Tag: गुजरात
जीत गये अहमद पटेल, हार गयी कांग्रेस
संदीप त्रिपाठी :
कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी के राजनीतिक सचिव और कांग्रेस के वित्तीय संकटमोचक अहमद पटेल राज्यसभा चुनाव भले जीत गये, लेकिन इससे कांग्रेस की हार साबित होती है। दो बागी कांग्रेसी विधायकों द्वारा ज्यादा जोश दिखाये जाने से चुनाव आयोग ने कांग्रेस की आपत्ति पर उन विधायकों का वोट रद कर दिया और पटेल चुनाव जीत गये। अगर ये बागी कांग्रेसी विधायक अपना वोट दिखा कर न देते तो...?
भारतीय नौजवानों में जहर घोलता आईएस
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
समूची मानवता के लिए खतरा बन चुके खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के प्रति भारतीय युवाओं का आकर्षण निश्चित ही खतरनाक है। कश्मीर से लेकर केरल और अब गुजरात में दो संदिग्धों की गिरफ्तारी चिंतनीय है ही।
फेसबुक के इस्तेमाल
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
गुजरात की मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर इस्तीफा दिया। नेता चुन कर आता है जनता द्वारा, पर मुक्ति चाहता है फेसबुक द्वारा। फेसबुक के यूँ कई इस्तेमाल हैं- इस पर कविता, इश्क और इस्तीफा कुछ भी किया जा सकता है। यूँ कई लोग इस्तीफा और इश्क में असमर्थ होते हैं, तो फेसबुक पर कविता का अंबार दिखायी देता है।
क्या विजय रुपानी को मिलेगा जन्मदिन का तोहफा?
राणा यशवंत, प्रबंध संपादक, इंडिया न्यूज :
आनंदी बेन ने पद छोड़ने की इच्छा फेसबुक पर ज़ाहिर की, यह अपनी तरह की पहली घटना है। गुजरात में भाजपा कई सवालों में है और अगर अगले साल वह गुजरात हारती है तो प्रधानमंत्री मोदी के लिए उनके पाँच साल के कार्यकाल की (मैं अगले ढाई साल भी जोड़ ले रहा हूँ) यह सबसे बड़ी हार होगी। और, 2019 की मोदी की लड़ाई को बहुत कमजोर भी करेगी।
अंबाला रेलवे स्टेशन के बाहर नैरोगेज का स्टीम लोकमोटिव
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
दिल्ली से पंजाब और जम्मू की तरफ जाने के रास्ते पर बड़ा रेलवे स्टेशन आता है अंबाला। अंबाला शहर में दो रेलवे स्टेशन हैं। अंबाला कैंट और अंबाला सिटी। पर अंबाला कैंट बडा रेलवे स्टेशन है और सिटी छोटा। अंबाला कैंट के सामने ही अंबाला क मुख्य बस स्टैंड भी है। इसलिए आपको बस से ट्रेन या फिर ट्रेन से बस लेने के लिए ज्यादा नहीं चलना पड़ता।
उड़ता पंजाब और उल्टा दाँव
संजय कुमार सिंह, संस्थापक, अनुवाद कम्युनिकेशन :
गुजरात का फार्मूला देश में नहीं चल रहा है। ना विकास का ना चुनाव जीतने का। भाजपा दावा चाहे जो करे। भक्त चाहे जो दिखाएं-बताएं सच यह है कि हिन्दुत्व ब्रिगेड की चालें बुरी तरह मार खा रही हैं।
शराबबंदीः सवाल, नीयत और नैतिकता का
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
तर्क नहीं है। किंतु वह बिक रही है और सरकारें हर दरवाजे पर शराब की पहुँच के लिए जतन कर रही हैं। शराब का बिकना और मिलना इतना आसान हो गया है कि वह पानी से ज्यादा सस्ती हो गयी है। पानी लाने के लिए यह समाज आज भी कई स्थानों पर मीलों का सफर कर रहा है किंतु शराब तो ‘घर पहुँच सेवा’ के रूप में ही स्थापित हो चुकी है।
राजीव थे भारत के सबसे सांप्रदायिक प्रधानमंत्री!
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
मानसिक और वैचारिक तौर पर दिवालिया हो चुके जिन लोगों को 1984 के दंगों में 3 दिन के भीतर 3,000 लोगों का मार दिया जाना भीड़ के उन्माद की सामान्य घटना नजर आती है, उन्हीं लोगों ने, गुजरात दंगे तो छोड़िए, उन्मादी भीड़ द्वारा दादरी में सिर्फ एक व्यक्ति की हत्या को देश में असहिष्णुता का महा-विस्फोट करार दिया था।
मस्ती भरा सफर- प्रतापनगर जंबुसार नैरो गेज
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
गुजरात में दभोई-मियागाम के अलावा गुजरात में प्रतापनगर (वडोदरा) और जांबुसार जंक्शन और कोसांबा उमरपाडा, बिलिमोरा वाघाई के बीच अभी भी नैरो गेज रेल नेटवर्क संचालित हो रहा है। प्रतापनगर से जंबुसार नैरो गेज रेलवे लाइन की कुल लंबाई 51 किलोमीटर है। पहले ये लाइन सामनी तक जाती थी, जिसकी कुल दूरी 75 किलोमीटर थी। पर अब यह प्रतापनगर तक ही सीमित हो गई है। प्रतापनगर और जांबुसार के बीच 13 रेलवे स्टेशन हैं।
क्यों ‘आरक्षण-मुक्त’ भारत का नारा?
कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :
गुजरात के पाटीदार अनामत आन्दोलन (Patidar Anamat Andolan) के पहले हार्दिक पटेल को कोई नहीं जानता था। हालाँकि वह पिछले दो साल में छह हजार हिन्दू लड़कियों की 'रक्षा' कर चुके हैं! ऐसा उनका खुद का ही दावा है! बन्दूक-पिस्तौल का शौक हार्दिक के दिल से यों ही नहीं लगा है।