Tag: अरविंद केजरीवाल
सामने आयी शांति भूषण के भीतर रुकी सच्चाई

डॉ. रंजन ज़ैदी, वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक :
शांति भूषण जी पुराने समाजवादियों में से हैं। प्रोफेशनल अधिवक्ता। ईमानदार लोगों में डूबता सितारा। डूबता इसलिए कि जिसने 'आम आदमी पार्टी' को जन्म दिया उसी में उसकी उपेक्षा कर दी गयी।
दिल्ली के दिल में क्या है?

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
दिल्ली जीते, फिर यहाँ जीते, फिर वहाँ जीते, इधर जीते, उधर जीते, पूरब जीते, पश्चिम जीते, उत्तर जीते, लेकिन अबकी बार दिल्ली का उत्तर क्या होगा?
शीला दीक्षित की ना से भंवर में दिल्ली कांग्रेस

शिव ओम गुप्ता :
राजधानी दिल्ली में कांग्रेस का स्यापा खतम होने का नाम नहीं ले रहा है। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और केरल की पूर्व राज्यपाल शीला दीक्षित ने झटका देते हुये कहा है कि वह आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनेंगी। यही नहीं, उन्होंने यहाँ तक कहा है कि उनके परिवार को कोई भी सदस्य नई दिल्ली सीट से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगा।
‘आप’ के रेडियो जिंगल पर दिल्ली पुलिस की रोक क्यों?

प्रियभांशु रंजन, पत्रकार :
खबर आयी है कि दिल्ली पुलिस ने आम आदमी पार्टी के एक रेडियो विज्ञापन पर पाबंदी लगा दी है। दिल्ली पुलिस की दलील है कि 'आप' के विज्ञापन से उसकी "छवि को नुकसान पहुँचा" है।
क्या हो पायेगा ‘आप’ का पुनर्जन्म?

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
तो क्या ‘आप’ का पुनर्जन्म हो सकता है? दिल्ली में चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। सबसे बड़ा सवाल यही है, ‘आप’ का क्या होगा? केजरीवाल या मोदी? दिल्ली किसका वरण करेगी?
जनता के सारे भरम तोड़ डाले केजरीवाल ने

अभिरंजन कुमार :
केजरीवाल की बीमारी सिर्फ यह नहीं है कि वे खुद को छोड़ कर बाकी सबको चोर, बेईमान, भ्रष्ट मानते हैं, बल्कि उनकी बीमारी यह भी है कि वे खुद को छोड़ कर बाकी सबको मूर्ख, बेवकूफ और अनपढ़ भी मानते हैं।
मुलायम की बिसात पर क्या राहुल क्या मोदी

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :
नेताजी से ज्यादा यूपी की राजनीति कोई नहीं समझता। और सियासत की जो बिसात खुद को पूर्वांचल में खड़ा कर नेताजी ने बनायी है, उसे गुजरात से आये अमित शाह क्या समझे और पुराने खिलाड़ी राजनाथ क्या जाने।
आपका क्या होगा जनाबे आली

रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
"मैं बिहार से आया हूँ। आप का प्रचार करने। सर किराये पर कमरा लेने गया तो पूछा किस लिए चाहिए। मैंने सही बता दिया कि अरविंद केजरीवाल का प्रचार करने आया हूँ।
बनारस की एक शाम

रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
जिसने भी बनारस के चुनाव को अपनी आँखों से नहीं देखा उसने इस चुनाव को देखा ही नहीं। शाम को गंगा के स्पर्श से हवायें मचलने लगी थी।
वैधानिक चेतावनी : हिटलर और केजरीवाल की इन तस्वीरों में संबंध नहीं

जैसे-जैसे चुनावी सरगर्मियाँ परवान चढ़ रही हैं, वैसे-वैसे विभिन्न दलों के बीच जुबानी जंग भी तीखी होती जा रही है। लेकिन नेताओं की जुबानी जंग के बीच सामाजिक माध्यमों (सोशल मीडिया) पर लोगों की रचनात्मकता भी खूब गुल खिला रही है।