Friday, April 26, 2024
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आज गोडसे-भक्त कह रहे होंगे – थैंक्यू मीडिया..थैंक्यू कांग्रेस!

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

आज कुछ चैनलों ने बताया कि कुछ लोग महात्मा गाँधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे का बलिदान दिवस मना रहे हैं। इन्हीं चैनलों ने यह भी बताया कि कार्यक्रम में 50 लोग भी नहीं जुटे। 125 करोड़ लोगों के देश में जिस विचार के लिए 50 लोग भी नहीं जुटे, उसे सारे चैनलों ने दिन भर अपनी प्रमुख हेडलाइंस में जगह दी।

बदलाव की बयार – महात्मा गाँधी सेवा आश्रम जौरा

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

चंबल घाटी में मुरैना शहर से 25 किलोमीटर आगे छोटे से कस्बे में स्थित महात्मा गाँधी सेवा आश्रम जौरा वह जगह है जो देश भर के हजारों लाखों युवाओं को प्रेरणा देती है। इस आश्रम की स्थापना 1970 में हुई। दरअसल महान गाँधीवादी सुब्बराव महात्मा गाँधी के जन्म शताब्दी वर्ष पर चलायी गयी प्रदर्शनी ट्रेन के प्रभारी थे।

भितिहरवा आश्रम : यहाँ से दी बापू ने अंग्रेजों को चुनौती

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

चंपारण की धरती को वह गौरव प्राप्त है, जहाँ से महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश राज को चुनौती दी। इसके साथ ही आधुनिक भारत के इतिहास में गाँधी युग की शुरुआत होती है। 1917 का वह साल जब देश के आजादी के आंदोलन के इतिहास के केंद्र में महात्मा गाँधी आ जाते हैं।

गाँधी जी को गिरफ्तार करने के लिए रुकी फ्रंटियर मेल

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

चार-पाँच मई 1930 की दरम्यानी रात। ब्रिटिश सरकार चुपके से गाँधी जी गिरफ्तार करती और उन्हें आगे ले जाने के लिए फैसला होता है रेलगाड़ी से। नवसारी के पास कराडी में पंजाब प्रांत से मुंबई जाने वाली फ्रंटियल मेल को रात में रोक लिया जाता है।

आदमी अपनों की चोट से ही टूटता है!

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

एक गाँव में एक लोहार रहता था। उसके बगल में एक सुनार रहता था। लोहार लोहे का काम करता और सुनार सोने का। लोहार लोहे को आग की भट्ठी में तपाता फिर उस पर हथौड़ा चलाता। सुनार भी सोने को आग में तपता फिर उस पर हथौड़े चलता।

अबकी बार, क्या क्षेत्रीय दल होंगे साफ?

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :

राजनीति से इतिहास बनता है! लेकिन जरूरी नहीं कि इतिहास से राजनीति बने! हालाँकि इतिहास अक्सर अपने आपको राजनीति में दोहराता है या दोहराये जाने की संभावनाएँ प्रस्तुत करता रहता है!

क्या-क्या सिखा सकती है एक झाड़ू?

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :

तो झाड़ू अब ‘लेटेस्ट’ फैशन है! बड़े-बड़े लोग एक अदना-सी झाड़ू के लिए ललक-लपक रहे हैं! फोटो छप रही है! धड़ाधड़! यहाँ-वहाँ हर जगह झाड़ू चलती दिखती रही है!

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