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जय भारत। जय पाकिस्तान। जय बांग्लादेश।
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
जब आप "भारत की बर्बादी के नारे" लगाएँ और "पाकिस्तान जिन्दाबाद" बोलें, तब यह देशद्रोह है, लेकिन अगर आप "भारत जिन्दाबाद" और "पाकिस्तान जिन्दाबाद" दोनों साथ-साथ बोलें और दोनों देशों की तरक्की की कामना करें, तो यह इस उप-महाद्वीप में शांति और सौहार्द्र की हमारी आकांक्षा है।
प्रधानमंत्री की खामोशी के अर्थ-अनर्थ
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
तय मानिए यह देश नरेंद्र मोदी को, मनमोहन सिंह की तरह व्यवहार करता हुआ सह नहीं सकता। पूर्व प्रधानमंत्री मजबूरी का मनोनयन थे, जबकि नरेंद्र मोदी देश की जनता का सीधा चुनाव हैं। कई मायनों में वे जनता के सीधे प्रतिनिधि हैं। जाहिर है उन पर देश की जनता अपना हक समझती है और हक इतना कि प्रधानमंत्री होने के बावजूद वे अपनी व्यस्तताओं के बीच भी हर छोटे-बड़े प्रसंग पर संवाद करें, बातचीत करें।
जनता परिवार : आर्थिक – पारिवारिक फोरम
सुशांत झा, पत्रकार :
जनता परिवार के विलय में वहीं भावना छुपी है, जो आखिरी घड़ी में दिल्ली बीजेपी में किरण बेदी की ताजपोशी में छुपी थी।