Tuesday, September 17, 2024
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सम-विषम नियम के पीछे प्रदूषण पर रोक की नीयत नहीं

संदीप त्रिपाठी :

दिल्ली के प्रदूषण पर आईआईटी, कानपुर की रिपोर्ट

वही कीजिए, जो अच्छा लगे

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

मेरी शादी बहुत सामान्य ढंग से मेरे ढेर सारे दोस्तों की मौजूदगी में दिल्ली के आर्य समाज मंदिर में हुई थी। शादी के बाद जब मैं अपनी पत्नी के पिता से मिलने उनके घर गया तो उन्होंने मुझे समझाया कि जो हुआ सो हुआ, अब मुझे दोबारा धूमधाम से शादी करनी चाहिए। कुछ इस तरह शादी करनी चाहिए, जिसमें उनके और मेरे सभी रिश्तेदार मौजूद हों।

दिल्ली में हंड्रेड परसेंट

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :

एक अखबार में छपी रिपोर्ट ने बताया कि दिल्ली में 64.36% मकान मालिक हैं। 31% किरायेदार हैं। दिल्ली में ये कुछ कुछ गोत्र टाइप मामला है, मकान मालिक ऊंचे गोत्र का, किरायेदार उससे नीचे गोत्र का।

परीक्षा

प्रेमचंद :

नादिरशाह की सेना ने दिल्ली में कत्लेआम कर रखा है। गलियों में खून की नदियाँ बह रही हैं। चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। बाजार बंद हैं। दिल्ली के लोग घरों के द्वार बंद किये जान की खैर मना रहे हैं। किसी की जान सलामत नहीं है। कहीं घरों में आग लगी हुई है, कहीं बाजार लुट रहा है; कोई किसी की फरियाद नहीं सुनता।

कभी मंदिरों का समूह था कुतुबमीनार कांप्लेक्स

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

एक दिन बेटे अनादि ने कहा पापा कुतुबमीनार देखने चलते हैं। वह जो तीन साल के थे तब सरदियों की एक मीठी धूप में कुतुबमीनार गये थे। पर उसकी उन्हें याद नहीं। लिहाजा एक बार फिर कुतुबमीनार की सैर पर निकले अगस्त 2015 में श्रीकृष्णजन्माष्टमी के दिन। पहले इस्कान टेंपल फिर लोटस टेंपल फिर कुतुब कांप्लेक्स। तो आइए चलते हैं कुतुबमीनार की सैर पर....

कमल मंदिर यानी लोटस टेंपल

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

अगर आप दिल्ली में कोई हरा भरा और सुंदर आध्यात्मिक स्थल तलाशकर वहाँ कुछ वक्त गुजारना चाहते हैं तो लोटस टेंपल यानी कमल मंदिर से बेहतर कोई जगह नहीं हो सकती। 27 एकड़ के दायरे में फैली हरियाली यहाँ आपका मनमोह लेगी। इस हरियाली की सिंचाई के लिए रिसाइकिल किए गये जल का इस्तेमाल किया जाता है जो प्रेरक कार्य है। ये मंदिर वास्तुकला, पर्यावरण संरक्षण का अदभुत उदाहरण है।

आत्मा का नुकसान

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

अभी-अभी पटना के लिए उड़ना है। फिलहाल एयरपोर्ट पर बैठा हूँ। पहले से तय करके आया था कि आज एयरपोर्ट पर बैठ कर कॉफी के साथ कहानी लिखूँगा। सोचा तो यह भी था कि आज प्यार और जलन की कहानी लिखूँगा। लिखूँगा कि जैसे हम जानते हैं कि हमें किससे प्यार करना है, उसी तरह हमें यह जानना चाहिए कि हमें किससे जलना चाहिए। 

तेरे नाम पे सबको नाज है, उसका नाम गरीब नवाज है…

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 

1998 के वसन्त में पहली बार अजमेर की यात्रा पर गया था। जयपुर के बाद बस से अजमेर। फिर पुष्कर। एक बार फिर 2008 के मार्च में अनादि और माधवी के साथ अजमेर जाना हुआ। आज इच्छा हुई ख्वाजा को याद किया जाए। 

बंदर बना राजा

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

यह कहानी मुझे किसी ने सुनाई थी। इस कहानी को सुन कर मैं बहुत देर तक अकेले में हँसता रहा। नहीं, मैं हँस नहीं रहा था, दरअसल मैं रो रहा था। 

यह छोटा-सा कदम उठेगा हुजूर?

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :  

शर्म कहीं मिलती है? दिल्ली में कहीं मिलती है? अपने देश में कहीं मिलती है? यहाँ तो कहीं नहीं मिलती! किसी को उसकी जरूरत ही नहीं है! यह देश की राजधानी का आलम है। जहाँ बड़ी-बड़ी सरकारें हैं। वहाँ अस्पतालों की ऐसी बेशर्मी, ऐसी बेहयाई है कि शर्म कहीं होती तो शर्म से चुल्लू भर पानी में डूब मरती! लेकिन दिल्ली में कुछ नहीं हुआ। न अस्पतालों को, न सरकारों को! सब वैसे ही चल रहा है, जैसे कुछ हुआ ही न हो!

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