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तीन मूर्ति भवन : यहाँ विराजती है दिलकश हरियाली
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
दिल्ली का तीन मूर्ति भवन। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का निवास स्थान। नेहरू जी के बाद को संग्रहालय और पुस्तकालय में परिणत कर दिया गया है।
रोड रेज में शराब का योगदान
संजय कुमार सिंह, संस्थापक, अनुवाद कम्युनिकेशन
दिल्ली के तुर्कमान गेट रोड रेज मामले में इस बात पर आश्चर्य जताया जा रहा है कि जब लोग मारपीट कर रहे थे तो किसी ने बचाने की कोशिश क्यों नहीं की। पुलिस ने भी ध्यान नहीं दिया।
बीत गये 49 दिन,लापता है जन लोकपाल
संदीप त्रिपाठी :
दिल्ली में आप की सरकार बने और अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री बने आज (4 अप्रैल,(शनिवार) 50वाँ दिन है। पिछली बार सरकार 49 दिन चली थी। तब अरविंद केजरीवाल ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि विपक्ष जन लोकपाल पारित करने में सहयोग नहीं कर रहा है।
रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून
विकास मिश्रा, आजतक :
इलाहाबाद में जब पढ़ता था तो शुरुआत में केपीयूसी हॉस्टल में रहा। पीने का पानी भरने के लिए नीचे जाना पड़ता था। मटके में पानी भरकर रखते थे, लेकिन कई बार झंझट से बचने के लिए टंकी का पानी पी लिया करते थे। ये सिर्फ मेरी ही बात नहीं थी, ज्यादातर लोग टंकी का ही पानी पीते थे।
कैसे पड़ा दिल्ली नाम
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
देश की राजधानी दिल्ली। कभी इसका नाम इंद्रप्रस्थ था। कभी शाहजहानाबाद। पर दिल्ली का नाम दिल्ली कैसे पड़ा, इस बारे में कई कहानियाँ हैं। कहा जाता है कि फारसी शब्द दहलीज से दिल्ली नाम पड़ा। विदेशी इसे भारत की दहलीज मानते रहे।
शोशे की सरकार
संदीप त्रिपाठी :
दिल्ली में गर्मियां शुरू होते ही पानी की किल्लत शुरू हो गयी। मई-जून में क्या होगा, पता नहीं। बिजली-पानी के सवाल पर सरकार बनाने वाले आप नेता अरविंद केजरीवाल ने हाथ खड़े कर दिये हैं।
उल्टे बांस बरेली…
मोहनीश कुमार, (इंडिया टीवी, वरिष्ठ पत्रकार)
उल्टे बांस बरेली... बचपन से ये मुहावरा सुनते आये हैं... अब दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को इस मुहावरे को चरितार्थ करते देख रहे हैं...
कब होगी आमची दिल्ली
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
दिल्ली में तो सुबह-सुबह नींद खुल ही जाती है, लेकिन मुंबई आकर मैं चाहता हूँ कि कुछ देर और होटल के बिस्तर में दुबका रहूँ। फिर तो जब सुबह होगी तो हो ही जायेगी।
‘पीके’ में भी दर्शकों की हजामत बनायेंगे आमिर
शिव ओम गुप्ता :
वैसे तो आमिर खान ने गजनी के प्रचार के लिए लोगों के बाल काटे थे, मगर उनकी आज रिलीज हुई फिल्म 'पीके' के टिकट के दाम दर्शकों की हजामत बना रहे हैं। खान तिकड़ी की फिल्में जब थिएटर में रिलीज होती हैं, तो टिकट दरें अमूमन बढ़ ही जाती हैं। इसलिए अगर आप 'पीके' देखने का मन बना रहे हैं तो अपनी जेब ज्यादा ढीली करने के लिए तैयार रहें।
बलात्कार: कानून बनाने के अलावा सरकार ने क्या किया?
क़मर वाहिद नक़वी, वरिष्ठ टीवी पत्रकार :
कागज का आविष्कार न हुआ होता, तो सरकारें कैसे चलतीं? दिलचस्प सवाल है! कल्पना कीजिए। आप भी शायद इसी नतीजे पर पहुँचेंगे कि कागज के बिना सरकार चल ही नहीं सकती!