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जरा नजाकत से सँभालें कश्मीर : कांग्रेस की सलाह
अभिषेक मनु सिंघवी, प्रवक्ता, कांग्रेस :
जहाँ तक हमारे संविधान की सीमाओं का सवाल है, और जहाँ तक भारत की अक्षुण्णता एवं सुरक्षा का सवाल है, उसमें किसी रूप से कोई समझौता नहीं हो सकता है।
राहुल बाबा फिर विदेश चले गये हैं
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
राहुल बाबा फिर विदेश चले गए हैं।
किस देश गए हैं, बताकर नहीं गये, वरना जरूर बताता।
विधानसभा चुनाव नतीजे कांग्रेस और लेफ्ट को करारा तमाचा
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
पाँच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों से एक बात बिल्कुल साफ है कि देश की जनता अब कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों से पक चुकी है। उन्हें समझ में आ गया है कि ये दोनों एक ही थैले के चट्टे-बट्टे हैं और इनके बीच पति-पत्नी जैसा रिश्ता है। इनके दिन के झगड़े का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि रात में इन्हें साथ ही रहना है। इसलिए इन दोनों को जनता मजबूरी में अब सिर्फ वहीं चुन रही है, जहाँ उनके पास कोई तीसरा विकल्प नहीं है।
कांग्रेस में घबराहट
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
चापलूसी की इंतहा है। संसद में गला फाड़ने से कुछ नहीं होगा। देश अब जान चुका है कि हर घोटाले और भ्रष्टाचार के पीछे कौन सा राजनीतिक दल और उसका आला कमान है। इसलिए तर्क मत गढ़िए। एजेंसियों को अपना काम करने दीजिए।
कांग्रेस की सांप्रदायिक और देशद्रोही राजनीति का रिजल्ट है एनआईटी की घटना
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
हैदराबाद विश्वविद्यालय में रोहित वेमुला और उसके साथियों ने मुम्बई धमाकों के गुनहगार याकूब मेमन के समर्थन में कार्यक्रम किये, लेकिन कांग्रेस और कम्युनिस्टों ने पूरे मामले को जातीय रंग दे कर उन लोगों को हीरो बना दिया।
काँग्रेस : बस ‘टीना’ में ही जीना!
क़मर वहीद नक़वी, पत्रकार :
प्रशान्त किशोर ने काँग्रेस को एक 'क्विक फिक्स' फार्मूला दिया है। ब्राह्मणों को पार्टी के तम्बू में वापस लाओ। फार्मूला सीधा है। जब तक ब्राह्मण काँग्रेस के साथ नहीं आते, तब तक उत्तर प्रदेश में मुसलमान भी काँग्रेस के साथ नहीं आयेंगे। क्योंकि मुसलमान तो उधर ही जायेंगे, जो बीजेपी के खिलाफ जीत सके। मायावती के कारण अब दलित तो टूटने से रहे। तो कम से कम मुसलमान और ब्राह्मण तो काँग्रेस के साथ आयें! हालाँकि यह कोई नया फार्मूला नहीं है। उत्तर प्रदेश में तो चाय की चौपालों पर चुस्की मारने वाला हर बन्दा जानता है कि 2007 में ठीक इसी दलित-ब्राह्मण-मुसलमान की 'सोशल इंजीनियरिंग' से मायावती ने कैसे बहुमत पा लिया था।
एक भारतीय की पाती
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
आज सभी से राजनीति से ऊपर उठ एक बात कहना चाहता हूँ कि आप लोगों की लाचारी देख मुझे ऐसा लग रहा है कि आप लोगों की हालत उन भारतीय सिपाहियों जैसी हो गयी है जो मुगलों और अंग्रेजों की सेनाओं में शामिल हो जाते थे और न चाहते हुए भी अपने सिद्धांतों से समझोता कर अपने ही लोगों के खिलाफ खड़े हो जाते थे और जबरन ज्यादती करते थे।
उफ्फ टोपी, हाय टोपी
पुराणिक, व्यंग्यकार :
अभी कांग्रेस का स्थापना दिवस मनाया गया, कई नेता गाँधी टोपी में थे, बहुत अश्लील लग रहे थे। पर उनसे ज्यादा वह टोपी अश्लील लग रही थी।
आज गोडसे-भक्त कह रहे होंगे – थैंक्यू मीडिया..थैंक्यू कांग्रेस!
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
आज कुछ चैनलों ने बताया कि कुछ लोग महात्मा गाँधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे का बलिदान दिवस मना रहे हैं। इन्हीं चैनलों ने यह भी बताया कि कार्यक्रम में 50 लोग भी नहीं जुटे। 125 करोड़ लोगों के देश में जिस विचार के लिए 50 लोग भी नहीं जुटे, उसे सारे चैनलों ने दिन भर अपनी प्रमुख हेडलाइंस में जगह दी।
अब फर्जी सेक्युलर सिखाएँगे सहिष्णुता का पाठ
अभिरंजन कुमार :
चीन में यह भी कम्युनिस्ट ही तय करते हैं कि लोग कितने बच्चे पैदा करें। वहाँ की कम्युनिस्ट सरकार ने 36 साल बाद अपने नागरिकों को दो बच्चे पैदा करने की इजाजत दी है। वहाँ पहले एक ही बच्चा पैदा करने की इजाजत थी। दंपति दूसरा बच्चा तभी पैदा कर सकते थे, जब पहली संतान लड़की हो।