Tag: आरक्षण
क्या ईश-निंदा है आरक्षण पर विचार-विमर्श?
राजीव रंजन झा :
जब तक भेदभाव है, तब तक आरक्षण खत्म नहीं होगा। यह बात दलित नेत्री मायावती भी कहती हैं, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तमाम नेता भी कहते हैं। संघ ने भी यही कहा है, हालाँकि संघ के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य की एक टिप्पणी विवाद का केंद्र बनी है।
ब्राह्मणों को छोड़ कर सबको आरक्षण!
बिहार चुनाव : विकास, गोकसी और आरक्षण का मुद्दा है भारी
संदीप त्रिपाठी :
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान होने में एक हफ्ते हैं। बीते महीने में विश्लेषक यह आकलन करते रहे कि दोनों प्रमुख चुनावी गठबंधनों, राजद + जदयू + कांग्रेस के महागठबंधन और भाजपा + लोजपा + रालोसपा + हम के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के बीच बाजी किसके हाथ रहेगी। और यह भी कि तारिक अनवर के नेतृत्व में सपा + राकांपा + जन अधिकार पार्टी (पप्पू यादव) + समरस समाज पार्टी (नागमणि) + समाजवादी जनता पार्टी (देवेंद्र यादव) + नेशनल पीपुल्स पार्टी (पीए संगमा) का गठबंधन धर्मनिरपेक्ष समाजवादी मोर्चा इन दोनों प्रमुख गठबंधनों में कहाँ किसके वोटबैंक में सेंध लगायेगा। और यह भी कि हैदराबाद की राजनीतिक पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी बिहार के सीमांचल क्षेत्र में क्या गुल खिला पायेंगे और इससे किसको नुकसान और किसको फायदा होगा और इनके पीछे कौन है।
क्यों ‘आरक्षण-मुक्त’ भारत का नारा?
कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :
गुजरात के पाटीदार अनामत आन्दोलन (Patidar Anamat Andolan) के पहले हार्दिक पटेल को कोई नहीं जानता था। हालाँकि वह पिछले दो साल में छह हजार हिन्दू लड़कियों की 'रक्षा' कर चुके हैं! ऐसा उनका खुद का ही दावा है! बन्दूक-पिस्तौल का शौक हार्दिक के दिल से यों ही नहीं लगा है।
ताकतवर को चाहिए आरक्षण
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
पटेल असमर्थता या कमजोरी के आधार पर नहीं, ताकत के आधार पर आरक्षण माँग रहे हैं, संदेश साफ है कि हमारे वोट चाहिए, तो हमारी बात सुननी ही होगी, माँग नाजायज या जायज है, यह मसला नहीं है। हम ताकतवर जाति हैं, तो बात सुननी होगी।
आरक्षण@पटेल
सुशांत झा, पत्रकार :
पटेलों को आरक्षण मिलने से सबसे ज्यादा दिक्कत किसे होनी चाहिए? जाहिर है, वर्तमान पिछड़ों को। और जाटों को आरक्षण मिलने से? उसमें भी वर्तमान पिछड़ों को दिक्कत होनी चाहिए कि कोई मजबूत जाति उसके हिस्से में सेंधमारी करने आ रही है। लेकिन पिछड़ों का कोई मजबूत प्रतिरोध सामने नहीं है। सिवाय एकाध फेसबुकिया विचारकों के पिछड़ों को अपने हितों की कोई चिन्ता नहीं है!