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मोहाली में ‘बल्लेबाजी देवता’ का ‘विराट’ करिश्मा
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
दो राय नहीं कि यह भारतीय गेंदबाजी थी कि जिसने पहले चार ओवरों में पिटने के बाद ऐसा जबरदस्त पलटवार किया कि कंगारू अंतिम 16 ओवरों में कुल जमा 107 रन ही जोड़ सके। टास हार कर पहले गेंदबाजी पर बाध्य भारतीयों के सम्मुख फिर भी ऐसे विकेट पर 161 का ऐसा लक्ष्य मिला था जो लगातार धीमी होती असमतल उछाल वाली पिच पर निस्संदेह चुनौतीपूर्ण स्कोर था और इसको पाने के लिए किसी एक स्पेशलिस्ट बल्लेबाज को डेथ ओवरों तक क्रीज में जमे रहना था।
करोड़ टके का सवाल : कंगारूओं से धोनी एंड कंपनी पार पा सकेगी?
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
बताने की जरूरत नहीं कि रविवार को मेजबान भारत और आस्ट्रेलिया के बीच मोहाली में होने वाला ग्रुप बी का अंतिम लीग मैच, 'जो जीते सो मीर' यानी टी-20 विश्व कप के सेमीफाइनल में वेस्टइंडीज से दो-दो हाथ करने के लिए टिकट पाने का होगा। एक कठोर सच यह भी है कि धोनी की सेना के लिए मुकाबला किसी तेजाबी परीक्षण से कम नहीं।
जेम्स हेडली चेज का ‘थ्रिलर’ भी पीछे छूटा, जबड़े से जीत छीन ली
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
अंतिम तीन गेंदों तक जीत रही टीम हार गयी...!!
वाकई यह जेम्स हेडली चेज के किसी भी थ्रिलर को मीलों पीछे छोड़ने वाला रोमांचक द्वंद्व था। एक टीम जो हारने के सारे जतन करती नजर आयी, जिसने प्रतिपक्षी टीम के रन बनाने वाले सभी बल्लेबाजों को जमने के पहले जीवनदान देने में कोताही नहीं की।
तुम्हारी गलती नहीं अफरीदी, विष के पेड़ में आम नहीं फलते
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
शाहिद अफरीदी एक बार फिर विवादों में घिर गये हैं। पहले तो उन्होनें टी-20 विश्वकप में भाग लेने के लिए भारतीय धरती पर कदम रखते ही यह बयान दे कर कि उनको तो अपने देश से भी ज्यादा प्यार भारत में मिलता है, पाकिस्तानियों के कोप भजन बने और फिर न्यूजीलैंड के साथ 22 मार्च को हुए मैच के पहले यह बयान दे कर कि उनको कोलकाता में काफी समर्थन मिला था और मोहाली में काफी कश्मीरी हमारे समर्थन में यहाँ पहुँचे हैं, अपनी आवाम के गुस्से को कम करने की कोशिश की। लेकिन इससे वो भारतीयों के निशाने पर फिर आ गये।
देश में संघ से बड़ा राष्ट्र भक्त कौन है
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
जमीयत उलेमा-ए-हिंद का देश की राजधानी में हुआ एकता सम्मेलन और कुछ नहीं अपने दुश्मन नंबर एक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसकी विचारधारा के ध्वज वाहक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खिलाफत का मंच था, जहाँ इस संगठन के सदर मदनी साहब ने पानी पी-पी कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन के नाम पर सरकार को कोसा तो एकता के नाम पर देश तोड़ने वाली हरकतों के लिए संघ को जिम्मेदार ठहराया।
एक भारतीय की पाती
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
आज सभी से राजनीति से ऊपर उठ एक बात कहना चाहता हूँ कि आप लोगों की लाचारी देख मुझे ऐसा लग रहा है कि आप लोगों की हालत उन भारतीय सिपाहियों जैसी हो गयी है जो मुगलों और अंग्रेजों की सेनाओं में शामिल हो जाते थे और न चाहते हुए भी अपने सिद्धांतों से समझोता कर अपने ही लोगों के खिलाफ खड़े हो जाते थे और जबरन ज्यादती करते थे।
फिक्स था भारत-इंग्लैंड का मैनचेस्टर क्रिकेट टेस्ट
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
पहले से ही स्पाट फिक्सिंग के आरोपों में संदेह की नजरों से देखे जा रहे भारतीय क्रिकेट कप्तान धोनी एक बार फिर घिर गये फिक्सिंग के आरोप में। आरोप है कि 2014 में इंग्लैंड सिरीज के मैनचेस्टर टेस्ट में टास पर 'खेल' कर दिया गया था।
मनुष्य बली नहीं होत है धोनी भैया, समय होत बलवान
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
टीम संयोजन हाहाकारी, खुद की फिनिशर की साख गयी तेल लेने, कल्पनाशीलता किस चिड़िया का नाम है, नहीं जानते, फील्ड की जमावट माशाअल्ला, गेंदबाजों पर भरोसा नहीं! ऐसे में फिर क्या खा कर जीत की सोच भी सकते थे कागज पर देश के सफलतम कप्तान महेंद्र सिंह धोनी। काल चक्र है प्रभु हमेशा ही सीधा नहीं घूमेगा कि जोगिंदर शर्मा और इशांत शर्मा जैसे पिटे गेंदबाज भी जीत दिलाते रहेंगे। समय बदल गया है रांची के राजकुमार साहब।
कहाँ छिप गए वे सेक्युलर, मानवतावादी!
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
क्यों नहीं पुरस्कार लौटाए जा रहे? चुप्पी क्यों ?
मालदा के बाद पूर्णिया! यह हो क्या रहा है? क्या सहिष्णुता सिर्फ उस बहुसंख्यक वर्ग के लिए ही है जिसको पंद्रह मिनट में काट देने की मंच से घोषणा करने वाले शख्स के आजादी के बाद दिये गये सबसे उकसावे वाले बयान के बावजूद देश की सेहत प्रभावित हुई? क्या कहीं हिंसा की खबरें आयी? क्या कहीं कानून-व्यवस्था को परेशानी हुई? नहीं न, क्योंकि सनातन धर्मी स्वभाव से सहनशील है। उसके शब्दकोश में नफरत या घृणा शब्द ही नहीं है।
कांग्रेसजनों देश की प्रगति में हाथ बंटाओं
पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :
सोनिया और राहुल गाँधी ने जब यह आरोप लगाया कि नेशनल हेराल्ड वाले मामले में प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार ने साजिशन उन्हें फँसाया है और वर्तमान एनडीए सरकार विरोधी दलों को मिटाना चाहती है तब मीडिया के मुँह में पाला क्यों मार गया था? मौके पर मौजूद रिपोर्टस ने क्यों नहीं माँ-बेटे से पूछा कि यह मामला तो तीन साल पुराना है और तब तो केंद्र और दिल्ली में आपकी ही सरकार थी, तो इसे भाजपा का किया धरा कैसे कहा जा रहा है?