Tag: नरेंद्र मोदी
क्या हो पायेगा ‘आप’ का पुनर्जन्म?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
तो क्या ‘आप’ का पुनर्जन्म हो सकता है? दिल्ली में चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। सबसे बड़ा सवाल यही है, ‘आप’ का क्या होगा? केजरीवाल या मोदी? दिल्ली किसका वरण करेगी?
काले धन का टेंटुआ कोई क्यों पकड़े?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
सुना है, सरकार काला धन ढूँढ रही है। उम्मीद रखिए! एक न एक दिन काला धन आ कर रहेगा! अगर कहीं मिल जायेगा, तो जरूर आ जायेगा! न मिला तो सरकार क्या कर सकती है?
गले पड़ गया 100 दिनों का वादा
राजीव रंजन झा :
एनडीए सरकार के लिए 100 दिनों में विदेशों से काला धन वापस लाने का वादा उसी तरह गले पड़ गया है, जैसे यूपीए सरकार के लिए 100 दिनों में महँगाई घटाने का वादा गले पड़ गया था। अब 100 दिनों के बदले 150 से ज्यादा दिन गुजर चुके हैं और लोग पूछ रहे हैं कि सरकार बतायें, विदेशों से वापस लाया हुआ काला धन कहाँ है?
अबकी बार, क्या क्षेत्रीय दल होंगे साफ?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
राजनीति से इतिहास बनता है! लेकिन जरूरी नहीं कि इतिहास से राजनीति बने! हालाँकि इतिहास अक्सर अपने आपको राजनीति में दोहराता है या दोहराये जाने की संभावनाएँ प्रस्तुत करता रहता है!
महाराष्ट्र-हरियाणा : मतदान से मतगणना तक
दीपक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार :
"मैंने सोचा था ये 'अमर प्रेम' जैसे संबंध हैं, लेकिन ये तो 'कटी पतंग' निकले।" मायानगरी से प्रभावित शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे यह कह कर भावुक से होने लगे।
एक बीजेपी सांसद का दर्द
उमाशंकर सिंह, एसोसिएट एडिटर, एनडीटीवी
प्रधानमंत्री ने आज ही सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की है। इस योजना को लेकर सांसदों के मन में किस तरह की शंका-आशंका है और मोदी के प्रधानमंत्रित्व में उनका कामकाज कैसा चल रहा है? यह सब एक सांसद से बातचीत में सामने आयी। पेश है बातचीत का ब्योरा:
क्या-क्या सिखा सकती है एक झाड़ू?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
तो झाड़ू अब ‘लेटेस्ट’ फैशन है! बड़े-बड़े लोग एक अदना-सी झाड़ू के लिए ललक-लपक रहे हैं! फोटो छप रही है! धड़ाधड़! यहाँ-वहाँ हर जगह झाड़ू चलती दिखती रही है!
बिल्ली के भाग्य से छींका नहीं टूटेगा?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
नमो अब अमेरिका यात्रा पर हैं. अब वहाँ नमो-नमो हो रहा है! नमो वाक़ई बड़े कुशल खिलाड़ी हैं. ख़बरें बनाना जानते हैं. ख़बरों में रहना जानते हैं. मौक़ा कोई हो, बात कोई हो, यह ‘नमो-ट्रिक’ देश पहली बार देख रहा है कि राग नमो-नमो कैसे हमेशा चलता रहे!
रात तय करती है सुबह किसकी होगी
दीपक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार :
डूबती रात के अंधेरों में जब वासना से विरक्त होकर कोई अपने लक्ष्य से भिड़ता है तो जान लीजिए उसका मन किसी बड़ी दिशा की और बढ़ चुका है।
मोदी समझ रहे हैं, स्वयंसेवक भी समझें
दीपक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार :
गरीबी, गुरबत, गाली और गद्दारियों की तोहमतों के बीच कोई कैसे जिये? पंचर जोड़ना, हजामत बनाना, कबाड़ का काम, पुताई का ठेका और कसाई की जिंदगी।