जय भारत। जय पाकिस्तान। जय बांग्लादेश।

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अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

जब आप “भारत की बर्बादी के नारे” लगाएँ और “पाकिस्तान जिन्दाबाद” बोलें, तब यह देशद्रोह है, लेकिन अगर आप “भारत जिन्दाबाद” और “पाकिस्तान जिन्दाबाद” दोनों साथ-साथ बोलें और दोनों देशों की तरक्की की कामना करें, तो यह इस उप-महाद्वीप में शांति और सौहार्द्र की हमारी आकांक्षा है।

अगर भारत का कोई नागरिक पाकिस्तान जाकर “भारत जिन्दाबाद” बोले, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। इसी तरह अगर पाकिस्तान का कोई नागरिक हमारे यहाँ आकर “पाकिस्तान जिन्दाबाद” बोले, तो इसमें भी कुछ गलत नहीं है। किसी भी देश का नागरिक अपने देश की जय-जय तो कर ही सकता है, चाहे वह किसी भी दूसरे मुल्क में क्यों न चले जाए।

राजनीतिक कारणों से हर बात का बतंगड़ बना कर या तो हम अपनी नासमझी उजागर करते हैं या फिर अपनी कुटिलता ही दुनिया को दिखाते हैं। रविशंकर के कार्यक्रम में ऐसा कुछ नहीं हुआ, जिसे देशद्रोह की संज्ञा दी जा सके या इसका हवाला देकर उन लोगों की आलोचना की जा सके, जिन्होंने जेएनयू में लगे देशद्रोही नारों का विरोध किया था।

मैं भी “भारत जिन्दाबाद” के साथ “पाकिस्तान जिन्दाबाद” और “बांग्लादेश जिन्दाबाद” बोलना चाहता हूँ। आखिर खून तो हम तीनों का एक ही है और सिर्फ बाँटने वाली राजनीति के चलते ही हम लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे हुए हैं। मेरा तो यहाँ तक ख्याल है कि आरएसएस भी अगर “अखंड भारत” की बात करता है, तो उसे उन मुल्कों की जय बोलने में दिक्कत नहीं होगी, बशर्ते कि वे भारत-विरोधी कोई गतिविधि न चलाएँ।

हालाँकि मैं जानता हूँ कि ऐसा अब कभी संभव नहीं है, फिर भी जरा सोचिए कि अगर किसी दिन भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश- तीनों फिर से एक हो जाएँ, तो एकीकृत भारत/अखंड भारत/वृहत भारत निश्चित ही दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क बन जाएगा। अगर उपरोक्त तीनों नामों पर सहमति न बन सके, तो मैं तो उस एकीकृत मुल्क का नाम “हिन्दोस्लाम” रखने तक को तैयार हो जाऊँगा।

मेरा मानना है कि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश- इन तीनों मुल्कों में ज्यादातर समस्याएँ विभाजन की कोख से ही पैदा हुई हैं। जिस दिन तीनों एक हो जाएँगे, उसी दिन से उनके अच्छे दिनों की शुरुआत हो जाएगी, क्योंकि इससे इन मुल्कों में घिनौनी सांप्रदायिक राजनीति का अंत हो जाएगा और हिन्दुओं व मुसलमानों में एकता कायम हो जाएगी।

इतना ही नहीं, एकीकृत भारत में एक तरफ जहाँ भारतीय मुसलमानों का मुख्यधारा से कटे होने का अहसास खत्म हो जाएगा, वहीं पाकिस्तान और बांग्लादेश के मुसलमानों की भी किस्मत चमक जाएगी। उनके बच्चे छाती पर बम बांध कर नहीं मरेंगे, न बच्चों को स्कूल जाने पर गोली मारी जाएगी। उस दिन एकीकृत भारत के हिन्दू भी अधिक प्राउड हिन्दू होंगे।

इसलिए बँटवारे की राजनीति के बीच कहीं से भी अगर कोई ऐसी बात आती है, जिससे भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में एकता की भावना को ताकत मिले, तो हमें उसका स्वागत करना चाहिए, न कि उसपर भी गंदी राजनीति शुरू कर देनी चाहिए।

(देश मंथन, 15 मार्च 2016)

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