Thursday, April 18, 2024
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क्या अल्लाह अपनी संतानों के खून से खुश होगा?

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

ईद के दिन हुए हमले के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बार फिर कहा है कि "जो लोग ईद के दौरान भी हमले कर रहे हैं, वे इस्लाम और मानवता के दुश्मन हैं।" ईद और रमजान का हवाला देते हुए जब वे आतंकी हमलों की निंदा करती हैं, तो उनका यह मतलब कतई नहीं होता कि बाकी दिनों में हमले जायज हैं, जैसा कि सोशल मीडिया पर मजाक चल रहा है।

मुलायम मलमल बनाने वाले देश का दिल कठोर

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

आज ज्यादा नहीं लिखूँगा। 

सच पूछिए तो आज बिल्कुल नहीं लिखूँगा। मेरा मन ही नहीं है आज कुछ भी लिखने का। कल से मन बहुत उदास है। कल ही बांग्लादेश से उस बच्ची का शव यहाँ लाया गया, जिसने अभी जिन्दगी की राह पर अपना पहला कदम ही आगे बढ़ाया था। 

अब आइने में अपनी शक्ल देखे इस्लाम… डरावनी हो चली है!

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

हमारे जम्मू-कश्मीर राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की इस बात के लिए तारीफ की जानी चाहिए कि उन्होंने उस सच्चाई को कबूल करने का साहस दिखाया है, जिसे तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले हमारे सुपर-सेक्युलर लोग समझते हुए भी स्वीकार करने को तैयार नहीं होते।

मेघालय यानी बादलों का घर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

मेघालय यानी मेघों (बादलों) का घर। घर इसलिए की सबसे ज्यादा बारिश वाला इलाका चेरापूंजी मेघालय में ही आता है। 21 जनवरी 1972 को ये छोटा सा राज्य अस्तित्व में आया। साल 2011 की जनगणना में आबादी 30 लाख के करीब है। इसकी सीमाएँ असम और बांग्लादेश से लगती हैं।

जय भारत। जय पाकिस्तान। जय बांग्लादेश।

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

जब आप "भारत की बर्बादी के नारे" लगाएँ और "पाकिस्तान जिन्दाबाद" बोलें, तब यह देशद्रोह है, लेकिन अगर आप "भारत जिन्दाबाद" और "पाकिस्तान जिन्दाबाद" दोनों साथ-साथ बोलें और दोनों देशों की तरक्की की कामना करें, तो यह इस उप-महाद्वीप में शांति और सौहार्द्र की हमारी आकांक्षा है।

पाकिस्तान इंदिराजी से किस कदर खौफजदा था?

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

दो राय नहीं कि मैं कांग्रेस विरोध की संतान हूँ पर यह भी सच है कि महाराजा रणजीत सिंह के बाद देश को अंतरराष्ट्रीय विजय (पूर्वी पाकिस्तान का नाम नक्शे से मिटा कर बांग्लादेश का जन्म हुआ 1971) दिलाने वाली वीरांगना श्रीमती इंदिरा गाँधी का निजी तौर पर प्रशंसक भी हूँ, खास तौर पाकिस्तान के मोर्चे पर उनकी तैयारी की जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम होगी।

इतिहास बोल रहा है, आप सुनेंगे क्या?

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार:

कहीं का इतिहास कहीं और का भविष्य बाँचे! बात बिलकुल बेतुकी लगती है न! इतिहास कहीं और घटित हुआ हो या हो रहा हो और भविष्य कहीं और का दिख रहा हो! लेकिन बात बेतुकी है नहीं! समय कभी-कभार ऐसे दुर्लभ संयोग भी प्रस्तुत करता है!

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