जेएनयू देशद्रोह कांड : सर्जिकल ऑपरेशन की जरूरत

0
62

राकेश उपाध्याय, पत्रकार :

जेएनयू देशद्रोह कांड में कन्हैया को दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत तो दे दी, लेकिन जो नसीहतें फैसले में सुनायी हैं, वो बहुत महत्वपूर्ण हैं। जेएनयू के वामपंथी मित्रों को इन नसीहतों पर गौर करना चाहिए जिन पर अदालत ने कन्हैया से शपथपत्र माँग लिया है…एक बार आप भी देखें और समझें कि अदालत ने 23 पन्नो के फैसले में कहा क्या है-

जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष के रूप में कैंपस में आयोजित राष्ट्रद्रोही कार्यक्रम को लेकर कन्हैया जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।-

…जमानत माँग रहे कन्हैया को ध्यान रखना होगा कि उनकी आजादी और विचार-अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तभी तक सुरक्षित है जबतक सरहदों पर जवान मुस्तैद हैं, जो बेहद मुश्किल हालात में देश की सुरक्षा कर रहे हैं। शहीद जवानों के तिरंगे में लिपटे शव जब उनके घरवालों को पास जाते हैं तो उस वक्त देशद्रोही नारेबाजी से उनके दिल पर क्या गुजरी होगी, ये भी सोचना होगा।

…याद रखना होगा कि विचार अभिव्यक्ति की आजादी के साथ संविधान ने देश के प्रति नागरिकों के कर्तव्य भी तय किये हैं। अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

…कन्हैया को वचन देना होगा कि वो प्रत्यक्ष या परोक्ष किसी भी तरह से देशविरोधी किसी गतिविधि में आगे हिस्सा नहीं लेगा।

…जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष के तौर पर वो कैंपस में राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए पूरा प्रयास करेगा।

…कन्हैया की जमानत लेने वाले प्रोफेसर या उनके नजदीकी ये सुनिश्चित करेंगे कि कन्हैया के विचारों और ऊर्जा का उपयोग रचनात्मक तरीके से हो रहा है।

…ध्यान रखना होगा कि कैंपस में संसद पर हमले के मुजरिम अफजल गुरु से जुड़े कार्यक्रम दोबारा आयोजित न होने पाएँ।…

…कैंपस में अफजल गुरु और मकबूल बट जैसे आतंकवादियों की तस्वीरें और उनके समर्थन में नारेबाजी विचार अभिव्यक्ति की आजादी से जुड़े अधिकार के तहत नहीं आती। 

…अदालत का मानना है कि ये एक संक्रामक बीमारी है जिसे महामारी बनने से रोकना होगा।..और अगर संक्रमण रोकने के लिए दवा से काम नहीं बन रहा और बीमारी गैंग्रीन की तरह खतरनाक हो जाए तो सर्जिकल ऑपरेशन के जरिए इस पर हमें काबू पाना होगा।

तो अदालत ने सर्जिकल ऑपरेशन तक की जरूरत बता दी है। पैरा 48 में साफ लिखा है कि -“Whenever some infection is spred in a limb, effort is made to cure the same by giving antibiotics orally and if that does not work by following second line of treatment, sometimes it may require surgical intervention also. However, if the infection results in infecting the limb to the extent that it becomes gangrene, amputation is the only treatment.” सवाल है कि अगर जेएनयू में वाममार्गी संगठन जमानत पर जश्न मनाने जा रहे हैं तो क्या वो जेएनयू में जमानत के इस फैसले पर भी कुछ विचार या भाषण प्रकट करेंगे? या फैसले की प्रतियाँ भी बाँट कर अदालत को धन्यवाद देंगे? जिसके जरिए कन्हैया को तिहाड़ से आजादी मिल रही है। अगर ऐसा वो कर सके तो कितना ही अच्छा होगा।

(देश मंथन, 03 मार्च 2016)

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें