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झुक जाना मूर्खता नहीं, जीतने के लिए तनना बेवकूफी
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक
भोपाल में मेरे साथ एक लड़का पढ़ता था। नाम था आलोक।
आलोक बहुत मिलनसार और विनम्र था। हम दोनों हमीदिया कॉलेज में साथ पढ़ते थे। आलोक की दिलचस्पी राजनीति में थी, मेरी पत्रकारिता में। दुबला-पतला आलोक जब किसी से मिलता तो हमेशा मुस्कुराता हुआ मिलता। कुछ लोग उसकी शिकायत भी करते, पर वो कभी किसी की बुराई नहीं करता। मैं कभी-कभी हैरान होता और उससे पूछता कि आलोक तुम्हें कभी कोई बात बुरी नहीं लगती?
खेलों में उग्रवाद की आग पाकिस्तान ने ही लगायी थी !
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
पाकिस्तान क्रिकेट के सदर शहरयार साहब छाती पीट-पीट कर रोते हुए घर लौट रहे हैं कि उग्रवादियों के आगे बीसीसीआई झुक गयी और उसने श्रीनिवासन के कार्यकाल के दौरान सिरीज खेलने का जो करार किया था, उसे तोड़ दिया।
अहंकार मिटाता है
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
कल मेरे दफ्तर में अनिल कपूर और जॉन अब्राहम आये थे। दोनों अलग-अलग गाड़ियों में थे। जॉन गाड़ी से पहले उतर गए, अनिल किसी से फोन पर बात कर रहे थे। मैं जॉन को लेकर गेस्ट रूम में चला गया और वहाँ उन्हें बिठा दिया। मैं उनसे चाय-कॉफी पूछ ही रहा था कि अपनी बात खत्म कर अनिल कपूर भी कमरे में चले आये।