Tag: भाग्यशाली
माँ
आ अब लौट चलें
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
सबको एक दिन घर लौटना होता है। भाग्यशाली होते हैं वो लोग, जिन्हें घर के बारे में पता होता है। मैं तो बहुत से लोगों से मिला हूँ, उन्हें पता ही नहीं कि उनका घर कहाँ है। वो हर रात सोते हैं, फिर सुबह होते ही भटकने लगते हैं, अपने घर की तलाश में। वो जिन्दगी जीने की तैयारी में अपने हिस्से की ढेर सारी जिन्दगी जाया कर चुके हैं।
सुभागी
प्रेमचंद :
और लोगों के यहाँ चाहे जो होता हो, तुलसी महतो अपनी लड़की सुभागी को लड़के रामू से जौ-भर भी कम प्यार न करते थे। रामू जवान होकर भी काठ का उल्लू था। सुभागी ग्यारह साल की बालिका होकर भी घर के काम में इतनी चतुर, और खेती-बारी के काम में इतनी निपुण थी कि उसकी माँ लक्ष्मी दिल में डरती रहती कि कहीं लड़की पर देवताओं की आँख न पड़ जाय। अच्छे बालकों से भगवान को भी तो प्रेम है। कोई सुभागी का बखान न करे, इसलिए वह अनायास ही उसे डाँटती रहती थी। बखान से लड़के बिगड़ जाते हैं, यह भय तो न था, भय था - नजर का ! वही सुभागी आज ग्यारह साल की उम्र में विधवा हो गयी।
बिहार भाग्य-विधाता?
श्रीकांत प्रत्यूष, संपादक, प्रत्यूष नवबिहार
जनता परिवार का विलय का अधर में पड़ जाना और आरजेडी-जेडीयू के बीच गठबन्धन की संभावना का कमजोर होना, केवल लालू, नीतीश के लिए ही नहीं बल्कि बीजेपी के लिए और खासतौर पर बिहार की जनता के लिए भी एक बुरी खबर है।
रिश्ते हैं, लेकिन कोई रिश्ता बचा नहीं
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
कई साल पहले एक रात हमारे घर की घंटी बजी।
तब हम पटना में रहते थे। आधी रात को कौन आया?
पिताजी बाहर निकले। सामने दो लोग खड़े थे। एक पुरुष और एक महिला।