनी बचाऊँ कि ये सोचूँ कि सरकार क्या कर रही है

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

आज अपनी बात कहने के लिए मैं एक चुटकुले का सहारा ले रहा हूँ, लेकिन मैं जो लिखने जा रहा हूँ वो चुटकुला नहीं। वो बेहद संजीदा विषय है, इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि आपमें से अगर किसी को चुटकुले पर आपत्ति हो, तो मुझे माफ कर दें।

***

‘बीमार’ मुख्यमंत्री की भाषा

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की दु:साध्य ब्लड शुगर नें कहीं उनके दिमाग पर तो असर नहीं डाल दिया?

वज्रपात

प्रेमचंद :

दिल्ली की गलियाँ दिल्ली-निवासियों के रुधिर से प्लावित हो रही हैं। नादिरशाह की सेना ने सारे नगर में आतंक जमा रखा है। जो कोई सामने आ जाता है, उसे उनकी तलवार से घाट उतरना पड़ता है। नादिरशाह का प्रचंड क्रोध किसी भाँति शांत ही नहीं होता। रक्त की वर्षा भी उसके कोप की आग को बुझा नहीं सकती।

आइए खूबियाँ ढूँढते हैं

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

मैंने कल लिखा था न कि मेरी मुलाकात दिल्ली वाले लड़के से होगी। 

आँखों से सितारा बनते देखा

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

आज मैं दिल्ली के उस लड़के से फिर मिलूँगा जो लाखों-करोड़ों लोगों के लिए एक काल्पनिक संसार बन गया है। मैं उससे जब भी मिलता हूँ, यह सोच कर मन ही मन हैरान होता हूँ कि अगर वो वो नहीं होता तो क्या होता? 

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