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इन मौतों की जिम्मेदारी तो लेनी होगी सीएम साहब

राजीव रंजन झा :
व्यापम - एक ऐसा घोटाला, जिसमें खुद मुख्यमंत्री के परिवार के लोगों के भी नाम उछले हैं। उन पर आरोप सही हैं या गलत, यह तो जाँच के बाद अदालत को बताना है। लेकिन राज्य में जिस घोटाले को लेकर सबसे ज्यादा उथल-पुथल है, उसके गवाह और अभियुक्त एक के बाद एक रहस्यमय ढंग से मरते जा रहे हैं और अब इस मामले की छानबीन करने दिल्ली से पहुँचा आजतक का संवाददाता भी अचानक बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के मर जाये तो इससे क्या समझा जाये?
‘व्यापम’ से डर लगता है जी

सुशांत झा, पत्रकार :
व्यापम की वेबसाइट देख रहा था कि इसमें मेडिकल या प्री-इंजीनियरिंग टेस्ट है या नहीं। क्योंकि डॉक्टर भी मारे गये हैं, पत्रकार भी और चपरासी भी। बड़ा घालमेल है। इसका गठन तो हुआ था मेडिकल इंट्रेस एक्जाम के लिए, लेकिन बाद में किसी 'दिमाग' वाले CM ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा हटा दिया और उसके लिए अलग बोर्ड बना दिया।
जिधर देखो, सब क्लीन ही क्लीन है!

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार:
न से नेता! जिसे कुछ नहीं होता! इसलिए राममूर्ति वर्मा को भी कुछ नहीं होगा! वह जानते हैं कि नेताओं का अकसर कुछ नहीं बिगड़ता। बाल भी बाँका नहीं होता!
मोदी जी ने विदेशी मोर्चे पर देश को निर्विवाद महिमा मंडित किया

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
दो दिन पहले मैं एक चैनल पर कांग्रेस के प्रवक्ता मीम अफजल को सुन रहा था..कह रहे थे, ' भारतीय प्रधान मन्त्री विदेश दौरे को इवेंट क्यों बना देते हैं। इतनी हाइप हो जाती है कि दौरे का उद्देश्य ही उसमें गुम होकर रह जाता है।' अफजल साहब खुद राजनयिक रहे हैं।
अमर प्रेम

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
बचपन में मैं कुम्हार बनना चाहता था।
थ्रिल जिंदगी में तलाश करें, मौत में नहीं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
“कुछ हिल रहा है। लग रहा है चक्कर आ रहा है। अरे ये देखो ऊपर लटका पंखा भी हिल रहा है। हाँ, हाँ दीवार पर टंगी फोटो भी हिल रही है। भागो, भूकम्प आया है।” हमारे देश में भूकम्प का इतना अनुभव सबके पास है। उसके बाद शुरू होता है टीवी पर खबरों का खेल। पानी की हिलती हुई बोतल, हिलता हुआ पंखा, भागते हुए लोगों को दिखाने की होड़ मच जाती है। कुछ देर में हमारे पास भूकम्प से जुड़ी तस्वीरें आने लगती हैं और हम दिखाने लगते हैं, गिरी हुई इमारतें, उसमें फंसे हुए लोग, मलबों में दबे हुए लोग, चीख-पुकार, करुण-क्रंदन।
कल नेपाल और भारत में भूकम्प से धरती हिली। वही सब हुआ, जिसे मैंने बयाँ किया है।
पंद्रह साल पहले गुजरात में ऐसा ही भूकम्प आया था। तब मैं जी न्यूज में रिपोर्टर था।
निजी राग-द्वेष खबर नहीं होती आउटलुक जी

नदीम एस अख्तर, वरिष्ठ पत्रकार :
आउटलुक वालों ने टाइम्स नाऊ वाले अर्नब गोस्वामी को विलेन बना दिया। घोषणा कर दी कि अर्णब ने भारत में टीवी न्यूज की हत्या कर दी।
ठीक है, मान लेते हैं कि आउटलुक वाले बहुत समझदार हो गये हैं, (विनोद मेहता के जाने के बाद) और मैगजीन निकालते-निकालते अब उन्हें टीवी न्यूज की भी अच्छी खासी समझ हो गयी है।