Thursday, April 18, 2024
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शमशेरा : हिंदू घृणा और वामपंथी एजेंडा से भरी फिल्म को दर्शकों ने नकार दिया

शमशेरा हिंदू घृणा से सनी ऐसी फिल्म है, जिसका साहित्य में परीक्षण हुआ, जैसा कि फर्स्ट पोस्ट आदि पर आयी समीक्षाओं से पता चलता है, और फिर बाद में परदे पर उतारा गया। परंतु जैसे साहित्य में फर्जी विमर्श को रद्दी में फेंक कर जनता ने नरेंद्र कोहली को सिरमौर चुना था, वैसे ही अब उसने आरआरआर एवं कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्मों को चुन लिया है और शमशेरा को गड्ढे में फेंक दिया है!

रॉकेट्री फिल्म के बहाने फिर सामने आयी हिंदुओं के प्रति वामपंथी घृणा!

रॉकेट्री फिल्म की इसलिए आलोचना की जा रही है कि इस फिल्म ने नारायणन की भक्ति को बार-बार दिखाया है। वे जब भी कठिनाई में फँसते हैं तो वे प्रार्थना करते हैं, वे एक सच्चे हिंदू देशभक्त हैं! क्या हिंदू देशभक्त होना अपराध है? क्या वह व्यक्तित्व, जिन्होंने अपने जीवन में तमाम कठिनाइयों का सामना किया और उनसे संघर्ष करने की शक्ति उन्हें अपने धार्मिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों से प्राप्त हुई, तो क्या वह बात इस फिल्म में दिखायी नहीं जानी चाहिए थी?

जेएनयू देशद्रोह कांड : सर्जिकल ऑपरेशन की जरूरत

राकेश उपाध्याय, पत्रकार :

जेएनयू देशद्रोह कांड में कन्हैया को दिल्ली हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत तो दे दी, लेकिन जो नसीहतें फैसले में सुनायी हैं, वो बहुत महत्वपूर्ण हैं। जेएनयू के वामपंथी मित्रों को इन नसीहतों पर गौर करना चाहिए जिन पर अदालत ने कन्हैया से शपथपत्र माँग लिया है...एक बार आप भी देखें और समझें कि अदालत ने 23 पन्नो के फैसले में कहा क्या है-

JNU में वामपंथियों की देश विरोधी करतूत

सुशांत झा, पत्रकार :

हाफिज़ सईद के JNU के कॉमरेडों को समर्थन देने की खबर IBN की साइट ने लगायी थी, बाद में जनसत्ता ने भी लगा दी। खबर का आधार संदेहास्पद था, IBN ने हटा दी। पहले Saurabh Dwivedi ने मुझे इनबॉक्स में इशारा किया, तब तक मैं उसे शेयर कर चुका था।

कलाम साहब को ‘सशर्त श्रद्धाँजलियाँ’

सुशांत झा, पत्रकार :

मिथिला की एक लोककथा में एक ब्राह्मण का जिक्र आता है जो हर बात में मीन-मेख निकालता था। एक दिन पार्वती ने शिव से कहा कि हे महादेव मैं उस ब्राह्मण को भोजन पर निमंत्रित करना चाहती हूँ, वो मेरी पाक कला में कोई दोष नहीं ढ़ूँढ़ पायेगा।

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शमशेरा : हिंदू घृणा और वामपंथी एजेंडा से भरी फिल्म को दर्शकों ने नकार दिया

शमशेरा हिंदू घृणा से सनी ऐसी फिल्म है, जिसका साहित्य में परीक्षण हुआ, जैसा कि फर्स्ट पोस्ट आदि पर आयी समीक्षाओं से पता चलता है, और फिर बाद में परदे पर उतारा गया। परंतु जैसे साहित्य में फर्जी विमर्श को रद्दी में फेंक कर जनता ने नरेंद्र कोहली को सिरमौर चुना था, वैसे ही अब उसने आरआरआर एवं कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्मों को चुन लिया है और शमशेरा को गड्ढे में फेंक दिया है!

नेशनल हेराल्ड मामले का फैसला आ सकता है लोकसभा चुनाव से पहले

ईडी ने तो एक तरह से मामले को छोड़ दिया था। ईडी की पकड़ में यह मामला तब आया, जब कोलकाता में हवाला कारोबार करने वाली एक शेल कंपनी के यहाँ एजेएल और यंग इंडिया की हवाला लेन-देन की प्रविष्टि (एंट्री) मिली, और उसके तार ईडी की जाँच में गांधी परिवार तक गये। इसलिए गांधी परिवार से पूछताछ के बिना चार्जशीट दाखिल नहीं हो सकती है। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे से पूछताछ हो चुकी है और अब सोनिया गांधी से पूछताछ हो रही है।

पाकिस्तान में बढ़ती शर्मनाक घटनाएँ, फिर भी पश्चिमी देशों का दुलारा पाकिस्तान

अमेरिका की एक व्लॉगर पाकिस्तान में विषय में वीडियो बनाती थी। उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ है और बलात्कार करने वाले उसके अपने वही दो दोस्त हैं, जिनके बुलावे पर वह पाकिस्तान आयी।

लिबरल खेमा वैश्विक उथल-पुथल से प्रफुल्लित क्यों है?

उनके हर्ष का विषय तीन वैश्विक घटनाएँ हैं। पहली है यूके के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का इस्तीफा, दूसरी घटना है जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या और तीसरी सबसे महत्वपूर्ण घटना है श्रीलंका का दीवालिया होना और राष्ट्रपति आवास पर आम जनता का नियंत्रण होना!
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