Tag: बदलाव
खुद को बदलते हैं, तो संसार बदल जाता है
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
वाह-वाह क्या बात है।
मेरे दफ्तर की एक महिला कर्मचारी मेरे पास आई और बात-बात में कहने लगी कि जिन्दगी बहुत उलझ गयी है।
बेटियों को हक है खुश होने का
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मैंने पहली बार जब शहनाई की आवाज सुनी थी, तब मैं मेरी उम्र आठ साल रही होगी। दीदी का शादी तय हो गयी थी और घर में उत्सव का माहौल था।
जिस दिन दीदी की शादी होने वाली थी, दो शहनाई वाले छत पर बैठ कर पूँ-पूँ बजा रहे थे। मुझे राग का ज्ञान नहीं था, लेकिन उनके मुँह से लगी शहनाई से जो आवाज निकल रही थी, वो दिल के किसी कोने में मोम बन कर पिघलती सी लग रही थी।
बिहार में ‘हवा’ उसकी नहीं, जिसकी जीत होने वाली है!
अभिरंजन कुमार :
बिहार चुनाव एक पहेली की तरह बन गया है। अगड़े, पिछड़े, दलित, महादलित-कई जातियों/समूहों के लोगों से मेरी बात हुई। उनमें से ज्यादातर ने कहा कि उन्होंने बदलाव के लिए वोट दिया, लेकिन साथ ही वे इस आशंका से मायूस भी थे कि बदलाव की संभावना काफी कम है।
बिहार में सत्ता बदलनी चाहिए
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
अपने दोस्तों से जब मैं बिहार की दुर्दशा की चर्चा करता हूँ और कहता हूँ कि अब बिहार में सत्ता बदलनी चाहिए, तो मेरे साथी मेरी ओर हैरत भरी निगाहों से देखने लगते हैं, और पूछने लगते हैं कि संजय सिन्हा, कहीं तुम भाजपाई तो नहीं हो गये?
पर्सनल्टी डेवलपमेंट सीरिज : महानता और सफलता
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
गुरुघन्टाल अकादमी के दो छात्रों ने इस प्रश्न पर विवाद छिड़ गया कि सफलता महानता के गुणों का पालन करने पर आती है या महानता सफलता आने पर खुद -ब-खुद आ जाती है।
किताबी नाम के छात्र ने कहा-शास्त्रों में वर्णित गुणों को खुद में ढाल ले बन्दा, तो सफलता खुद चलकर आती है।
एक मार्ग-टटोलक के नोट्स
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
यहाँ मुझे, सुभाष चंदरजी और हरीश नवलजी को मार्गदर्शक - मंडल बना दिया है। चलो सुभाष चंदरजी और हरीश नवलजी तो पर्याप्त बुजुर्ग हो चुके हैं कि इन्हे मार्गदर्शक - मंडल बना दिया जाये।