पाकिस्तान इंदिराजी से किस कदर खौफजदा था?

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पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

दो राय नहीं कि मैं कांग्रेस विरोध की संतान हूँ पर यह भी सच है कि महाराजा रणजीत सिंह के बाद देश को अंतरराष्ट्रीय विजय (पूर्वी पाकिस्तान का नाम नक्शे से मिटा कर बांग्लादेश का जन्म हुआ 1971) दिलाने वाली वीरांगना श्रीमती इंदिरा गाँधी का निजी तौर पर प्रशंसक भी हूँ, खास तौर पाकिस्तान के मोर्चे पर उनकी तैयारी की जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम होगी।

आज मीडिया में जो अमेरिकी गुप्तचर एजेंसी सीआईए की रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि श्रीमती गाँधी 1981 में पाकिस्तान के न्यूक्लीयर प्रतिष्ठानों पर हमला कर सकती थीं, यह सौ फीसदी सच है। मैंने स्वयं देश की इस कद्दावर प्रधान मन्त्री का खौफ पाकिस्तान में शिद्दत से महसूस किया था। 

बात 1984 की क्रिकेट सीरीज की है। मैं पहले दो बार पाकिस्तान का दौरा कर चुका था। वहाँ ढेरों पूर्व खिलाड़ी व पत्रकार मित्र बन चुके थे। लेकिन यह क्या ..! लाहौर पहुँचे चार दिन हो गये, मिलना तो दूर कोई फोन तक नहीं आया, आखिर माजरा क्या है? यह जानने के लिए एक सीनियर पत्रकार को रावलपिंडी फोन किया तो जवाब आया कि कल आ रहा हूँ, फोन पर कोई बात नहीं। एपीपी के खेल सम्पादक जैदी, जिन्हें प्यार से हम चाचा बुलाते थे, नेक-जिंदादिल इंसान थे। आज वो दुनिया में नहीं हैं। वह आए और बताया कि यहाँ सभी की हालत खराब है। तीन-चार दिन पहले अमेरिका ने अंदेशा जाहिर किया कि भारत कुहेटा स्थित परमाणु संस्थान पर हमला कर सकता है। क्योंकि उसके लड़ाकू जैगुआर विमान अपने बेस पर नहीं हैं।

जैदी चाचा ने आगे बताया कि यह खबर मिलते ही यहाँ अफरातफरी मच गयी थी। पूरा देश दो दिनों तक किस कदर खौफजदा रहा था कि न जाने कब किधर से भारतीय विमान हमला कर दें। बाद में पेंटागन ने जब बताया कि जैगुआर अनियमित उड़ान पर थे और खतरे जैसी बात नहीं है, तब कहीं जाकर पाकिस्तान ने राहत की साँस ली। मगर तब तक दोनों देशों के रिश्तों में अजीब सी तल्खी आ चुकी थी। मुझे याद है कि फैसलाबाद में देर रात होटल की लाबी में साथी पत्रकार राजनबाला नें जैसे ही सिगार पीने के लिए लाइटर जलाया कि एक वर्दीधारी ने तुरंत राइफल तान दी। तनाव में हम जी रहे थे कि 31 अक्तूबर को निजी गार्ड ने इंदिराजी की हत्या कर दी और दौरा उसी दिन रद कर दिया गया। आज उन जैसी आक्रमकता की ही तो देश को जरूरत है..पर प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी क्या इंदिराजी को पीछे छोड़ देंगे? फिजाओं में फिलहाल इसलिए यह सवाल तिर रहा है कि सीमा असाधारण रूप से अशांत है और पाकिस्तान की ओर से लगातार भारत को एटम बम की धौंस दी जा रही है। देखने वाली बात यही होगी कि भारत कैसे इसका प्रतिकार करता है?

(देश मंथन, 02 सितंबर 2015)

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